101+ अकबर और बीरबल की कहानियाँ, मजेदार और सीख के साथ (2023) | Akbar Birbal Ki Kahani

सभी बच्चों को कहानी सुनना पसंद होता है खासकर Akbar Birbal Ki Kahani क्यूंकि इससे बच्चों को मनोरंजन के साथ ही बहुत सारे सीख भी मिलते हैं। इसलिए आज मैं आपको अकबर और बीरबल की कहानी बताने जा रहा हूँ जो की आपके बच्चों के लिए तो है ही और बड़ों के लिए भी है। 

भारत में उपलब्ध सभी कहानियों में अकबर और बीरबल की कहानियाँ सर्वश्रेष्ठ हैं। akbar birbal story in hindi में अकबर, उनका राज्य और उनके मजाकिया मंत्री बीरबल शामिल हैं। बीरबल बहुत ही मजाकिया और बेहद बुद्धिमान हैं। वे हमें हँसा सकते हैं, मुश्किल जवाब को सोच सकते हैं, और यह समझ सकते हैं कि किसी कठिन परिस्थिति से चालाकी से कैसे निकला जाए। 

तो चलिए बिना समय गवाएं akbar and birbal moral stories in hindi 2023 पढ़ते हैं और बच्चों को भी कुछ सीख देते हैं। 

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101+ अकबर और बीरबल की कहानी – Akbar Birbal Ki Kahani

वैसे तो अकबर और बीरबल से जुडी 200 से भी अधिक कहानियां मौजूद हैं जो की मनोरंजक है और सीख भी देते हैं लेकिन आज हम akbar birbal के best Stories in Hindi के बारे में पढ़ेंगे। ये कहानियाँ शुरू से अंत तक बहुत मज़ेदार और अत्यधिक मनोरंजक हैं।

दोस्तों अकबर बीरबल की कहानी पढ़ने से पहले चलिए ज़रा उनके बारे में फटा फट जान लेते हैं। 

1) अकबर और बीरबल कौन थें?

अकबर ने 1556 से लेकर 1605 तक भारत में राज किया था। इतिहासकारों के अनुसार राजा अकबर सभी के प्रति विनम्र और सम्मानित थे। कभी-कभी वह हिंसक और अतिउत्साही हो जाते थें। उनका व्यक्तित्व काफी आकर्षक था जिससे उन्हें अपने लोगों का प्यार और स्नेह मिला। साथ ही उन्हें अपने दुश्मनों का सम्मान और प्रशंसा भी मिली।

बीरबल का जन्म तिकावनपुर के एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। तिकवानपुर जमुना नदी के तट पर स्थित है। अपनी तेज बुद्धि के कारण, वह अकबर के दरबार में एक मंत्री (या “वज़ीर”) के पद पर कार्यरत थें। 

वे एक महान कवि थे, और उनकी कविताओं का एक संग्रह आज तक भरतपुर संग्रहालय में संरक्षित है।

तो चलिए शुरू करते हैं अकबर और बीरबल की कहानी को। 

2) अंधों की सूची : Akbar Birbal Moral Stories in Hindi For Kids

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एक बार रानी ने राज्य में अंधे लोगों को भीख देने का फैसला किया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई अंधा व्यक्ति भीख लेने से छूट न जाए, अकबर सम्राट अपने लोगों से राज्य के सभी अंधे लोगों की सूची बनाने को कहते है।

उसके बाद मंत्री राज्य के अंधे लोगों की सूची बनाकर अकबर को दिखाते हैं और बीरबल भी उस सूची को देखते हैं और फिर कहते हैं की सूची अभी अधूरी है। बीरबल ने सूची को पूरा करने के लिए कुछ समय मांगा। 

अगले दिन बीरबल एक खाट के साथ, एक बाजार के बीच में बैठते हैं और खाट को बुनना शुरू करते है। जब भी लोग उनके पास से गुजरते हैं, लोग बीरबल से पूछते हैं कि “आप क्या कर रहे हैं?”, लेकिन बीरबल कोई जवाब नहीं देते है।

जैसे ही दिन समाप्त होता है, अकबर बादशाह भी बीरबल की हरकतों के बारे में सुनकर बाजार आते है और बीरबल से पूछते है की “बीरबल तुम क्या कर रहे हो” बीरबल चुपचाप अपना खाट बुनने में व्यस्त थें उन्होंने अकबर को कोई जवाब नहीं दिया। 

अगले दिन, बीरबल अंधे लोगों की एक लंबी सूची अकबर को देते है और इस अंधे लोगों की सूचि में अकबर का भी नाम था। अकबर, बीरबल से यह पूछते हैं की “इसमें मेरा नाम क्यों हैं” उसके बाद बीरबल कहते हैं की “जहांपना, आपके साथ साथ उस सूची में मौजूद सभी लोग कल मुझसे खाट बुनते समय पूछ रहे थें की बीरबल तुम क्या कर रहे हो, जबकि मैं तो सबके सामने सिर्फ खाट बुन रहा था फिर भी यह ऐसा सवाल पूछ रहे थें जैसे खाट दिखी ही नहीं सभी लोगों को, अब ऐसा सवाल तो कोई बिना आँख वाला ही पूछ सकता है।”

अकबर, बीरबल की बात समझ जाते हैं कि राज्य में दृष्टिहीन लोगों की तुलना में अधिक लोग अंधे हैं।

सीख 

दृष्टि वाले लोग भी अपने आसपास क्या हो रहा है, इसके प्रति अंधे हो सकते हैं।

3) एक कुवां : Akbar Birbal Moral Stories in Hindi 

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एक किसान अपने खेतों की सिंचाई के लिए पानी का उपयोग करने के लिए एक अमीर आदमी से कुआँ खरीदता है। जब किसान पानी भरने जाता है तो उसे अमीर आदमी यह कहते हुए रोक देता है कि उसने उससे केवल कुआं खरीदा है, अंदर का पानी नहीं। अमीर आदमी आगे किसान से पानी का उपयोग करने के लिए और अधिक भुगतान करने के लिए कहता है। 

किसान मदद मांगने के लिए अकबर के दरबार में जाता है और अपनी पूरी कहानी बीरबल को सुनाता है। फिर बीरबल अमीर आदमी से कहते है कि “अब क्यूंकि कुँवा तो किसान का है और उसमें मौजूद पानी तुम्हारा है इसलिए तुम या तो कुएं से पानी दूर ले जाओ या अपने पानी को रखने के लिए दूसरे का कुएं उपयोग करने के लिए किराए का भुगतान करो।” यह सुनकर अमीर आदमी हार मान लेता है फिर कुवां और पानी को किसान के हवाले कर देता है।

सीख 

एक चतुर दिमाग किसी भी समस्या का समाधान ढूंढ सकता है।

4) अतिथि की पहचान : Akbar Birbal Moral Stories in Hindi

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एक अमीर व्यापारी ने बीरबल को अपने घर खाने पर आमंत्रित किया। वहां पहुंचने पर बीरबल ने घर में बड़ी संख्या में लोगों को देखा। फिर बीरबल व्यापारी से पूछते हैं की “राज्य के आधे लोगों को यहाँ भोजन के लिए आमंत्रित किया गया है क्या”। व्यापारी ने बीरबल को कहा की कि “कमरे में सिर्फ एक व्यक्ति के अलावा बाकी सभी मेरे नौकर हैं”।

व्यापारी बीरबल से कहता है की “क्या आप बता सकते हैं की इन सभी में से अतिथि कौन है?” उसके बाद बीरबल ने कुछ सोचा और व्यापारी से कमरे में मजाक करने के लिए कहा। एक व्यक्ति को छोड़कर हर कोई व्यापारी के बुरे मजाक पर हंसता है। अब बीरबल समझ जाते हैं की जो नहीं हँसा है वही व्यापारी का अतिथि है क्यूंकि व्यापारी का मजाक बेकार था और नौकर तो मालिक के किसी भी मजाक पर हँसते हैं लेकिन अतिथि नहीं।

व्यापारी पूछता है कि बीरबल ने दूसरे अतिथि को कैसे पहचाना। बीरबल ने माफी मांगते हुए खुलासा किया कि “आपका मजाक बेकार था और केवल नौकर ही इस पर हंसे। अतिथि, जो आपका नौकर नहीं था इसलिए वह आपको खुश करने के लिए बाध्य नहीं था, इसलिए अतिथि ने मजाक पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी”

सीख 

आपके आस-पास के लोग आपको खुश करने के लिए सच्चाई का खुलासा नहीं करते हैं।

5) साहसी अपराधी

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यह एक कहानी है कि कैसे बीरबल दूसरों से अलग सोचते हैं। एक दिन बादशाह अकबर दरबार में घोषणा करते है कि पिछली रात किसी ने “मेरी मूंछों से एक बाल खींचा था, तुम सब बताओ की इस अपराधी के लिए क्या सजा होनी चाहिए।” 

हर कोई उस अपराधी के लिए कठोर दंड का सुझाव देता है, लेकिन बीरबल चुप है। जब अकबर बीरबल से पूछते है, तो बीरबल अपराधी को कुछ मिठाई देने का सुझाव देते है। इससे सभी दरबारी चौक जाते है। फिर अकबर ने पूछा की दोषी को मिठाई क्यों देना चाहिए, तो बीरबल ने आत्मविश्वास से जवाब दिया कि “क्यूंकि राजा की मूंछें खींचने की पहुंच और साहस रखने वाला एकमात्र व्यक्ति उनका अपना पोता था”

सीख 

दूसरों से अलग सोचने से आपको समस्या को हल करने में मदद मिल सकती है।

6) सम्राट कौन है?

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एकबार अकबर, बीरबल को चकमा देने के लिए अपने सभी मंत्रियों को अपने जैसे कपड़े पहनने और उन्हें अपने जैसे सिंहासन पर बिठाने के लिए कहते है। वे सभी बीरबल की प्रतीक्षा में एक लाइन में बैठ जाते हैं। जब बीरबल प्रवेश करते है, तो बीरबल एक क्षण रूककर और फिर बिना किसी सहायता के असली अकबर को प्रणाम करते है। यह पूछने पर कि उन्हें कैसे पता चला की असली अकबर कौन है, बीरबल राजा अकबर को बताते है कि “राजा अकबर आप अधिक आत्मविश्वासी दिख रहे थें और दूसरे लोग आप की ओर विनम्रता के साथ देख रहे थे।”

सीख 

कमरे को पढ़ें और छोटे विवरणों का निरीक्षण करें, आप किसी भी चुनौती को पार कर सकते हैं।

7) बीरबल की कल्पना

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बादशाह अकबर ने बीरबल से अपनी कल्पना शक्ति का उपयोग करते हुए उनके लिए कुछ पेंट करने की मांग की। बीरबल मना कर देते है और अकबर से कहते है कि “मैं चित्र बनाना या पेंट करना नहीं जानता हूँ और मैं केवल एक मंत्री हूँ”। बादशाह को गुस्सा आता है और धमकी देते है कि “अगर बीरबल ने एक हफ्ते में पेंटिंग नहीं बनाई तो मैं बीरबल को फांसी दे दूंगा”।

एक हफ्ते के बाद बीरबल, राजा अकबर को एक पेंटिंग देते हैं जिसमें सिर्फ जमीन और आसमान दिख रहा था। नाराज अकबर बीरबल से पूछते है कि वह क्या करने की कोशिश कर रहे थें। बीरबल कहते हैं कि उन्होंने अपनी कल्पना का इस्तेमाल किया और घास खाने वाली गाय के पेंटिंग को बनाया है। बीरबल आगे बताते हैं की उनकी कल्पना के अनुसार, गाय ने घास खा ली और वापस अपने घर में चली गई। इसलिए पेंटिंग में कोई घास या गाय नहीं है और सिर्फ जमीन और आसमान दिख रहा है। अकबर बहुत खुश हुए और बीरबल को उनकी त्वरित बुद्धि के लिए पुरस्कृत किया।

सीख 

स्मार्ट सोच आपको किसी भी मुश्किल स्थिति से बाहर निकलने में मदद कर सकती है।

8) केवल एक प्रश्न

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दूसरे राज्य का एक विद्वान दुनिया में सबसे चतुर होने का दावा करता है और उसका कहना है की उसके पास ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब बीरबल के पास भी नहीं होगा। अकबर के दरबार में पहुँचने पर, बीरबल को वह सौ आसान प्रश्नों या एक कठिन प्रश्न का उत्तर देने का विकल्प देता है। बीरबल ने कठिन प्रश्न का उत्तर चुना। फिर वह विद्वान पूछता है कि पहले क्या आया – मुर्गी या अंडा, तो बीरबल तुरंत जवाब देते हैं मुर्गी और फिर विद्वान पूछता हैं कि “बीरबल क्या आपके पास इस बात का कोई सबूत है?”, बीरबल ने उन्हें याद दिलाया कि उनके एक प्रश्न का उत्तर दे दिया गया है और वह अधिक उत्तर नहीं देंगे।

सीख 

आप किसी भी स्थिति को शांत और स्मार्ट तरीके से टाल सकते हैं।

9) राज्य के कौवे

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बादशाह अकबर और बीरबल राज्य के चारों ओर घूम रहे होते हैं तभी अकबर को अचानक कुछ कौवे दिखाई देते हैं। अकबर को आश्चर्य होता है कि उनके राज्य में कितने अधिक कौवे हैं, और फिर वह बीरबल से पूछते हैं की “बीरबल क्या तुम हमारे राज्य में कितने कौवे हैं यह बता सकते हो?”। बिना किसी हिचकिचाहट के, बीरबल राजा से कहते हैं, “नब्बे हजार दो सौ उनतालीस कौवे हैं।” अकबर उनसे पूछते है कि यदि कौवे की संख्या उनके द्वारा दी गई संख्या से अधिक हुआ तो। चतुर बीरबल राजा से कहते हैं कि, “यदि अधिक कौवे निकले, तो वे अन्य राज्यों के होंगे, और यदि कम कौवे निकले, तो कुछ कौवे छुट्टी पर चले गए होंगे।

सीख 

मन की उपस्थिति आपको किसी भी कठिन परिस्थिति से बचा सकती है।

10) अकबर की चोरी हुई अंगूठी

akbar birbal stories in hindi

एक बार अकबर ने एक अंगूठी खो दी जो उनके पिता ने उन्हें उपहार में दी थी। वह तुरंत बीरबल के पास पहुंचे और उनसे मदद मांगी। बीरबल ने कहा कि वह उनकी अंगूठी खोजने में मदद करेंगे। फिर बीरबल ने वहाँ उपस्थित दरबारियों से कहा कि “मैं जानता हूँ कि तुममे से किसी एक ने अंगूठी चुराई है”। अकबर ने गुस्से में पूछा कि “इनमें से किसने मेरी अंगूठी चुराई है”। बीरबल ने उत्तर दिया कि जिस दरबारी की दाढ़ी में तिनका है, उसी के पास बादशाह की अंगूठी है।

उसके बाद बीरबल, अकबर से बात चीत करने का नाटक शुरू करते है। उसी समय, चोर दरबारी ने तिनके की जाँच करने के लिए अपनी दाढ़ी को सहलाया। बीरबल ने उसकी ओर इशारा किया और अकबर से कहा कि वह अपराधी है।

सीख

एक दोषी हमेशा चतुराई के वजह से गलती कर देता है। 

11) मूर्ख चोर : Short Moral Stories For Kids Hindi

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एक बार की बात है, राजा अकबर के राज्य में एक धनी व्यापारी को लूट लिया गया। दुःख से व्याकुल व्यापारी न्याय की तलाश में अकबर के कचहरी में गया।

अकबर ने बीरबल से लुटेरे को खोजने में मदद करने के लिए कहा। व्यापारी ने बीरबल से कहा कि उसे शक है कि चोर उसका कोई नौकर हो सकता है।

व्यापारी का इशारा पाकर बीरबल ने सभी नौकरों को बुलाकर सीधी लाइन में खड़े होने को कहा। इसके बाद उसने सभी से चोरी के बारे में पूछा।

जैसा कि अपेक्षित था, सभी ने ऐसा करने से इनकार किया। फिर बीरबल ने उनमें से प्रत्येक को समान लंबाई की एक छड़ी सौंपी। बीरबल ने कहा, “कल तक डाकू की लाठी दो इंच बढ़ जाएगी”।

अगले दिन जब बीरबल ने सबको बुलाकर उनकी लाठी देखी तो नौकर की एक लाठी दो इंच छोटी निकली। बिना समय गवाए बीरबल ने घोषणा कर दी कि यह नौकर ही चोर है।

व्यापारी द्वारा असली चोर को खोजने के रहस्य के बारे में पूछे जाने पर, बीरबल ने कहा, “यह सरल था: चोर ने अपनी छड़ी को दो इंच तक काट दिया, इस डर से कि यह आकार में बढ़ जाएगी”।

सीख 

सत्य की हमेशा जीत होती है।

12) दुनिया का सबसे खूबसूरत बच्चा 

akbar birbal ki kahani

दरबार में राजा अकबर के पुत्र की सुंदरता की सभी ने प्रशंसा की। अकबर भी इस बात से सहमत था कि उसका बेटा दुनिया का सबसे खूबसूरत बच्चा था लेकिन बीरबल इसके लिए पूरी तरह राजी नहीं हुए। बीरबल के अनुसार अकबर का पुत्र अवश्य ही सुंदर था लेकिन पूरी दुनिया का सबसे सुंदर बालक नहीं था।

क्रोधित होकर, अकबर ने बीरबल को चुनौती दी कि वह उसके पास एक ऐसा बच्चा लाकर दे जो उसके बेटे से भी ज्यादा सुंदर हो और उसे गलत साबित करे। कुछ दिनों के बाद, बीरबल एक आम आदमी के भेष में एक गरीब महिला से मिलने के लिए अकबर को एक जगह ले जाते हैं। उनका बच्चा बेहद गरीब है और मिट्टी में खेलता है, बीरबल उसे दुनिया का सबसे खूबसूरत बच्चा कहते हैं।

अकबर इसका खंडन करते है और बच्चा रोने लगता है। यह सुनकर बच्चे की मां बाहर आती है और अकबर से लड़ने लगती है और अपने बेटे को दुनिया का सबसे खूबसूरत बच्चा कहती है। तब अकबर को समझ आता है कि माता-पिता के लिए उनका अपना बच्चा हमेशा पूरी दुनिया में सबसे सुंदर बच्चा होता है।

सीख 

हर माँ बाप के लिए अपना बच्चा प्रिय होता है ।

13) सबकी सोच एक जैसी है 

akbar birbal ki kahani

एक दिन जब अदालती कार्यवाही चल रही थी, अकबर ने देखा कि सभी के एक ही प्रश्न पर परस्पर विरोधी विचार थे और वे एकमत नहीं हो पा रहे थे। वह इस बात पर विचार करने लगे कि क्या कभी सब लोग एक जैसा सोच सकते हैं? भ्रमित राजा ने बीरबल से पूछा कि क्या वह उसे यह समझा सकते हैं?

बीरबल ने विनम्रता से जवाब दिया कि कभी-कभी लोग समस्या के आधार पर एक जैसे ही सोचते हैं। जब अकबर बीरबल से इसे साबित करने के लिए कहते हैं, तो बीरबल को एक विचार आता है जिसके लिए राज्य के सभी नागरिकों को महल में रखे विशाल टब में दूध का कटोरा डालने के लिए कहा जाता है। चूँकि सभी ने सोचा कि राजा की बेतुकी माँग पर कीमती दूध बर्बाद करने का कोई मतलब नहीं है, इसलिए सभी लोगों ने यह मानकर पानी का कटोरा डाला कि दूसरे लोग दूध डाल रहे होंगे और वे पकड़े नहीं जाएँगे। इससे आखिरकार बीरबल की बात साबित हो गई।

सीख 

आम लोगों की सोच एक जैसी होती है 

14) परमेश्वर क्या करता है : Akbar Birbal Ki Kahani

akbar birbal ki kahani

बीरबल ईश्वर में एक सच्चे विश्वासी थे और हमेशा इस बात पर कायम रहे कि ईश्वर के हर फैसले के पीछे हमेशा एक अच्छा कारण होता है। एक बार एक दरबारी, जो बीरबल से ईर्ष्या करता था, उसने अपने दुख को समझाया कि कैसे उसने एक उंगली खो दी और बीरबल से सवाल किया कि क्या वह अभी भी भगवान के इतने महान होने के विश्वास पर कायम है। बीरबल ने जवाब दिया की “जो कुछ भी होता है, आमतौर पर एक कारण से होता है”, जिससे दरबारी बहुत नाराज हुए।

तीन महीने बीत गए और एक दिन, जंगल में शिकार करते हुए दरबारी को आदिवासी लोगों के एक समूह ने पकड़ लिया। जब उन्होंने अपने देवता को प्रसन्न करने के लिए उसकी बलि देने का निश्चय किया, तब आदिवासी ने उसकी एक कटी ऊँगली देखा तो इसके वजह से वे लोगों ने उसका बलि नहीं दिया क्यूंकि उनके धर्म में ऐसा करना मना था । यह वही खोई हुई उंगली थी जिसने उसे उस दुखद दिन आदिवासियों से बचाया और आखिरकार उसे आज़ाद कर दिया गया।

अगले दिन दरबारी फिर बीरबल के पास गया और पूरी कहानी सुनाई कि कैसे कटी हुई उंगली ने उसकी जान बचाई और उसकी क्षमा भी मांगी।

सीख 

ईश्वर के हर फैसले में एक कारण होता है 

15) गलत आदत का एहसास : Akbar Birbal Stories in Hindi

akbar birbal ki kahani

अकबर अपने बेटे की खुद का अंगूठा चूसने की बुरी आदत को लेकर काफी परेशान थें। उन्होंने इस आदत को ठीक करने की बहुत कोशिश की, लेकिन कुछ भी काम नहीं आया। इसलिए उन्होंने मदद के लिए एक साधु को अपने दरबार में बुलाया। समस्या सुनने के बाद साधु ने बताया कि कुछ दिन बाद समाधान लेकर दरबार में आएंगे और यह कह कर साधु चले गए। साधु के इस व्यवहार से अकबर बहुत खिन्न हुआ।

कुछ दिनों के बाद जब साधु वापस आए, तो उन्होंने लड़के को उसकी बुरी आदत के परिणामों के बारे में समझाया और लड़के ने फिर कभी ऐसा न करने का वादा किया। अकबर गुस्से में था कि साधु पिछली बार ही ऐसा कर सकते थे और अन्य दरबारियों ने भी राजा से साधु को दंडित करने के लिए कहा। तब बीरबल कूद पड़े और समझाया कि चूंकि संत को स्वयं तम्बाकू चबाने की बुरी आदत थी, इसलिए वह राजकुमार को अपनी बुरी आदत छोड़ने के लिए नहीं कह सकते थे। लेकिन इस बार, संत साफ हो गए थे और वे आत्मविश्वास से यहां बात सकते हैं कि वे स्वयं क्या मानते हैं।

सीख 

पहले खुद की आदत सही करो फिर दूसरों की 

16) इनाम : Akbar Birbal Ki Story

इनाम : Akbar Birbal Ki Story

बीरबल की सूझबूझ और त्वरित प्रतिक्रिया से बादशाह अकबर बहुत खुश हुआ करते थे। बीरबल किसी भी समस्या का समाधान चुटकियों में कर देते थे। एक दिन बादशाह अकबर ने बीरबल की चतुराई से प्रसन्न होकर उनके लिए इनाम की घोषणा की।

काफी समय बीत गया और बादशाह अकबर इस घोषणा को भूल गए। उधर बीरबल कब से इनाम के इंतजार में बैठे थें। बीरबल असमंजस में थे कि सम्राट अकबर को इनाम की याद कैसे दिलाएं।

एक शाम बादशाह अकबर यमुना नदी के तट पर सैर का आनंद ले रहे थे, तभी उन्होंने वहाँ एक ऊँट को घूमते हुए देखा। ऊँट की गर्दन देखकर बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल, क्या तुम जानते हो ऊँट की गर्दन क्यों टेढ़ी होती है?”

बादशाह अकबर का सवाल सुनते ही बीरबल को मौका मिला कि वह उन्हें इनाम की याद दिलाएं। बीरबल ने झट से जवाब दिया, “हुज़ूर, दरअसल यह ऊंट किसी से किया वादा भूल गया था, तभी से इसकी गर्दन ऐसी हो गई है।

बीरबल ने आगे कहा, “लोगों का मानना ​​है कि जो वादा करके भूल जाता है, उसकी गर्दन ऐसे ही टेढ़ी कर दी जाती है।” बीरबल की बात सुनकर बादशाह हैरान रह गए और उन्हें बीरबल से किया अपना वादा याद आ गया।

उन्होंने बीरबल से महल में जल्दी जाने को कहा। महल में पहुँचकर बादशाह अकबर ने बीरबल को पुरस्कृत करते हुए पूछा, “क्या मेरी गर्दन ऊँट जैसी हो जाएगी?”

बीरबल मुस्कुराए और जवाब दिया, “नहीं हुज़ूर!” यह सुनकर बादशाह और बीरबल दोनों खिलखिलाकर हंस पड़े। इस तरह बीरबल ने बादशाह अकबर को बिना नाराज हुए उनका वादा याद दिलाया और अपना इनाम भी पाया।

सीख 

हमें दूसरों से किए गए वादों को पूरा करना चाहिए।

17) हँसी : Akbar Birbal Ki Kahani

हँसी : Akbar Birbal Ki Kahani

एक बार बादशाह अकबर बीरबल के साथ शिकार पर निकले। उनके साथ सेना की एक टुकड़ी और कुछ नौकर भी थे। जब सम्राट अकबर शिकार करके लौट रहे थे तो रास्ते में एक गाँव देखकर खुद के बारे में लोगों से जानना चाहा।

उन्होंने तुरंत बीरबल से पूछा, “क्या तुम इस गांव के बारे में कुछ जानते हो, मैं इस जगह के बारे में जानना चाहता हूं।”  बीरबल ने उत्तर दिया “ महाराज! मैं भी इस गांव के बारे में कुछ नहीं जानता। मैं भी पहली बार अपने राज्य के इस गांव की ओर आया हूं।”

अगर आप यहां के बारे में जानना चाहते हैं तो मैं किसी से पूछकर बताउंगा। तभी बीरबल की नजर एक व्यक्ति पर पड़ी। उन्होंने उसे पास बुलाकर पूछा-भाई! क्या आप इस गांव से हैं? यदि हां! तो मुझे इस गांव के बारे में सब कुछ बताओ। इस गांव में सब कुछ ठीक चल रहा है न?

वह आदमी बीरबल के सवालों का जवाब दे ही रहा था कि उसकी नजर बादशाह पर पड़ी। उसने तुरंत बादशाह अकबर को पहचान लिया। उस व्यक्ति ने कहा साहब आपके शासन में यहां कुछ बुरा कैसे हो सकता है? यहाँ सब कुछ अच्छा है। 

तब बादशाह अकबर ने उस व्यक्ति से पूछा- तुम्हारा नाम क्या है?

उस शख्स ने जवाब में कहा – मेरा नाम गंगा है।

राजा ने फिर कहा – पिता का नाम?

वह व्यक्ति बोला – जमुना।

यह सुनकर सम्राट ने पूछा कि तब निश्चय ही तुम्हारी माता का नाम सरस्वती होगा!

वह व्यक्ति बोला – नहीं साहब! मेरी माता का नाम नर्मदा है।

ये सब बातें सुनकर बीरबल हंस पड़े और मजाक में बोले बादशाह यहां से जाना ठीक नहीं है। यहाँ सभी नदियाँ हैं। हमारे पास नाव भी नहीं है, इसलिए आगे मत जाना। आगे बढ़ने के लिए नाव का होना जरूरी है, नहीं तो डूबने का डर बना रहेगा और ज्यादा देर यहां रहने से सब कुछ बह जाएगा।

बीरबल की यह बात सुनकर बादशाह अकबर भी जोर से हंस पड़े। वह व्यक्ति भी बीरबल का मजाक सुनकर मुस्कुराता हुआ चला गया।

सीख 

हमें हमेशा गंभीर होने की जरूरत नहीं है। जीवन में हंसी का भी बहुत महत्व है।

18) बेईमान लोग : Akbar Birbal Ki Kahani

बेईमान लोग : Akbar Birbal Ki Kahani

बादशाह अकबर और बीरबल एक दिन अकेले बैठे हुए किसी विषय पर बातें कर रहे थे। बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा कि “हमारी प्रजा बड़ी ईमानदार है।”

इसका जवाब बीरबल ने दिया कि जहांपनाह! किसी भी राज्य में हर कोई पूरी तरह ईमानदार नहीं होता है। सारी दुनिया बेईमान है।

बीरबल की यह बात बादशाह अकबर को पसंद नहीं आई। उन्होंने बीरबल से पूछा, “आप ऐसा क्यों कह रहे हैं?” बीरबल ने उत्तर दिया कि जहाँपनाह! मैं बिल्कुल सच कह रहा हूँ। आप चाहो तो अब मैं अपनी बात सिद्ध कर सकता हूं।” बीरबल का आत्मविश्वास देखकर बादशाह अकबर ने कहा, “ठीक है! जाओ अपनी बात साबित करो और दिखाओ।”

बादशाह अकबर की इजाज़त पाकर बीरबल पूरी जनता की बेईमानी को बाहर निकालने की तरकीबें सोचने लगे। उसने मन ही मन सोचा कि लोग खुलेआम बेईमानी नहीं करते हैं, इसलिए कुछ अलग करना होगा।

सब कुछ सोचने के बाद, बीरबल ने पूरे राज्य में घोषणा की कि “बादशाह अकबर एक बड़ा भोज आयोजित करना चाहते है। इसके लिए वह चाहते हैं कि सभी लोग इसमें अपना योगदान दें।

आप लोगों को ज्यादा कुछ नहीं करना है, बस बर्तन में ढेर सारा दूध डाल दें। जनता की तरफ से इतना योगदान काफी है।”  इसकी घोषणा करने के बाद एक-दो बड़े मटके अलग-अलग जगहों पर रख दिए गए।

उसके बाद सभी गांव वालों ने सोचा की “बाकी लोग तो दूध डालेंगे लेकिन मैं क्यों दूध बर्बाद करूँ मैं तो पानी डाल दूंगा, इतने सारे दूध में पानी किसी को नहीं समझ में आएगा”

यानी सबके मन में यही था कि सामने वाले ने दूध डाला होगा। अगर मैं पानी या दूध में पानी मिला दूं तो क्या होगा?

शाम तक वह बर्तन भर गया था। बीरबल, बादशाह अकबर और कुछ रसोइयों को अपने साथ उन जगहों पर ले गए  जहाँ बर्तन रखे गए थे।

बादशाह जिस किसी भी बर्तन में देखते, उन्हें दूध नहीं, केवल पानी ही नजर आता था। रसोइयों ने भी कहा कि साहब यह दूध नहीं है। इन सभी बर्तनों में पानी है।

यह सब देखकर बादशाह अकबर हैरान रह गए। उनके मन में ऐसा हुआ कि मैं सबको ईमानदार समझता था, लेकिन बीरबल की बात सच निकली।

उन्होंने बीरबल से कहा कि तुम ठीक कह रहे हो। मैं हकीकत समझ गया, यह कहकर बादशाह बीरबल और सभी लोगों के साथ महल में लौट गए। 

सीख 

किसी पर भी आंख मूंदकर भरोसा न करें।

19) हरा घोड़ा : Akbar Birbal Ki Kahani

हरा घोड़ा : Akbar Birbal Ki Kahani

एक शाम, बादशाह अकबर बीरबल के साथ अपने शाही बगीचे में घूमने के लिए निकले। वह बगीचा बहुत सुन्दर था। चारों ओर हरियाली थी और फूलों की मनमोहक सुगंध वातावरण को और भी मनोरम बना रही थी।

ऐसे में बादशाह ने न जाने क्या सोचा जब उन्होंने बीरबल से कहा, “बीरबल! हम इस हरे-भरे बगीचे में हरे घोड़े पर सवार होकर चलना चाहते हैं, इसलिए मैं तुम्हें आदेश देता हूं कि तुम सात दिनों के भीतर हमारे लिए एक हरा-भरा घोडा लाकर दोगे”

यदि तुम इस आज्ञा को पूरा करने में असफल रहते हो, तो मुझे अपना मुख कभी मत दिखाना। बादशाह और बीरबल दोनों इस बात से वाकिफ थे कि आज तक दुनिया में कभी हरा घोड़ा नहीं आया। फिर भी राजा चाहते थे कि बीरबल किसी बात में अपनी हार मान लें।

इसलिए उन्होंने बीरबल को ऐसा आदेश दिया। लेकिन बीरबल भी बहुत चतुर थे। वह अच्छी तरह जानते थे कि राजा उनसे क्या चाहते है। इसलिए वह भी सात दिन तक घोड़ा ढूंढ़ने के बहाने इधर-उधर घूमते रहें।

आठवें दिन बीरबल बादशाह के सामने दरबार में पहुँचे और बोले, “महाराज! आपकी आज्ञा के अनुसार मैं ने आपके लिये हरे रंग का एक घोड़ा तैयार किया है। लेकिन घोड़े के मालिक की दो शर्तें हैं।”

बादशाह ने उत्सुकतावश दोनों स्थितियों के बारे में पूछा तो बीरबल ने उत्तर दिया, “पहली शर्त तो यह है कि उस हरे घोड़े को लाने के लिए आपको स्वयं जाना होगा।” राजा ने यह शर्त मान ली।

फिर उन्होंने दूसरी शर्त के बारे में पूछा, बीरबल ने कहा, “घोड़े के मालिक की दूसरी शर्त यह है कि आपको घोड़ा लेने जाने के लिए सप्ताह के सात दिनों के अलावा कोई दूसरा दिन चुनना होगा।”

यह सुनकर राजा ने बड़े आश्चर्य से बीरबल की ओर देखा। बीरबल ने सरलता से उत्तर दिया, “महाराज! घोड़े के मालिक का कहना है कि हरे रंग का विशेष घोड़ा लाने के लिए उसे इन विशेष शर्तों को मानना ​​पड़ता है।”

बीरबल की यह चालाकी भरी बात सुनकर बादशाह अकबर खुश हो गए और मान गए कि बीरबल को उन्हें हराने के लिए राजी करना वाकई बहुत मुश्किल काम है।

सीख 

किसी भी प्रश्न का समाधान बुद्धि और विवेक से खोजा जा सकता है।

20) सबसे बड़ी चीज़ : Akbar Birbal Moral Stories in Hindi

सबसे बड़ी चीज़ 

एक बार की बात है। बीरबल दरबार में उपस्थित नहीं थे। इसका फायदा उठाकर कुछ मंत्री बीरबल के खिलाफ बादशाह अकबर के कान भरने लगे।

उनमें से एक कहने लगा, “महाराज! आप ही हर जिम्मेदारी बीरबल को देते हैं और हर काम में उनकी सलाह ली जाती है। इसका मतलब है कि हम अक्षम हैं। लेकिन ऐसा नहीं है, हम भी बीरबल जितने काबिल हैं।”

बीरबल महाराज के बहुत प्रिय थे। वह उनके खिलाफ कुछ भी सुनना नहीं चाहता था, लेकिन उन्होंने मंत्रियों को निराश न करने का उपाय निकाला।

अकबर ने मत्रियों से कहा, “मैं तुम सब से उत्तर चाहता हूँ।”

दरबारियों ने झिझकते हुए महाराज से कहा, “ठीक है महाराज! हम आपकी शर्त को स्वीकार करते हैं, लेकिन पहले आप प्रश्न पूछें। राजा ने कहा, “दुनिया में सबसे बड़ी चीज क्या है?”

यह सवाल सुनकर सभी मंत्री एक-दूसरे को घूरने लगे। उनकी दशा देखकर महाराज ने कहा, “याद रखो कि इस प्रश्न का उत्तर सही और सटीक होना चाहिए। मुझे कोई अटपटा जवाब नहीं चाहिए।”

इस पर मंत्रियों ने राजा से इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए कुछ दिनों का समय माँगा। बादशाह ने भी इस बात पर हामी भर दी। महल से निकलने के बाद सभी मंत्री इस प्रश्न का उत्तर खोजने लगे।

पहले ने कहा कि दुनिया में भगवान सबसे बड़ी चीज है, तो दूसरे ने कहा कि दुनिया में भूख सबसे बड़ी चीज है। तीसरे ने दोनों के उत्तर को अस्वीकार करते हुए कहा कि ईश्वर कोई वस्तु नहीं है और भूख भी सहन की जा सकती है अतः सम्राट के प्रश्न का उत्तर इन दोनों में से कुछ भी नहीं होगा।

समय धीरे-धीरे बीतता गया और सारे दिन बीतते गए। फिर भी सभी मंत्रियों को सम्राट द्वारा पूछे गये प्रश्न का उत्तर न मिलने पर अपने प्राणों की चिंता होने लगी। कोई उपाय न पाकर वे सभी बीरबल के पास पहुंचे और उन्हें अपनी पूरी कहानी सुनाई।

यह बात बीरबल को पहले से ही पता थी। उन्होंने मंत्रियों से कहा, “मैं तुम्हारा प्राण बचा सकता हूं, परन्तु जैसा मैं कहता हूं वैसा ही तुम्हें करना होगा।” सभी मंत्री बीरबल की बात से सहमत हो गए।

अगले ही दिन बीरबल ने एक पालकी का इंतजाम कर दिया। बीरबल ने दो मंत्रियों को पालकी उठाने का काम दिया, तीसरे को हुक्का पकडऩे और चौथे को जूते उतारने का काम दिया और स्वयं पालकी में बैठ गए। 

फिर उन सभी मंत्रियों को राजा के महल की ओर चलने का इशारा किया गया। जब सब लोग बीरबल को लेकर दरबार में पहुंचे तो महाराज यह दृश्य देखकर चकित रह गए। इससे पहले कि वह बीरबल से कुछ पूछते, बीरबल ने खुद बादशाह से कहा, “महाराज! दुनिया की सबसे बड़ी चीज “वज्र” है।

उन्हीं के वज्र से वे सब मेरी पालकी को इस स्थान पर लाए हैं। यह सुनकर महाराज की हंसी नहीं रुकी और सभी मंत्री शर्म से सिर झुकाए खड़े हो गए।

सीख 

किसी की काबिलियत से जलना नहीं चाहिए, बल्कि उससे सीखकर खुद को बदलना चाहिए।

21) अधिक सुंदर फूल

Akbar birbal stories in hindi

एक दोपहर सम्राट अकबर अपने मंत्रियों के साथ अपने शाही बगीचे में टहल रहे थे। उनके सभी मंत्री बगीचे में खिले फूलों की तारीफ कर रहे थे।

जैसे ही सम्राट एक विशेष रूप से सुंदर फूल की सुंदरता की प्रशंसा करने के लिए रुके, एक मंत्री ने कहा, “जहांपनाह, क्या सुंदर फूल है! इंसान इतनी खूबसूरत चीज़ें कभी नहीं बना सकता।” वहां बीरबल भी मौजूद थे। उन्होंने कहा, “नहीं, आप गलत हैं। मनुष्य अधिक सुंदर चीजें बना सकते हैं।” इस पर अकबर ने कहा, “नहीं बीरबल, मैं तुमसे सहमत नहीं हूँ।”

कुछ दिनों के बाद, बीरबल ने एक कुशल कारीगर को एक सुंदर संगमरमर के फूलों का गुलदस्ता बनाने का काम सौंपा। समाप्त होने के बाद, कलाकार ने अकबर को गुलदस्ता भेंट किया। अकबर बहुत प्रभावित हुआ। उसने गुलदस्ते की सुंदरता की प्रशंसा करते हुए उस व्यक्ति को सौ स्वर्ण मुद्राएँ दीं।

अगले दिन, एक लड़का अनोखे सुंदर असली फूलों का गुलदस्ता लिए हुए दरबार में आया। लड़के ने वही अकबर को भेंट किया। बादशाह अकबर फिर काफी खुश हुआ। गुलदस्ते की सुंदरता की प्रशंसा करने के बाद, उन्होंने लड़के को एक सौ चाँदी के सिक्के भेंट किए।

बीरबल इस अवसर पर उपस्थित थे। वह अपने स्थान से उठे, अकबर को विनम्रतापूर्वक प्रणाम किया और कहा, “हुजूर, आपने संगमरमर की नक्काशी के लिए सोने का सिक्का और असली फूलों के लिए चांदी का सिक्का दिया था। तो, आपके अनुसार, असली फूलों की तुलना में नक्काशी अधिक सुंदर थी।”

अकबर समझ गया कि उसके पास बीरबल की चतुराई का कोई जवाब नहीं है।

22) मालिक कौन है?

Akbar birbal stories in hindi

एक बार जब बादशाह अकबर अपने दरबार का संचालन कर रहे थें, तो उन्होंने बाहर से आने वाली तेज़ दलीलें सुनीं। तुरंत उन्होंने अपने एक गार्ड को आदेश दिया कि वह जाँच करे कि क्या हो रहा है। कुछ देर बाद पहरेदार दो आदमियों के साथ वापस अंदर आया और उन्हें अकबर के सामने पेश किया।

पहरेदार ने कहा, “हुजूर, वे बहस कर रहे हैं और एक दूसरे पर धोखा देने का आरोप लगा रहे हैं। अब वे आपके पास शिकायत लेकर आए हैं क्योंकि वे समाधान करने में असमर्थ हैं।” अकबर ने पहरेदार की बात सुनी और उन दोनों आदमियों से पूछा कि समस्या क्या है।

उनमें से एक आदमी ने जवाब दिया, “हुजूर, मेरा नाम उमर है। मैं एक व्यापारी हूँ। और यह आदमी मेरा नौकर है। मैं छह महीने पहले व्यापार और व्यवसाय के लिए समुद्र में गया था। एक सप्ताह पहले मैं समुद्र से वापस आया और देखा कि मेरा यह सेवक मेरा भेष धारण कर घर में आ गया है। वह खुद को उमर और मुझे उनका नौकर बता रहा हैं।”

इस पर दूसरे आदमी ने एतराज़ करते हुए कहा, “हुजूर, यह आदमी धोखेबाज़ है। वह मेरा नौकर है। मैं असली उमर हूं। जब मैं समुद्र में था तब उसने मेरी जगह ली।”

अकबर को यह बताने का कोई तरीका नहीं मिला कि कौन सच बोल रहा है। इसलिए वह मदद के लिए बीरबल के पास गएँ। बीरबल अपनी सीट से नीचे उतरे और दोनों आदमियों को फर्श पर मुँह के बल लेट जाने को कहा। दोनों ने बीरबल की बात सुनी और जमीन पर लेट गए। बीरबल ने उनसे कहा, “बिना हिले-डुले लेटे रहो। मैं आपको कुछ समय के लिए देखूंगा। और तब मैं निश्चित रूप से बता सकता हूँ – मालिक कौन है!”

कुछ पल बीते। तब बीरबल ने पहरेदार को पुकारा, “यहाँ आओ मुझे पता चल गया की कौन नौकर है और कौन ठग है। आओ और नौकर का सिर काट दो।” अब पहरेदार हैरान और परेशान था। फिर भी बीरबल की आज्ञा का पालन करते हुए वे उनकी ओर चलने लगे।

जैसे ही पहरेदारों के क़दमों की आहट हुई उनमें से एक आदमी ने मुँह फेर लिया, बैठ गया और बीरबल के पैरों पर कूद कर बोला, “हुजूर मुझे बचा लो! मैंने बहुत बड़ी गलती की है। मैं नौकर हूँ।”

अकबर ने नौकर को बुलाकर उसे अपने राज्य से बाहर निकाल दिया। असली उमर ने बीरबल और अकबर को उनकी मदद के लिए धन्यवाद दिया और खुशी-खुशी अपने घर वापस चला गया।

23) गरम लोहे की परीक्षा

Akbar birbal stories in hindi

एक बार अकबर के राज्य में एक न्यायाधीश के सामने कबीर और फकीर नामक दो झगड़ते हुए व्यक्ति उपस्थित हुए। कबीर ने फकीर पर कीमती चीज चुराने का आरोप लगाया था, जबकि फकीर ने इससे इनकार किया था। इस पर अकबर ने कबीर से पूछा कि उन्हें कैसे पता चला कि फकीर ने उनका कीमती सामान चुराया है।

कबीर ने उत्तर दिया, “महाराज, मैंने अपनी आँखों से फकीर को मेरी मेज की दराज से कीमती सामान लेते देखा है। उसे कहें की वह गर्म लोहा पकड़कर बताएं कि उसने चोरी नहीं किया है। यदि वह सच कह रहा है, तो परमेश्वर उसकी रक्षा करेगा।”

अब अकबर साहब मुश्किल में पड़ गए। भले ही उन्हें यह एहसास हो गया था कि शायद फकीर ने चोरी नहीं की, लेकिन अकबर को समस्या को हल करने का कोई तरीका नहीं मिला। उन्होंने दोनों आदमियों को एक दिन बाद फिर से आने का कहकर घर भेज दिया। शाम को अकबर ने जाकर बीरबल से एक उपाय पूछा। अगले दिन, जैसे ही अदालत शुरू हुई, दोनों आदमी अकबर के सामने पेश हुए।

अब अकबर ने कहा, “हां, मैं कबीर की बात से सहमत हूं। फकीर को अवश्य ही गरम लोहे की परीक्षा देनी चाहिए। अगर वह सच बोल रहा है तो भगवान उसकी रक्षा करेंगे।” यह सुनकर फकीर ने विरोध करना शुरू कर दिया कि यह कितना अनुचित है” और कबीर खुश हो गया। 

अकबर ने आगे कहा, “कबीर, मैं चाहता हूं कि आप अपने नंगे हाथ से गर्म लोहा लाकर फकीर को दे दें। चूंकि आप सच कह रहे हैं, भगवान आपकी रक्षा करेंगे।”

यह सुनकर कबीर चुप हो गया। कुछ देर बाद उसने अपने घर में फिर से कीमती सामान तलाशने के बारे में कुछ बुदबुदाया और हड़बड़ी में निकल गया। फकीर ने अकबर को मुसीबत से बचाने के लिए धन्यवाद दिया।

24) खिचड़ी

Akbar birbal stories in hindi

सर्दी के मौसम में बादशाह अकबर के राज्य में कड़ाके की ठंड थी। जब अकबर और बीरबल एक तालाब से गुजर रहे थे, तो उन्होंने देखा कि तालाब जम गया है। अकबर ने बीरबल से पूछा – “बताओ बीरबल, क्या कोई उस तालाब में कुछ मिनट से ज्यादा खड़ा रह सकता है?”

बीरबल ने जवाब दिया, “जहांपनाह, पैसे के लिए आदमी कुछ भी कर सकता है।” अकबर ने बीरबल से इसे सिद्ध करने को कहा।

अगले दिन बीरबल ने राज्य में घोषणा की कि जो कोई भी उस तालाब में एक रात के लिए खड़ा हो सकता है, उसे राजा द्वारा बहुत अच्छा इनाम दिया जाएगा।

अगले ही दिन एक बूढ़ा आदमी दरबार में हाजिर हुआ। वह दरिद्र था और उसके पास एक बड़ा परिवार था। बूढ़े व्यक्ति ने अकबर से तालाब के अंदर खड़े होकर रात बिताने की अनुमति मांगी ताकि बादशाह द्वारा उसे पुरस्कृत किया जा सके। अकबर राजी हो गए। 

सारे इंतजाम कर लिए गए। शाम को वह आदमी तालाब के अंदर गर्दन भर पानी में जाकर खड़ा हो गया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि बूढ़ा व्यक्ति धोखा न दे, एक पहरेदार रखा गया था।

अगली सुबह पहरेदार उस वृद्ध को दरबार में ले आया। सारी रात बर्फ के ठंडे पानी में रहने के कारण वह आदमी काँप रहा था। अकबर ने पूछा, “हे बूढ़े आदमी, तुमने इतनी बहादुरी कैसे हासिल की?”

उस आदमी ने जवाब दिया, “हुजूर, शुरुआत में यह बहुत कठिन था और मैंने हार मान ली। लेकिन तभी मैंने दूर तक एक दीया जलता हुआ देखा। मैं रोशनी की गर्माहट के बारे में सोचता रहा। इसने मुझे रात पार करने में मदद की।

इस पर अकबर ने उत्तर दिया, ”धोखेबाज़! तुमने पानी में रहने के लिए दीये की गर्मी का इस्तेमाल किया। आपको मुझसे एक पैसा नहीं मिलेगा। उन्होंने दरबारी से वृद्ध को ले जाने के लिए कहा।

बीरबल ने बिना कुछ कहे यह सब देखा। कुछ दिनों बाद बीरबल ने बादशाह अकबर को अपने घर दावत पर बुलाया। अकबर ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया। दावत के दिन अकबर दोपहर के समय बीरबल के घर पहुंचे।  बीरबल राजा को अंदर ले गए और उन्हें बैठने के लिए एक अच्छी तरह से सजा हुआ स्थान दिया।

हालाँकि, दोपहर के भोजन का समय बीत रहा था, लेकिन फिर भी अकबर के लिए कोई खाना नहीं आया। अकबर को भूख लगी और उसने बीरबल से पूछा, “बीरबल, क्या तुम्हारा दोपहर का भोजन तैयार है?”

बीरबल ने उत्तर दिया, “जहांपनाह, खिचड़ी पक रही है। एक बार यह हो जाने के बाद, आपको मिलेगा।”

उसके बाद एक घंटा बीत गया, अकबर को बहुत भूख लगी। पूछने पर बीरबल ने फिर वही उत्तर दिया।

अब अकबर अपने आसन से उठे और खाना के बारे में पूछताछ करने के लिए अंदर चले गए। उन्होंने देखा कि बीरबल आग के पास बगीचे में खड़े है, लेकिन आग पर कोई बर्तन नहीं था।

यह देखकर अकबर आश्चर्य हो उठें। उन्होंने बीरबल को डाँटा, “बीरबल, अगर खिचड़ी बन गई थी, तो तुमने अब तक परोस क्यों नहीं दिया?”

बीरबल ने उत्तर दिया, “हुजूर, यह अभी भी पक रहा है।” और पास ही एक नारियल के पेड़ की चोटी की ओर इशारा किया। अकबर ने नारियल के पेड़ के ऊपर एक बर्तन बंधा देखा।

अकबर गुस्से से भड़क उठे, ”अरे मूर्ख! क्या यह एक मज़ाक है? बर्तन आग से बहुत दूर है। गर्मी बर्तन तक कभी नहीं पहुंचेगी। और खिचड़ी कभी नहीं पकेगी।”

बीरबल ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया, “जहांपनाह, अगर गरीब आदमी को दूर के दीए से गर्मी मिल सकती है, तो इस आग से बर्तन को गर्मी क्यों नहीं मिल सकती।”

अकबर चुप हो गए। उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ और वह समझ गए कि बीरबल सिर्फ उन्हें अपने गलत फैसले का अहसास कराना चाहते थे। अकबर ने अपनी गलती स्वीकार की और बीरबल से उस आदमी को खोजने के लिए कहा ताकि उसे उचित इनाम दिया जा सके।

बीरबल मुस्कुराए और बादशाह के सामने झुक गए। और अकबर को स्वादिष्ट दोपहर का भोजन भेंट किया जो पहले से ही बना कर रखा हुआ था।

25) एक गधे का भार

Akbar birbal stories in hindi

एक बार बादशाह अकबर, बीरबल और उनके कुछ अन्य मंत्रियों के साथ स्नान करने के लिए नदी पर गए। चूंकि अकबर बीरबल पर सबसे ज्यादा भरोसा करते थें, इसलिए उन्होंने अपना सामान और कपड़े बीरबल को पकड़ने के लिए दे दिए और नदी में डुबकी लगा दी। 

यह देखकर अकबर के कुछ अन्य मंत्रियों ने भी बीरबल को अपने कपड़े धारण करने के लिए दे दिए और नदी में नहाने लगे। बीरबल बादशाह और अन्य मंत्रियों के कपड़े पकड़कर खड़े हो गए।

अकबर ने स्नान समाप्त किया और वापस नदी तट पर आ गए उनके साथ उसके मंत्री भी नदी में से उठे। बीरबल को नदी के किनारे कपड़े लिए हुए देखकर अकबर को यह दृश्य काफी मजेदार लगा और वो खुद को चुटकुला सुनाने से नहीं रोक सके। 

अकबर हसे और बोले, “बीरबल को देखो – गधे की तरह सारा भार उठा रहा है!” अन्य सभी मंत्री भी ठहाकों में शामिल हो गए। बीरबल पर हंसने का मौका इतना कम ही मिलता है!

अब बीरबल ने उत्तर दिया। “हाँ, हुजूर! मेरी तो गदहे से भी बुरी दशा है। एक गधा केवल एक गधे का बोझ उठाता है। मैं बहुत से गधों का बोझ ढो रहा हूँ।”

तुरंत सारी हँसी थम गई। अकबर समझ गया, वह एक बार फिर बीरबल की चतुराई से हार गया है।

26) जंगल में शिकार

Akbar birbal stories in hindi

अकबर को शिकार का बहुत शौक था और वह अपनी सेना के साथ पास के और दूर के जंगलों में लगातार यात्राएं करते थे । इस प्रक्रिया में कई जानवरों का शिकार किया गया। ऐसे ही एक मौके पर अकबर के साथ बीरबल भी गए थे।

घने जंगल के अंदर, जब वे तंबू गाड़ रहे थे और आराम कर रहे थे, अकबर ने दो पक्षियों को जोर से शोर करते और लड़ते हुए सुना। अकबर ने कुछ हल्का मज़ा लेने के लिए पूछा, “बीरबल, ये दोनों पक्षी किस बारे में बहस कर रहे हैं?”

बीरबल ने कहा, “जहांपनाह, वे दहेज की रकम तय कर रहे हैं। पहला, एक दूल्हे का पिता है और दहेज के रूप में जानवरों के बिना दो जंगल चाहता है। दूसरे हैं दुल्हन के पिता। वह कह रहा है कि वह दहेज के रूप में जानवरों के बिना केवल एक जंगल दे सकता है।

अकबर ने सुना और मुस्कुराया। पक्षियों ने अपनी लड़ाई जारी रखी। कुछ देर बाद अकबर ने फिर पूछा, “बीरबल, अब ये क्या बातें कर रहे हैं?”

बीरबल ने तुरंत जवाब दिया, “हुजूर, दुल्हन के पिता दूल्हे के पिता से कह रहे हैं, अगर वह छह महीने और इंतजार कर लें, तो यह जंगल भी बिना जानवरों के दहेज में दिया जा सकता है।”

अकबर को संकेत मिल गया और उसने अपनी शिकार यात्राओं को कम कर दिया।

27) सम्मान या डर?

Akbar birbal stories in hindi

बादशाह अकबर के राज्य में कई महीनों तक शांति रही। इसलिए अकबर यह सोचकर बहुत खुश हुआ कि लोग उसके कानूनों और आदेशों का पालन कर रहे हैं। उन्होंने एक दिन बीरबल को यह कहते हुए प्रोत्साहित किया, “बीरबल, मेरे राज्य के लोग मेरा सम्मान करते हैं। वे मेरी बात सुनते हैं।”

बीरबल ने कहा। “हुजूर, प्यार और सम्मान से ज्यादा, वे आपसे डरते हैं।” अकबर बीरबल की बात से सहमत नहीं थे। इसलिए बीरबल ने निर्णय लिया कि वे इस बात को सिध्द करेंगे।

अगले दिन अकबर शिकार के लिए जा रहे थे। जाने से पहले, बीरबल की सलाह के अनुसार, राज्य में घोषणा की गई कि, राजा शिकार करने जा रहे हैं। और राजा की इच्छा है कि जब तक वह दूर गए हैं, सभी लोग अपने आंगन में रखे टब में दूध डालें। लेकिन दिन भर किसी ने आकर दूध नहीं डाला।

अगले दिन जब अकबर वापस आये तो वह खाली टब को देखकर वह समझ गए कि लोग उनके आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं।

कुछ दिनों के बाद, बीरबल के सुझाव के अनुसार, फिर से घोषणा की गई कि राजा शिकार पर जा रहे हैं। और वह चाहते है कि उसके राज्य के लोग आंगन में रखे टब में दूध डालें। यह भी ऐलान किया गया कि इस बार बादशाह अकबर खुद लौटकर टब की जांच करेंगे।

अगले दिन जब अकबर शिकार से लौटा तो दूध से भरे टब को देखकर सुखद आश्चर्य हुआ। बीरबल ने कहा, “हुजूर, लोग आपकी इज्जत से ज्यादा डर के कारण बात मानते हैं। पहली बार उन्होंने आपकी बात नहीं मानी, क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि आप निरीक्षण करेंगे। परन्तु दूसरी बार यह जानकर कि आप अपनी जाँच करेंगे, उन्होंने आपके आदेश का पालन किया।” अब बादशाह अकबर को बीरबल की बात माननी पड़ी।

28) मोर पक्षी

Akbar birbal stories in hindi

एक बार एक चिड़िया पकड़ने वाला बादशाह अकबर के दरबार में आया और अकबर को उसने एक अत्यंत सुंदर पक्षी भेंट किया। उसमें सुंदर रंग थे – मोर की तरह। ऐसा पक्षी इससे पहले किसी ने नहीं देखा था। पक्षी पकड़ने वाले ने दावा किया कि यह एक दुर्लभ पक्षी है। और बड़ी मुश्किल से बादशाह अकबर के लिए उसे दूर जंगल से पकड़ा था।

यह सुनकर अकबर बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने पक्षी को लिया और पक्षी पकड़ने वाले को कई सोने के सिक्कों से पुरस्कृत किया। चिड़िया पकड़ने वाले ने अकबर को धन्यवाद दिया और चला गया।

दरबार में सभी सुंदर पक्षी की तारीफ कर रहे थे, लेकिन बीरबल चुप रहे। कुछ देर बाद उन्होंने एक सेवक से एक लोटा पानी लाने को कहा। नौकर ने कुछ ही मिनटों में पानी का जग बीरबल को सौंप दिया। बीरबल फौरन अपनी जगह से उठे और पानी का पूरा जग चिड़िया पर उड़ेल दिया। चिड़िया से रंग टपकने लगे तो सभी डर गए। सभी रंगों के नीचे, यह कबूतर था।

अकबर ने बीरबल से पूछा कि उन्हें यह कैसे पता चला। बीरबल ने कहा कि “पक्षी पकड़ने वाले के हाथ पर कुछ रंग के निशान थे, इसलिए मुझे शक हुआ।”

अकबर ने तुरंत अपने आदमियों को पक्षी पकड़ने वाले को खोजने का आदेश दिया और उसे दूसरों को धोखा न देने की चेतावनी दी। पक्षी पकड़ने वाले को दिए गए सोने के सिक्के ले लिए गए और इनाम के रूप में बीरबल को दे दिए गए।

29) उदार बीरबल

Akbar birbal stories in hindi

बादशाह अकबर बीरबल को उनकी तेज बुद्धि के लिए खूब इनाम दिया करते थे। बीरबल ने इस तरह बहुत संपत्ति अर्जित की और राज्य में अपना अच्छा नाम बनाया।

एक दिन एक आदमी बीरबल के घर आया और बीरबल को अपनी व्यथा सुनाने लगा। बीरबल ने धैर्यपूर्वक उस व्यक्ति से सहानुभूति रखते हुए उसकी समस्या सुनी।

कुछ देर बाद उस आदमी ने बीरबल से कहा, “मैं तुम्हारे घर आने के लिए कई मील चलकर आया हूँ। रास्ते भर सब आपकी उदारता की प्रशंसा करते रहे।

बीरबल अब समझ गए थे कि वह आदमी पैसे माँगने जा रहा है। तो उसने उस आदमी से पूछा, “क्या तुम इसी तरह अपने घर वापस जाओगे?”

उस आदमी ने हां में जवाब दिया। बीरबल ने उससे कहा, “एक काम करो। लौटते समय मेरी उदारता की जरा भी प्रशंसा न करना।” उस आदमी को इशारा मिल गया और वह जल्द ही निकल गया।

30) प्रश्न का उत्तर 

प्रश्न का उत्तर  Akbar birbal stories in hindi

एक बार अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल, क्या तुम मुझे बता सकते हो कि तुम्हारी पत्नी के हाथ में कितनी चूड़ियाँ हैं?” बीरबल ने उत्तर दिया, “हुजूर, मुझे याद नहीं है।”

अकबर ने आश्चर्य से कहा, “तुम रोज अपनी पत्नी का हाथ देखते हो। फिर भी, तुम नहीं जानते कि वह कितनी चूड़ियाँ पहनती है?”

बीरबल चुप थे और कुछ समय बाद, उन्होंने अकबर से अपने साथ शाही बगीचे में चलने का अनुरोध किया। जैसे ही वे बगीचे में दाखिल हुए, बीरबल ने पूछा, “जहापनाह, क्या आप जानते हैं कि आप अपने बगीचे में प्रवेश करने के लिए कितनी सीढ़ियाँ चढ़े थे?” अकबर मुस्कुराए और इस प्रश्न के पीछे का कारण समझ गए।

31) जोरू का गुलाम

एक बार की बात है अकबर बीरबल दोनो सभा में बैठे हुए थे। दोनो किसी बात को लेकर गंभीर चर्चा कर रहे थे ,अचानक अकबर बोले “अच्छा बीरबल ये बताओ कौन हैं, जो अपनी जोरू से डरता है।” बीरबल बोले “सब डरते है” अकबर ठहाके लगाके जोर जोर से हंसने लगे बोले मैं तो नही डरता तुम लोग सब जोरू के गुलाम हो।

अकबर बोले, अब मैं एक शर्त लगाता हूं जो भी इस राज्य में जोरू का गुलाम होगा वो हमारे यहाँ दो जानवर लेके आयेगा और जमा करेगा। फिर क्या था रोज अलग अलग जानवर अकबर के महल में आने लगे और जमा होने लगे देखते ही देखते पूरे महल और बगीचे में बहुत सारे जानवर भर गए। तब बीरबल बोले “महाराज ये गलत हो रहा है, हर जगह इंसानों से ज्यादा जानवर हो गए है अब ये शर्त वापस ले लो वरना बहुत गंभीर परस्थिति हो सकती है।” पर अकबर ने इस बात को गंभीर रूप से सोचा नहीं और बात को टाल दिए।

बीरबल बहुत ही परेशान हो गए और सोचे कैसे इससे छुटकारा मिले फिर उन्होंने बहुत अच्छा उपाय सोचा और बोले महाराज अकबर को अब मैं फँसा सकता हूँ। बीरबल जाके दरबार में बोले “जहाँपनाह आपके लिए एक पण्डित जी ने बहुत अच्छा रिश्ता भेजा है। उनकी बेटी बहुत ही खूबसूरत है। जिसके साथ आपका विवाह प्रस्ताव भेजा हैं आपको विवाह करना चाहिए क्योंकि इतनी नायाब खूबसूरत लड़की के साथ विवाह करने के सिर्फ आप ही हकदार हो” इतना सुन महाराज अकबर तपाक से बोल पड़े बीरबल तुम्हारा दिमाग तो ठीक है ना मैं शादी शुदा हूं मेरी दो बीवियां है मैं कैसे करूंगा वो जीने नही देंगी हमे। इतना सुन बीरबल बोले महाराज फिर तो आप भी दो मुर्गी जमा करदो मेरे पास क्योंकि आप भी जोरू के गुलाम निकले।

अबतक अकबर को बीरबल के सारे बातो का मतलब पता चल चुका था अकबर मुस्कुराने लगे बोले बीरबल तुमसे कोई नही जीत सकता। अब मैं अपनी बात वापस लेता हूँ। इन जानवर को आजाद कर दो महल से इतना सुनकर बीरबल हसने लगे बोले ये हुई ना बात अब कभी ऐसा मत करना। अकबर भी मुस्कुरा कर बोले जैसे तुम्हारी मर्जी बीरबल और दोनो खुशी से राजदरबार में चले गए।

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निष्कर्ष 

Akbar Birbal Stories With Moral in Hindi का अपना अलग ही मजा होता है क्यूंकि इससे छोटे बच्चों से लेकर बड़े सभी को बहुत कुछ सीखने को मिलता है। 

इतने सारे Akbar and Birbal Moral Stories in Hindi को पढ़कर आपको भी कई सारे सीख मिले होंगे। यह सभी कहानियाँ मनोरंजक भी हैं और सीख दे वाली भी। 

हमें आशा है की यह ब्लॉग पोस्ट पढ़ने के बाद आपके सवाल Akbar Birbal Ki Kahani के बारे में अच्छे से समझ में आ गया होगा। अगर आप चाहते हैं की दूसरों को भी अकबर बीरबल की कहानियों के बारे में पता चले तो इसे शेयर जरूर करें। 

FAQ 

Q: अकबर का जन्म कब हुआ था?

Ans: अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 को हुआ था। 

Q: बीरबल का जन्म कब हुआ था?

Ans: बीरबल का जन्म 1528 को हुआ था।

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