मार्केटिंग में Case Study क्या है? 3 मिनट में जानें (2023) | What is Case Study in Marketing in Hindi?

अगर आप एक मार्केटर हो तो आपने केस स्टडी के बारे में जरूर सुना होगा लेकिन अगर आप अच्छी तरह से जानना चाहते हैं की मार्केटिंग में केस स्टडी क्या होता है? इसके मेथड क्या है? और इसके लाभ & हानि क्या है तो आप बिलकुल सही जगह पर आये हैं – Case Study in Marketing in Hindi?

इस पोस्ट में मैं आपको बताऊंगा की कैसे आप केस स्टडी का इस्तेमाल अपने मार्केटिंग में करके लीड को कस्टमर में कन्वर्ट कर सकते हो. 

मार्केटिंग में केस स्टडी क्या है? – What is Case Study in Marketing in Hindi?

मान लो आपने एक साल पहले अपने किसी कस्टमर को अपने प्रोडक्ट या सर्विस प्रोवाइड करके उनके समस्या का हल निकाला अब आप अपने दूसरे कस्टमर को इसी चीज़ को समझाने के लिए जिस कंटेंट का इस्तेमाल करते हैं उसे ही केस स्टडी कहा जाता है.

केस स्टडी में मुख्यतः टेक्स्ट और इमेज होते हैं जिसका इस्तेमाल करके आप अपने नए कस्टमर को समझाते हैं की कैसे हमने अपने पुराने कस्टमर के समस्या को आसानी से हल किया था. 

केस स्टडी का इस्तेमाल मुख्य रूप से B2B मार्केटिंग में प्रोडक्ट का इस्तेमाल करके पुराने कस्टमर के समस्या को कैसे हल किया इसके बारे में बताने के लिए किया जाता है.

मार्केटिंग के लिए केस स्टडी क्यों जरुरी है? – Need of Case Study in Marketing in Hindi?

जैसे की मैंने बताया केस स्टडी का इस्तेमाल मुख्य रूप से B2B बिज़नेस में किया जाता है क्यूंकि B2B बिज़नेस में प्रोडक्ट या सर्विस की कीमत बहुत अधिक होती है इसलिए कंपनी का कोई भी बड़ा अधिकारी प्रोडक्ट या सर्विस को खरीदने से पहले उसके बारे में रिसर्च करता है.

मान लो आप वेबसाइट बनाते हैं और आप किसी दूसरी बड़ी कंपनी का वेबसाइट बनाना चाहते हैं तो इसके लिए  आपको सबसे पहले एक केस स्टडी तैयार करना होगा की कैसे आपने किसी दूसरे कंपनी का पुराना वेबसाइट नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके अच्छा बनाया और फिर वह केस स्टडी आपको बड़ी कंपनी को दिखाना होगा जिससे वे आपके काम को समझ सकें और आपके वेबसाइट बनाने का प्रोजेक्ट दे सकें. 

जब भी कोई कस्टमर ऐसे प्रोडक्ट या सर्विस को खरीदना चाहता है जिसका कीमत बहुत अधिक है तो फिर वह ऑनलाइन केस स्टडी पढता जिससे वे समझ पाते हैं की कैसे कोई कंपनी मेरे प्रॉब्लम को दूर कर सकती है इसलिए आपको भी मार्केटिंग करने के लिए केस स्टडी बनाना जरुरी है.

मार्केटिंग के लिए केस स्टडी कैसे बनाये? – How To Make Case Study in Hindi?

वैसे तो केस स्टडी को बनाने के लिए कोई रूल नहीं है लेकिन इसमें कुछ ऐसी चीज़ें हैं जिसका इस्तेमाल हमेशा किया जाता है जैसे की:

क्लाइंट के बारे में बताये : 

केस स्टडी का इस्तेमाल मुख्य रूप से B2B प्रोडक्ट या सर्विस के मार्केटिंग के लिए किया जाता है इसलिए केस स्टडी बनाते समय आप क्लाइंट के बारे में जरूर बताये जिनको आपके प्रोडक्ट या सर्विस से फायदा हुआ था ऐसा करने से जब कस्टमर आपके केस स्टडी पढ़ेंगे तो आपके पुराने क्लाइंट का जानकर वे आपके प्रोडक्ट  विश्वास करना शुरू हैं.

मार्केटिंग के लिए केस स्टडी कैसे बनाये? - How To Make Case Study in Hindi?

समस्या के बारे में बताये : 

अब आप उस समस्या के बारे में बताएं जिसे आपने हल किया था, इसमें आप यह भी बताएं की कैसे आपका प्रोडक्ट और सर्विस उस समस्या को हल करने के लिए सबसे अच्छा है.

कैसे आपने समस्या हो हल किया बताएं :

इसमें आपको यह बताना है की कैसे आपके प्रोडक्ट या सर्विस ने आपके क्लाइंट के प्रॉब्लम को हल किया, आपको डिटेल में यह बताना होगा की कैसे आपका प्रोडक्ट या सर्विस दूसरों से कैसे अलग है.

नतीजा क्या निकला यह भी बताएं :

अब अंत में आपके प्रोडक्ट या सर्विस का इस्तेमाल करने के बाद क्या नतीजा निकला यह अच्छी तरह से बतायें इससे जो भी कस्टमर आपके केस स्टडी को पढ़ेगा अगर वह देखेगा की आपके प्रोडक्ट या सर्विस का इस्तेमाल करके लोगों के समस्या खत्म हो रहा है तो वे आपके प्रोडक्ट में रूचि दिखाएँगे. 

मार्केटिंग में केस स्टडी के प्रकार और उदाहरण – Types of Case Study in Hindi?

मार्केटिंग में दो प्रकार के केस स्टडी होते हैं पहला है इंटरनल और दूसरा है एक्सटर्नल केस स्टडी:

इंटरनल केस स्टडी : जब आप अपने किसी मार्केटिंग कैंपेन के बारे में बताते हैं की कैसे आपने कैंपेन का इस्तेमाल करके अधिक से अधिक कन्वर्शन लाया है इसे ही इंटरनल केस स्टडी कहा जाता है. इंटरनल केस स्टडी का अर्थ है अपने खुद के सफलता के बारे में बताना. 

उदाहरण : जोमैटो कंपनी गूगल Ads का इस्तेमाल करके अपने कैंपेन का प्रचार करती है जिससे की उनके ग्राहक भी बढ़ते हैं अब जोमैटो इसे इंटरनल मार्केटिंग के तौर पर दिखा सकती है.

एक्सटर्नल केस स्टडी: जब किसी कस्टमर को आपके प्रोडक्ट या सर्विस से कुछ फायदा होता है और उसे आप केस स्टडी के सहायता से अपने दूसरे कस्टमर को बताते हैं तो उसे ही एक्सटर्नल केस स्टडी कहा जाता है.

उदाहरण : गूगल के Ads का इस्तेमाल करके जोमैटो कंपनी को फायदा हुआ अब गूगल एक केस स्टडी बना सकता है और उसमे बता सकता है की कैसे उसके कस्टमर को Ads का इस्तेमाल करके फायदा हुआ इसे ही एक्सटर्नल केस स्टडी कहा जाता है.

केस स्टडी के लिए मार्केटिंग प्लान कैसे बनाये?

इस बात का ध्यान रखें की केस स्टडी का इस्तेमाल करके आप अपने नए कस्टमर बनाने जा रहे हो इसलिए अपने केस स्टडी में सही और अधिक से अधिक डाटा रखने की कोशिश करें. 

केस स्टडी मार्केटिंग प्लान बनाने के लिए निचे स्टेप बताया गया है:

स्टेप 1 : सबसे पहले अपने सेल्स टीम के साथ बैठें और अपने प्रोडक्ट, प्रॉब्लम क्या था? और कस्टमर कौन था इसके बारे में पूरी जानकारी निकाल लें

स्टेप 2 : अपने क्लाइंट इंटरव्यू लें और उनके बिज़नेस के बारे में अच्छे से पूछे और यह भी पूछे की कैसे आपके प्रोडक्ट ने उनके प्रॉब्लम का हल निकाला था. 

स्टेप 3 : एक बार जब आपके पास डाटा हो तो उसका इस्तेमाल करके पूरा रिसर्च करें जिससे की आप ठोस सबूत दे सकते हैं.

स्टेप 4 : अब एक टेम्पलेट बना लें और ऊपर जैसे मैंने बताया था की केस स्टडी कैसे बनायें उन सभी स्टेप का इस्तेमाल करें और केस स्टडी के लिए एक अच्छा से टाइटल ढूंढें.

स्टेप 5 : अब जब आपका केस स्टडी तैयार हो जाता है तो उसे पब्लिश करने से पहले अपने कस्टमर का अप्रूवल जरुर लें.  
अगर बात करें केस स्टडी किनता लम्बा होना चाहिए तो मेरे हिसाब से आप 300-500 वर्ड के अंदर के अच्छा केस स्टडी बना सकते हैं. अंत में केस स्टडी को एक स्क्रिप्ट में भी परिवर्तित कर दें ताकि आप वीडियो भी बना सकें.

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हमें आशा है की यह पोस्ट पढ़ने के बाद आपके सवाल मार्केटिंग में केस स्टडी क्या है? (Case Study in Marketing in Hindi?) इसके प्रकार? इसे कैसे बनाते हैं? इन सभी का जवाब आपको आसानी से मिल गया होगा तो बिना देर किये आप भी मार्केटिंग में सफल होने के लिए केस स्टडी बनाना शुरू करें. 

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