हम बचपन से ही शेर की कहानियों को सुनते आएं हैं और जितना मजा हमें तब सुनने में आता था उतना ही मज़ा आज भी आता है। आज के ज़माने में लोग ऑनलाइन sher ki kahani पढ़ना पसंद करते हैं इसलिए इस ब्लॉग पोस्ट में मैंने सबसे अच्छे शेर की कहानियों को बताया है।
शेर की कहानी सुनने और समझने से हमें जिंदगी के बारे में जबरदस्त सीख मिलती है, ये कहानियाँ हमें सिखाती है की हमारा जीवन कितना मूल्यवान है इसे हमें ऐसे ही नही गवाना चाहिए और हमें अपनी शक्ति, ताकत, एवं साहस का सही इस्तेमाल करना चाहिए।
शेर की कहानियाँ बच्चों को जरूर सुनानी चाहिए जिससे उनका मनोरंजन तो होता ही है और इन कहानियों से उन्हें अच्छी खासी सीख भी मिलती है। प्रेरक कहानियाँ सुनकर बच्चों को सही और गलत का अंतर् आसानी से समझ में आता है।
आप जितना ध्यान लगाकर और अच्छे से शेर की कहानियां पढ़ते हैं वह कहानी आपको उतने ही अच्छे से समझ में आती है इसलिए इस ब्लॉग पोस्ट को अंत तक ध्यान से पढ़ें।
शेर की कहानी – Sher ki Kahani
नीचे आप 9 से भी अधिक sher ki kahani को पढ़ सकते हैं और मनोरंजन लेने के साथ अच्छी बातें भी सीख सकते हैं।
1) शेर और हाथी की कहानी
एक जंगल में एक खूंखार शेर रहता था वह बहुत ज्यादा घमंडी था, जंगल की सारे जानवर डर के मारे उससे दूर रहते थे। एक दिन शेर जंगल की सैर करने निकाल पड़ा, रस्ते पर उसे एक खरगोश मिला, शेर ने खरगोश से पूछा,”बताओ मुझे इस जंगल का राजा कौन?” खरगोश ने डरते हुए कहा,”महाराज! आप और कौन? शेर हंसते हुए आगे चला जाता है ।
रस्ते में शेर को हिरण मिला, शेर ने वही सवाल उससे पूछा,”बताओ इस जंगल का राजा कौन? हिरण ने डरते हुए कहा,”महाराज! आप के सिवा और कोन हो सकता है।” शेर को मनचाहा जवाब लेकर बहुत खुशी मिल रही थी वह हस्ते हुए आगे बढ़ जाता है। रास्ते में शेर को एक भालू मिला, शेर ने फिर उससे पूछा,”बताओ इस जंगल का राजा कौन? फिर भालू डरते हुआ वही बोला जो सब बोले।
शेर अकड़ता हुआ और अपना रौब दिखाते हुए आगे बढ़ जाता है आगे जितने भी जानवर उसे मिलते सबसे शेर वही सवाल करता ओर अपना मनचाहा जवाब पाकर खुश होता और आगे बढ़ जाता। आगे चलकर उसी रास्ते से एक हाथी आ रहा था,” शेर ने फिर वही सवाल उस हाथी से पूछा,”बताओ मुझे इस जंगल का राजा कौन है?”
हाथी पहली से ही बहुत ज्यादा गुस्से में था ओर शेर की फालतू बात सुनकर उसको और भी ज्यादा गुस्से आ गया, तभी हाथी ने शेर को अपने सूंड में फसाकर ऊपर की ओर उछालकर जमीन पर पटक दिया। फिर हाथी ने शेर से पूछा, अब बताऊं इस जंगल का राजा कौन।”
हाथी से मार खाकर शेर को बहुत दर्द हो था उसने कहा,” नहीं हाथी भाई! मुझे अपनी ताकत का बहत ज्यादा घमंड हो गाया था अब मैं अच्छे से समझ गया की हर जगह अपनी हेकड़ी नहीं दिखानी चाहिए।”
कहानी से सीख:
शेर और हाथी की इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है की अपनी ताकत का घमंड़ कभी नही करना चाहिए।
2) शेर और हिरण की कहानी
एक दिन एक हिरण अपने जंगल में टहलते टहलते किसी दूसरे जंगल में जा पहुंचा, वह अपना रास्ता भटक चुका था उसे समझ नही आ रहा था की वो वहां कैसे पहुंच गया। चलते चलते रास्ते में उसे एक बारहसिंगा मिलता है जो हिरन को देखते ही पहचान जाता है की ये हमारे जंगल का नही है। बारहसिंगा ने हिरण से पूछा,”तुम तो इस जंगल के नही हो, तुम यहां कैसे आ गए?”तभी हिरण ने उसे बताया,”हां भाई! मैं अपने जंगल का रास्ता भटक गया हूं पता नही यहां कैसे आ गया, वापस जाने का रास्ता ढूंढ रहा हूं।”
तभी बारहसिंगा ने उसे बताया,”अच्छा होगा अगर तुम जल्दी अपने जंगल वापस लौट जाओगे क्योंकि इस जंगल में बहत जंगली जानवर है जो दूसरों को मारकर खा जाते हैं अगर तुम्हे किसी ने देख किया तो मुसीबत में फस जाओगे।”इतना कहकर बारहसिंगा वहां से चला जाता है। तभी हिरन सोचता है ये फालतू ही मुझे डरा रहा है कितना सुंदर है ये जंगल, अब मैं यहां से घूमकर ही अपने घर जाऊंगा।
चलते चलते अचानक उसका पैर एक सोए हुए शेर पर पड़ा, शेर उसे देखती ही झोर से गुर्राया ओर बोला,” तुम्हारी इतनी हिम्मत तुने मूझपर पैर रखा।” हिरण बेचारा डर के मारे अपनी जान बचाकर तेजी से भागने लगा, तभी शेर भी उसका पीछा करने लगता है भागते भागते हिरण अपने जंगल के रास्ते पर जाने लगाता है लेकिन फिर भी हिरण खुद को उस शेर से बचा नही पता और शेर उसे मारकर खा जाता है।
अब शेर को नए जंगेल का रास्त मालूम हो चुका था शेर ने आगे जाकर देख तो वहां बहुत सारे हिरण थे शेर का मन लालच में आ गया, एक एक करके उसने हिरण को खाना शुरू कर दिया। इससे जंगल के सारे हिरण अब असुरक्षित और डर हुए थे तभी उनके सरदार ने कह,”हमें कुछ करना होगा नही तो शेर सबको खा जाएगा।”
उसमे से एक छोटा हिरण बोलता है,”सरदार मुझे लगाता है हमें पंद्रह दिनों तक झाड़ियों में छुप जाना चाहिए। हम सब इक्कीस दिनों तक भुखे रह सकते हैं लेकिन मैंने सुना है शेर केवल पंद्रह दिनों तक ही भूखा रह सकता है अगर हम छुप जाएंगे, ये हमें ना पाकर यहां से चला जाएगा।”
सभी ने उस बच्चे की बात मान कर पंद्रह दिनों तक झाड़ियों में छुपे रहते हैं जब शेर को कोई भी हिरण नहीं मिलता है वह अपने जंगल वापस लौट जाता है। सारे हिरण उस छोटे से हिरण की तारीफ करते हुए बोलते हैं,”क्या बात है तुम्हारा सुझाव बहुत अच्छा था तुमने तो हम सबको बचा लिया।”
कहानी से सीख
इस कहानी सी हमें ये सीख मिलती है की समझदार कोई भी हो सकता है चाहें वो छोटा हो या बड़ा।
3) चालाक लोमड़ी और बूढ़ा शेर
बहुत समय पहले की बात है एक जंगल मे एक बूढ़ा शेर रहता था। धीरे धीरे उसकी शक्तियां एकदम कम हो गईं थी उसमें इतना भी दम नहीं था की वो जंगल में जाकर अपना शिकार कर सके, यहां तक की शेर के भुखे मरने की नौबत आ गई थी। एक दिन वह अपनी गुफा में बैठकर सोचने लगा, “अगर यही हालत रहेगी तो एक दिन मैं भूखा ही मर जाऊंगा, मुझे कुछ तो सोचना होगा, जिससे बैठे बिठाए भोजन की व्व्यस्था हो जाए।”
तभी उसे एक सुझाव आया उसने एक कौवे के जरिए पूरे जंगल में अपने बीमार होने की खबर फैला दी। जिससे एक एक करके सारे जानवर शेर का हालचाल लेने उसके गुफा में जाते, शेर भी इसी ताक में था जैसे ही की जानवर उसकी गुफा में जाता वह उसे दबोचकर मार डालता और छुपकर उसका मांस खाता।
ऐसे हर दिन कोई न कोई जानवर शेर को देखने आता और सबके साथ शेर वही करता सबको मारकर खा जाता ऐसे उसे बिना मेहनत किए भरपेट भोजन मिलने लगा। शेर बड़े मजे में रहने लगा उसे अब जंगल में खाने के लिए भटकना नहीं पड़ता था।
एक दिन एक लोमड़ी उसे देखने आया जो बहुत चालक थी वह गुफा में नही गई उसने बाहर से ही शेर का हालचाल पूछा, महाराज! आपकी तबीयत कैसी है अब आप अच्छा महसूस कर रहें है।” तभी शेर ने फुसलाते हुए लोमड़ी से कहा,” कौन हो मित्र अंदर तो आओ मैं बूढ़ा बीमार शेर हूं तुमसे बाहर मिलने भी नही आ सकता, मेरी आंखें अच्छे से देख भी नही सकती, मेरे पास आओ आखिरी बार मिल लो कुछ ही दिनों का मेहमान हूं।”
फिर लोमड़ी ने कहा,”माफ करिए महाराज! लेकिन मैं आपके गुफा में नही आ सकती, क्योंकि आपके गुफा में जानवरों के जाते हुए पैरों के निशान तो दिखाई दे रहे लेकिन बाहर आते हुई नही, मुझे अब सब कुछ समझ में आ गया है अगर मैं भी अंदर आ गई तो उनकी तरह मैं भी मारी जाऊंगी, मैं आपकी इन मीठी बातों में नहीं आने वाली।”
इतना कहकर लोमड़ी वहां से जंगल की ओर चली जाती है वहां जाकर वह बूढ़े शेर की करतूत सारे जानवरों को बताती है उसके बाद से कोई भी जानवर शेर से मिलने नही जाता। शेर के दिन फिर पहले जैसे हो गए थे। इस तरह अपनी चतुराई और बुद्धिमानी से लोमड़ी ने ना सिर्फ अपनी जान बचाई, बल्कि जंगल के सारे जानवरों को शेर का शिकार होने से बचा लिया।
कहानी से सीख
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा आपने दिमाग से काम लेना चाहिए।
4) शेर और मधुमक्खी की कहानी
एक समय की बात है एक जंगल में एक शक्तिशाली शेर रहा करता था। शेर की गुफा के पास ही एक मधुमक्खियों का छत्ता था, मधुमक्खियों अकसर गुफा की पास चली जाती ओर फूलों का रस लेकर अपने छाते में वापस चली आतीं। शेर उनको हर बाद देखता, शेर को बिल्कुल नही पसंद था की कोई इस तरह उसकी गुफा में जाए।
एक दिन मधुमक्खियों की रानी शेर की गुफा के पास जाती है मधुमक्खियों की रानी अपने आकार में औरों मधुमक्खियों से बड़ी थी जब शेर ने रानी को देखा तब उसे और भी ज्यादा गुस्सा आने लगा। शेर ने ज़ोर ज़ोर से आवाज देकर रानी को अपने पास बुलाया ओर उसपर चिल्लाते हुऐ कहा,”तुम लोग दिन भर मेरी गुफ़ा के आस पास मंडराती रहती हो तुम्हरे पास कोई और काम है की नही? अब अगर तुम या तुम्हारी कोई भी मधुमक्खी यहां नज़र आई तो मैं सबको मार डालूंगा।”
शेर की बात सुनकर मधुमक्खियों की रानी ने बोला,”शेर महाराज! मैं मधुमक्खियों की रानी हूं हम सब तो यहां जंगल के फुलों का रस लेने आते हैं जिनसे हम शहद बनाते है ओर वैसे भी इन फुलों पर तो सभी का हक है।” रानी की बात सुनकर शेर को और भी ज्यादा गुस्सा आने लगा, वह बोला,” तुम तो इस छत्ते में रेहने वाले कुछ मधुमक्खियों की रानी हो लेकिन मैं इस पूरे जंगल का एक राजा हूं मेरी बात ध्यान से सुनो, तुम जब भी यहां पर आती हो मुझे प्रणाम किया करो, नही तो मैं तुमलोग को चिटियों की तरह मसल कर रख दूंगा।”
शेर की इस तरह की बाते सुनकर रानी खुद को अपमानित महसूस कर रही थी, उसने अपने छाते में जाकर सारी मधुमक्खियों को पूरी बात बताई, अपनी रानी की इस बेज्जती से उन्हे शेर पर बहुत गुस्सा आ रहा था तभी सारी मधुमक्खियों ने शेर से बदला लेना की ठान ली।
एक दिन शेर घूमते हुए मधुमक्खियों के छाते से गुजर रहा था, तभी सारी मधुमक्खियों ने शेर पर हमला बोल दिया और उसे काटने लगी, शेर दर्द के मार ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रहा था लेकिन मधुमक्खियों ने उसे नही छोड़ा। शेर को सारी बातें समझ में आ गई थी की सारी मधुमक्खियों उससे बदला ले रही है वह अब किसी भी तरह से अपनी जान बचाना चाहता था तभी शेर भागने लगा फिर भी मधुमक्खियों ने उसका पीछा करना नही छोड़ा।
भागते भागते शेर एक नदी में कूद जाता है जैसे ही वह नदी में गया सारी मधुमक्खियों ने उसका पीछा छोड़ दिया। इस तरह से शेर ने पानी में कूदकर अपनी जान बचाई, मधुमक्खियों के हमले के बाद वह डर के मारे अपनी गुफा में नही आया।
कहानी से सीख
शेर की इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है की हमे किसी को बिना वजह परेशान नहीं करना चहिए, एकता में बड़ी शक्ति होती है एकता की शक्ति से छोटे से छोटा जीव भी बड़े जीवों पर भारी पड़ सकता है।
5) शेर और ईमानदार गाय
एक गांव में रामसिंह नाम का एक किसान रहता था उसके पास बहत सारी गाएं थी लेकीन सारी गायों में एक सीता नाम की गाय जो सुंदर होने के साथ साथ सुशील और ईमानदार भी थी, उसका एक छोटा बछड़ा भी था। एक दिन रामसिंह सारे गायों को चराने के लिए जंगल ले जाता है।
थोड़ी देर बाद चरते चरते सीता अपने झुंड से अलग हो जाती है जब उसने देखा की वो कहीं और आ गई है, सीता ने बोला, हे भगवान मैं चरते चरते कहां आ गई, तभी वह अपने रास्ते वापास जा ही रही होती है उसे एक भूखा शेर देख लेता है और उसका पीछा करते हुए उसके सामने कूद जाता है, सीता शेर को देखकर बहुत डर जाती है, शेर ने बोला,”रुको कहा जा रही हो कितनी तंदरुस्त गाय हो तुम, तुम्हे खाने के बाद मेरा पेट फूल आएगा, एक हफ़्ते कुछ खान की जरूरत भी नही होगी।
सीता डर के मारे कापने लगती है तभी उसने शेर से कहा,”महाराज रुकिए ! मैं अच्छे से जानती हूं कि आज आपके हाथों मरने वाली हूं लेकिन मेरी आपसे एक विनती है उसे सुन लीजिए, तभी शेर ने कहा,”मुझे अब कुछ नही सुनना है मुझे अपनी भूख शांत करनी है, सीता बोली,” मैं जरूर आपकी भूख मिटाऊंगी लेकिन उससे पहले मेरी एक आखिरी इच्छा है, शेर ने कहा, अच्छा बोलो क्या है?”
सीता ने फिर बोला,”मेरा एक छोटा बछड़ा है जो अभी नादान है वह मेरा इंतजार कर रहा होगा, मैं एक आखिरी बार जाकर उसको पेट भर दूध पिलाकर उसे खाना खिलाकर उसकी देख भाल किसी ओर पर छोड़कर आपके पास चली आऊंगी ।” सीता की बात सुनने के बाद शेर ने हस्ते हुए कहा,”क्या तुम मुझे मूर्ख समझती हो? एक बार तुम यहां से चली गई तो वापस क्यूं आओगी, मैं इस जंगल का राजा हूं मुझे बेवकूफ मत बनाओ।” सीता ने शेर को समझते हुए कहा,”नही महाराज! मैं ऐसा कुछ नही करूंगी, मैं वादा करती हूं की आपने बेटे को आखिरी बार दूध और खाना खिलाकर वापस चली आऊंगी।”
तभी शेर ने सीता की बात मानकर उसे छोड़ देता है। सीता भोगते हुए अपने बेटे के पास जाती है अपनी मां को देखकर बछड़ा बहुत ज्यादा खुश हो जाता है भागकर उसके पास जाकर दूध पीने लगता है, सीता अपने आंसू भरी आंखों से देखते हुए इसे समझाती है,” बेटा तुम्हे हर वक्त ईमानदारी के साथ रहना होगा, सबका आदर करना, अपने दोस्तों के साथ अच्छे से खेलना ओर सबको प्यार करना, मुझे नही मालुम की मैं वापस आऊंगी या नहीं लेकिन तुम अच्छे से रहना,”इतना बोलकर सीता रोते हुए जंगल की तरफ चली जाती है।
शेर अभी भी वहीं खड़ा होकर सीता की राह देख रहा था उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा थी की सीता वापस आयेगी, इतने में सीता वहां पर आ जाती है, शेर सीता की देखकर चौंकते हुए कहा,”अरे सीता! मुझे यकीन नही था की तुम वापस आओगी, अपनी जान से ज्यादा तुमने अपने वादा को निभाया है तुम्हारी ईमानदारी को देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा, मैं तुम्हे बक्श दे रहा हूं जाओ अपने बछड़े के साथ खुशी से रहना,” शेर के बोलती ही सीता दौड़कर आपने बछदे के पास वापस आ जाती है अपनी मां को सही सलामत देखकर बछड़ा बहुत खुश हो जाता है ओर उसके साथ खेलते लगता है।
कहानी से सीख
इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है की हमें हमेशा ईमानदार होना चाहिए, क्या पता हमारी ईमानदार ही हमारे काम आ जाए।
6) शेर और हाथी की दोस्ती
एक जंगल में एक शेर रहता था जो बहुत दिनों से भूखा और प्यासा था तभी उसने हिरण को देख जो बहुत मोटा तगड़ा था शेर मौका पाक उस हिरण को मार डाला और उसका मांस खान लगा, अचानक से शेर के गले में हिरण की हड्डी फस जाती है जिससे शेर को बहुत दर्द होता है। शेर ने काफी कोशिश की हड्डी को निकलने की लेकीन वह सफल नही हुआ।
शेर उदास हो गया और मदद के लिए जंगल में किसी को ढूढने लगा। तभी शेर को एक मोरनी दिखाई दी शेर ने उस मोरनी से कहा,” मेरी मदद करो! मेरे गले में हड्डी फस गई है क्या तुम उसे बाहर निकाल दोगी।” इतने में मोरनी ने शेर से कहा” ताकि इस बहाने तुम मुझे खा सको, मैं तुम्हे मूर्ख दिखाई पड़ती हूं जाओ यहां से तुम।”
शेर दुखी होकर वहां से आगे चला जाता है चलते चलते रास्ते में उसे एक भालू नज़र आया, शेर भालू के पास गया और बोला,” मेरी मदद करो भाई! मेरे गले में एक हड्डी फस गई है कृप्या उसे बाहर निकाल दो।” भालू ने बोल,”सुनो भाई! मैं बहुत ज्यादा थक गई हुं मेरा समय मत खराब करो, मुझे नींद आ रही है अभी मुझे आराम करने दो, तुम जाओ यहां से, मै तुम्हारी कोई मदद नही कर सकता।”
उदास होकर शेर वहां से चला जाता है, चलते चलते रास्ते में उसे एक हाथी दिखाई पड़ता है, जो पेड़ पे लटकते हुए रसीले आम तोड़ने की कोशिश कर रहा था लेकिन हाथी का सूंड वहां तक नही पहुंच पा रहा था एक भी आम उसके हाथ नहीं लगे, हाथी बहुत उदास हो गया था।
शेर को हाथी का दर्द समझ में आया वह हाथी के पास गया और उससे बोला,”मैं तुम्हारी मदद करूंगा उसके पहले तुम्हे मेरी मदद करनी होगी।”यह सुनकर हाथी ने बोला,”मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूं।”तभि शेर ने उसे पूरी बात बताते हुई कहा की मेरे गले में से ये हड्डी बाहर निकाल दो फिर मैं तुम्हारी मदद कर दूंगा।”
हाथी ने शेर की बात मानकर अपनी सूंड की मदद से उसके गले से हड्डी बाहर निकल दिया। हड्डी के बाहर निकलते ही शेर का दर्द गायब हो गया था वह बहुत खुश हुआ और उसने अपनी एक छलांग में पेड़ पर चढ़कर आम तोड़कर हाथी को देने लगा हाथी आम खाकर खुश हुआ, आम खाकर उसकी भूख भी मिट गई थी। उस दिन के बाद से हाथी और शेर अच्छे दोस्त बन गए थे।
कहानी से सीख
शेर और हाथी की इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कोई भी मुसीबत हमें बता कर नही आती है इसलिए कोई भी काम हमेशा सावधानी से करें।
7) बेवकूफ शेर और बंदरों की कहानी
देहरादून के घने जंगल में बंदरो का एक झुंड रहता था उस झुंड का मुखिया हल्कू नाम का एक बंदर था वह आपने आप को अक्लमंद समझता था लेकिन वह बहुत बेवकूफ था। झुण्ड का कोई भी बंदर जब अपने लिए घर बनाने के लिए बोलता तो हल्कू उससे बोलता,”और बेवकूफ हम चिड़ियां हैं क्या जो घर बनाकर रहेंगे हमारे पूर्वजों ने जभी घर नही बनाया, तो हम क्यों बनाए, और कैसे भी बंदेर पेड़ पर लटकते हुए ही अच्छे लगते हैं।
उसमें से कोई बंदर अगर हल्कू की बात पर कुछ बोलता तो हल्कू उसे धमकी देता, कि तुम्हे इस झुंड से निकाल दूंगा। इस वजह से सारे बंदर डर कर चुप हो जाते। गर्मी का मौसम बीत चुका था और बरसात का मौसम शुरू हो जाता है एक दिन तेज बारिश के साथ साथ आंधी भी चल रही थी उस आंधी में कई पेड़ों के साथ बंदरों वाला पेड़ भी गिर गया था।
उनके पास रहने के लिए अब कोई जगह नही थी इसलिए सारे बंदर अपने टूट हुए पेड़ की टहनियों पर चिपककर बैठ गए। जब बारिश बंद हुई तब सारे बंदरों ने हल्कू से कहा,” हल्कू दादा! अगर हम अपना घर बना लेते तो आज ये दिन नही आता।” तभी हल्कू ने उन सभी की बात मानकर एक योजना बनाई और कहा,”चलो एक गुफा ढूढते हैं जिसमें हम रह सकें। सारे बंदर गुफा ढूंढने निकल कर एक पहाड़ पर चले जाते हैं।
पहाड़ पर एक गुफा थी उस गुफा में एक शेर रहता था जो उस समय अपने शिकार पर गया हुआ था तभी बंदेरों का झुंड वहां पहुंचता है उसमें से एक बंदर ताली बजाते हुए हल्कू से बोलता है,”दादा देखो हमने ये गुफा ढूंढ ही ली, चलो अब अंदर चलते हैं सभी गुफा के अंदर जाते हैं जहां और जानवरों की हड्डियों के एक ढेर लगा हुआ था, एक बंदर ने कहा,” मुझे ये किसी शेर की गुफा लग रही है चलो हल्कू दादा यहां से निकल लेते है नहीं तो वो वापस आ जाएगा।”
उसकी बात सुनकर हल्कू बोलता है,” हम इस गुफा से क्यू बाहर निकलें इसपर अब हमारा कब्जा हो गया है जो यहां रहता था अब वो निकलेगा।”इसपर सारे बन्दर ताली बजाने लगते हैं। तभी शेर अपने मुंह में हिरण का एक टुकड़ा लेकर आता है। सारे बंदर डर जाते है फिर शेर बोलता है, “अरे बेवकूफों तम मेरी गुफा में क्यों कर रहे हो, जाओ अपने टहनियों पर लटकों, भागो यहां से मैं थक गया हूं अब आराम करूंगा।
इसपर हल्कू बोलता है,”अब हम रहेंगे यहां तुम कहीं और जाओ, शेर ने कहा,”अरे पागल हो क्या? बाहर बरगद का बड़ा पेड़ है तुम जाकर वहां रहो।” तभी हल्कू उसकी बात नहीं सुनता है, शेर को गुस्सा गया वह तेज से दहाड़ने लगा सारे बंदर डरकर उस पेड़ पर चढ़ जाते हैं। और आपस में सलाह मशवरा करने लगते है इतने में हल्कू बंदर ने कहा,” हम इतने सारे है वह अकेला है उसे इतना परेशान कर देंगे की वो यहां से भाग जायेगा।”
सुबह होते ही शेर अपने शिकार पर निकल जाता, सारे बंदर की नजर उस शेर पर थी कुछ घंटे बीत चुके थे जब वह वापस लौटा, तब सारे बंदर बिना आवाज किए शेर के पास जाते। सोता हुआ देख उसे परेशान करने लगते हैं, कोई उसकी पूंछ खींचता, कोई उसके उपर कूदता तो की उसके पंजों में गुदगुदी करने लगा, अचानक शेर अपनी आंख खोलकर बंदरों को देखकर करवट बदल कर लेट जाता है काफी देर परेशान करने के बाद बंदर गुफा से चले जाते हैं। इस तरह बंदरो ने शेर को कई दिनों तक परेशान किया लेकिन शेर को कोई फर्क नही पड़ता।
एक दिन सारे बंदर आपस में बातें करने लगे,” अरे दादा ये कैसे शेर है इसे परेशान करते करते हम परेशान हो गए हैं पर इसे कोई फर्क नही पड़ता।” उतने में दूसरे बंदर ने बोला,”इसने हमारी योजना खराब कर दी अब कुछ ओर सोचना पड़ेगा।” फिर हल्कू बोलता है,” पता नहीं ये परेशान क्यों नही हो रहा? लगता है कुछ और सोचना ही पड़ेगा।”सारे बंदर लगातार दो दिनों तक कोई तरकीब सोचने लगते हैं इस वजह से वह शेर को दो दिनों तक परेशान नही कर पाते, वहां शेर बैठ सोचने लगा,”पता नहीं क्या हुआ? दो दिनों से वो बंदर मुझे परेशान करने क्यों नहीं आए, चलो मैं ही उनका हाल चाल ले लेता हूं।”
तभी शेर गुफा के बाहर आया और बंदरों से पूछने लगा,”अरे बंदरो तुम दो दिनों से मुझे परेशान करने नही आए?क्या बात है।” हल्कू ने बोला,”शेर महाराज! हम आपको परेशान करते करते खुद परेशान हो गए हैं अब हम आपको परेशान करने की कोई नई तरकीब सोच रहे हैं।”शेर हस्ते हुए बोला, अरे मूर्खों! तुम जिस तरह से मुझे परेशान करते थे ना, मैं परेशान नही होता था बल्कि मैं खुश होता था क्यूंकि तुम्हारे द्वारा शरीर को दबाने से मेरी थकान दूर होता थी, उल्टा मुझे बहुत मज़ा आता था। इसलिए मैने कभी भी किसी बंदर को नुकसान नही पहुंचाया, नहीं तो किसी में इतनी हिम्मत नही की मेरे आस पास भी आए।
वैसे मैं तुमलोग को एक खुश खबरी देने आया हूं तभी हल्कू ने उत्सुकता से पूछा,”कैसी खुशखबरी?, शेर ने कहा,”इस गुफा में मुझे कई साल हो चुके हैं मैं अब ऊब गया हूं इसलिए ये गुफा छोड़कर जंगल में रहने जा रहा हूं तुम सब यहां रह सकते हो।”तभी उसमें से एक समझदार बंदर शेर से बोलता है,”शेर महाराज! हम आपकी बातों पर भरोसा कैसे करें? क्या पता ये आपकी कोई चाल हो, आप हमें अपना शिकार बना लें। शेर ने कहा,”नहीं बंदर भाई! मैं कोई चालबाजी नही कर रहा बस मेरा मन ऊब चुका हैं अगर तुमलोग को शिकार बनाना होता तो बहुत पहले ही बना लिया होता, मैं एक शरीफ शेर हूं।”
फिर शेर वहां से जंगल की ओर चला जाता है सारे बंदरों ने मिलकर शेर के गुफ़ा की साफ सफाई की और मस्ती से रहने लगे, अब उन्हें किसी भी मौसम की कोई चिंता नही थी।
8) शेर और गर्भवती शेरनी
श्रीसेलम के एक घने जंगलों में एक शेर ओर शेरनी रहते थे, उन दोनों में बहुत प्रेमी था। जंगल में उन दोनों के बहीत सारे दोस्त भी थे, जैसे बंदर, हाथी, खरगोश गाय और बहुत सारी बकरियां। एक दिन शेरनी जंगल घूम रही थी तभी अचानक वह बेहोश हो जाती है। शेर खरगोश से बोलता हैं की वह जाकर जंगल के वैध हाथी को बुलाकर ले आए।
खेरगोश दौड़ाया हुआ हाथी की पास जाकर उसको पुरी बात बताते हुई कहता है, “आप जल्दी से शेर की पास चलिए, शेरनी अचानक बेहोश होकर गिर गई है। फिर हाथी आकर शेरनी को देखते हैं और सबको बताता है की वह गर्भवती है इसलिए वह बेहोश हो गई थी, यह बात जानकर सारे जानवर बहुत खुश हो गए। तब से सारे जानवर शेरनी का और भी ज्यादा खयाल रखने लगे।
कुछ दीन बीत जाने के बाद एक सर्कस के कम्पनी से एक शिकारी जंगल में आता है वहां पर जाल बिछाने के बाद वह किसी जानवर के आने के इंतजार करने लगता है तभी अचानक से शेरनी घूमते घूमते उस जाल में फस जाती है। ओर वो शेरनी बोलती है,”कोई मुझे बचाओ मैं इस शिकारी के जाल में फस गई हूं।” इतने में खरगोश उसकी आवाज सुन लेता है बंदर वहां आकर देखता है तो शेरनी जाल में दर्द से तड़प रही थी।
खरगोश दौड़ता हुआ शेर के पास जाकर उसे सारी बात बताता है लेकिन जब तक शेर वहां जाकर शेरनी की मदद कर पाता तब तक वो शिकारी वहां से शेरनी को लेकर निकल जाता है। शेर को कुछ समझ में नहीं आता है की वो क्या करे, वह उदास होकर दहाड़ने लगता है। तभी बंदर शेर को तसल्ली देते हुए बोलता है,”शेर भाई! तुम घबराओ नही, मैंने उस सर्कस की तस्वीर देख ली है और मैंने उसे गांव की ओर जाते देखा है आप यही रुको, मैं उस गांव में जाकर पता करता हूं।
उतना बोकर बंदी वहां से गांव के चला जाता है रास्ते में उसे एक लकड़हारा दिखता हैं बंदर ने इसे सारी बात बताई तो लकड़हारे ने उसे जंगल का पता बताया, तुरंत बंदर वहां जाता है उसने देखा की शेरनी को अनलोगों ने एक पिंजरे में बंद करके रखा हुआ है। अपने सर्कस की ट्रेनिंग के लिए वो लोग शेरनी को मारते है जिससे शेरनी उदास होकर रोने लग जाती है। बन्दर धीरे धीरे शेरनी के पास गया और उसे तसल्ली देता की हम आपको बहुत जल्दी लेने आयेंगे।
बंदर ने जंगल में आकर शेर को सारी बात बताई, तभी शेर सारे जानवरों को इकट्ठा करके उनसे बोलता है,”मेरे प्यारे दोस्तों! आज मुझे आप सब की मदद चाहिए, मेरी शेरनी बहुत बड़ी मुश्किल में फस गई है इसलिए मैं चहता हूं कि आप अभी मेरे साथ चलकर शेरनी को वापस लाने में मेरी मदद करें।
फिर सारे जानवर उस सर्कस में जाकर हमला कर देते हैं सभी जानवरों के देखकर सर्कस के सारे लोग वहां से भाग जाते हैं फिर शेरनी के साथ साथ बाकी जानवर भी वहां से आजाद हो जाते हैं, ऐसे शेर और शेरनी सारे जानवरों की की मदद से अपने जंगल वापस आ जाते हैं। थोड़े दिनों में शेरनी एक सुंदर को जन्म देती है जिससे सारे जानवर मिलकर खुशियां मनाते हैं।
9) शेर और भेड़िया की बोलने वाली गुफा
एक बार की बात है एक जंगल में एक शेर रहता था। एक बार शेर पूरे दिन तक भोजन की तलाश करता रहा किंतु उसे कोई शिकार नहीं मिला। चलते चलते अब वह थक भी गया था उसे अपने आस पास ऐसा कोई स्थान भी नहीं मिल रहा था वहां जाकर वह आराम कर सके, इतने में शेर को एक गुफा दिखाई देती है वह थका हारा उस गुफा में जाकर आराम करने लगता है।
आराम करते हुए उसे एक सुझाव आया, उसने सोचा कि इस गुफा में कोई ना कोई जानवर तो जरूर रहता है। रात के समय में वह इस गुफा में विश्राम करने के लिए जरूर आएगा तभी मैं उसको अपना शिकार बना लूंगा और अपनी भूख की ऊर्जा को शांत कर लूंगा।
उसने रात होने तक धैर्यपूर्वक उसका इंतजार किया और तभी गुफा में रहने वाला भेड़िया वापस आ गया। भेड़िया ने शेर के पैरों के निशान देखे और उसे पूरा यकीन हो गया की शेर अंदर इसका इंतजार कर रहा है क्योंकि गुफा में पैर के जाने के निशान तो थे परन्तु वापस आने के नहीं, भेड़िए ने धीरे आवाज में कहा,”अच्छा तुम अपने आप को बहुत चालाक समझते हो, जैसे मैं अंदर आऊं तुम मेरा शिकार कर लो। भेड़िया बहुत ही चतुर था। वह गुफा के अंदर तो नहीं गया पर उसने अपनी चतुराई से बाहर से आवाज लगाई।
“अरे मेरी गुफा, आज तुम इतना चुप क्यों हो? तुम मुझे हमेशा बुलाती हो पर आज क्या हो गया तुमने मुझे बुलाया ही नहीं ?” तभी गुफा के अंदर बैठे शेर ने सोचा कि शायद यह गुफा प्रतिदिन भेड़िया को बुलाती है मगर आज मेरे वजह से यह शांत है। इसलिए आज मैं आवाज देकर बुलाता हूं। इसी बहाने शेर ने आवाज लगाई “अरे मेरे दोस्त अंदर आ जाओ बहार क्यों खड़े हो।”
शेर की आवाज सुनकर भेड़िया तुरंत समझ आ गया कि शेर उसे अपना शिकार बनाने की तलाश में है। भेड़िए वहां से भाग गया। भेड़िए की इस चालाकी ने उसकी जान बचा ली।
कहानी से सीख
शेर और भेड़िया की इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए, और अपने आसपास की चीजों का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
10) शेर और चूहा
एक बार की बात है शेर अपनी गुफा से निकलकर एक पेड़ की छाव में आराम कर रहा था, तभी उस पेड़ के बिल में छोटा चूहा भी रहता था। चूहा को मनोरंजन के लिए कोई चाहिए था जो उसके साथ खेले। इतने में उसने शेर को सोता हुआ देख लिया, चूहा ने सोच,”शेर तो आराम से सो रहा है चलो आज मैं इसके साथ ही खेल लेता हूं थोड़ी देर में चूहा उसके शरीर के ऊपर-नीचे दौड़ने लगा, शेर के बालों को दाढ़ी समझकर खींचने लगा, कभी उसके पूंछ को घुमाता तो कभी उसके पंजों को छूता, चूहे को बहुत ज्यादा मजा आ रही थी तभी सोते हुए शेर की नींद टूट गई और वह गुस्से से जाग उठा।
शेर ने झट से चूहे को अपने पंजों में दबोच लिया, गुस्से में शेर चूहे को खाने ही वाला था तभी चूहा समझ गया कि अब वह नहीं बचेगा। चूहे ने कहा, “हे जंगल के राजा! कृप्या कर मुझे जाने दो मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई, मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, अगर आप मुझे छोड़ देंगे नहीं खाएंगे, तो मैं भविष्य में आपकी बहुत मदद करूंगा।” चूहे की ऐसी बातों को सुनकर शेर को हंसी आ गई।
शेर ने कहा,” तुम तो खुद इतने छोटे हो, पहले खुद की मदद कर लो मेरी मदद क्या करोगे। और वैसे भी मेरा पेट भरा हुआ है मैं तुम्हे खाकर क्या करूंगा, चूहे की विनती सुनकर शेर को उस पर तरस आ गया और उसने चूहे को छोड़ दिया। चूहे ने शेर को धन्यवाद कहा और वहां से चला गया।
कुछ दिनों बाद जब शेर खाने की तलाश में इधर-उधर घूम रहा था, तभी शिकारियों का एक दल जंगल में जा पहुंचा और उसने शेर को पकड़ लिया। उन्होंने उसे जाल में एक पेड़ से बांध दिया था। बाहर निकलने के लिए शेर ने बहुत कोशिश की लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। शेर की बहुत दर्द हो रहा था तभी वह दहाड़ना शुरू कर दिया, इतने में वो चूहा वहां से गुजर रहा था तभी उसने शेर की दहाड़ सुनी, उसने पेड़ के पास जाकर शेर को संकट में देखा। चूहे ने अपने नुकीले दांतों से जाल को काटना शुरू किया और कुछ ही देर में उसने पूरे जाल को काटकर शेर को आजाद कर दिया। चूहे की इस मदद से शेर की आंखें भर आई और नम आंखों से शेर ने चूहे को धन्यवाद किया और दोनों वहां से भाग गए। फिर शेर और चूहा अच्छे दोस्त बन गए।
कहानी से सीख
शेर और चूहे की इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें हमेशा एक दूसरे के प्रति दयालु होना चाहिए।
11) आलसी शेर की कहानी
एक घना जंगल था जहां पर शेर के साथ कई सारे जानवर रहते थे। एक दिन की बात है जंगल के राजा शेर ने सारे जानवरों को अपने दरबार में बुलाया, और सभी को एक जरूरी सूचना देते हुए कहा,”दोस्तों! कल से हम सब में से एक जानवर दूसरे जंगल शिकार करने जाएगा और हम सभी के लिए भोजन लेकर आएगा। और अगले दिन फिर एक जानवर शिकार के लिए जाएगा और सब के लिए भोजन लेकर आएगा, एक एक करके ऐसे सभी जानवर जाएंगे और सबके लिए भोजन लेकर आएंगे। ऐसे सबका पेट भी भरेगा और कोई भूखा भी नहीं मरेगा, ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा।”
सारे जानवर राजा के इस बात से सहमत हो गए और यह निश्चित किया की हर दिन एक जानवर शिकार करके सारे जानवरों के लिए भोजन लाएगा।
शेर की बात मानकर सारे जानवर एक एक करके जंगल जाकर भोजन लेकर आते, फिर एक दिन जंगल के राजा शेर की बारी आई शिकार करने की, लेकिन शेर बहुत ज्यादा आलसी था उसने अपनी जगह पर किसी दूसरे जानवर को शिकार पर जाने का आदेश दिया।
शेर उस जंगल का राजा था इसलिए कोई भी उसकी बातों के टाल नही सकता था, सारे जानवरों को उसका आदेशों का पालन करना पड़ता था। अत: एक दिन सियार राजा की आज्ञा लेकर दूसरे जंगल में शिकार करने चला गया। इस तरह से प्रतिदिन दूसरे जानवर शिकार के लिए जाते थे और सभी के लिए भोजन लाते थे। लेकिन जब शेर को शिकार पर जाना होता तो वह दूसरा जानवर भेज देता था। ऐसा चार-पांच बार हुआ।
ऐसे ही एक दिन जंगली घोड़ा अपने शिकार पर गया हुआ था तभी रास्ते में उसे एक आदमी मिला, उसने घोड़े से कहा,”तुम्हारे जंगल का राजा शेर हर दिन तुम लोगों को ही शिकार पर क्यों भेजता है?वो खुद क्यों नही जाते? आपके राजा को आप लोगों की सेवा करनी चाहिए उल्टा आप ही उसकी सेवा कर रहें हो।
यह बात उस जंगली घोड़े को समझ में आ गई, उसने सोचा की यह आदमी एकदम सही बोल रहा है उस दिन उसने शिकार नहीं किया और दूसरे जंगल में चला गया। जंगली घोड़े ने ये बात अपने मित्रों से बताई और समय के साथ साथ सारे जानवरों को उसकी बात सही लगने लगी। अंत में सारे जानवर उस जंगल को छोड़कर किसी और जंगल में चले गए।
उस दिन के बाद से शेर अब जंगल में अकेला रहने लगा वह अपने आलस के मारे शिकार करने भी नहीं जाता। ऐसे ही दिन बीतते गए वह कमजोर होता गया और कुछ दिन भोजन न मिलने के कारण वह बीमार हो गया, कोई भी जानवर सेवा करने के लिए उसके पास नहीं आया अंततः वह मर गया।
कहानी से सीख
आलसी शेर के इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि आलस्य से व्यक्ति का जीवन खत्म हो जाता, जैसे शेर अपने आलस के कारण मर गया। इसलिए हमें कभी भी आलस्य नहीं करना चाहिए।
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निष्कर्ष
“Sher ki kahani” सुनने और सुनाने में एक अलग ही मजा आता है। अगर आप अपने बच्चों को जिदंगी की सही सीख देना चाहते हैं तो शेर की कहानियां उन्हें जरूर सुनाए और हर कहानी के अंत में एक सीख है जिसको जरूर समझाएं। इस पूरी कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की आवश्यकता पड़ने पर हमें अपने तरीके बदलने के लिए तैयार रहना चहिए। हमें अपने तरीकों में इतना घूलमिल नही जाना चाहिए कि हम ऐसी गलतियाँ कर बैठे जो आगे चलकर हमारे मुसीबतों का कारण बन जाए।
अगर आप अपने बच्चों को सही ज्ञान देना चाहती है तो उनको ऐसी रस्ते पर ले चलिए जहां उन्हें सही सीख मिले। एक जरुरी बात, अगर आप अपने बच्चों को गुस्सा कर, चिल्लाकर सही बात समझाएंगे तो उनको सुधारना आपके लिए ओर भी ज्यादा मुश्किल हो जाएगा, बच्चों के लिए आपको खुद एक बच्चा बनना होगा, ताकि उनको इस “sher ki kahani” हस्ते गाते, मस्ती करते हुए एक सीख मिले जिससे आपका बच्चा सही रास्ते की ओर जाएं।
यह “Sher Ki Kahani” बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय कहानी में से एक है। आप सभी को यह Sher Ki Kahani कैसी लगी हमे comment करके जरूर बताए और ऐसे ही मजेदार रोचक कहानियां पढ़ने के लिए हमारे वेबसाइट पर जरूर आते रहें।
FAQS
Ans: ये कहानियां शेरों के बारे में हिंदी कहानियां हैं। ये कहानियां अक्सर लोककथाएँ या दंतकथाएँ होती हैं जो हमें नैतिक शिक्षा देती हैं।
Ans: कुछ लोकप्रिय शेर की कहानियों में शामिल हैं:
* शेर और चूहा
* हाथी और शेर
* बेवकूफ शेर ओर बंदरों
* चालाक लोमड़ी और शेर
* ईमानदार गाय और शेर
Ans: कहानी की हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें छोटे जीवों की शक्तियों को कम नहीं समझना चाहिए। छोटे से छोटा प्राणी भी मददगार साबित हो सकते हैं, इसलिए हमें हमेशा उनकी सहायता के लिए आभारी होना चाहिए।
Ans: शेर की कहानियां पढ़ने के कई सारे फायदे हैं। जैसे बच्चों को विभिन्न संस्कृतियों के बारे में जानना, उनकी बुद्धि का विकास करना, सही और गलत में फर्क समझना, साथ ही जो उनकी कल्पनाओं को विकसित करने और जीवन के महत्वपूर्ण सबक सीखने में मदद कर सकते हैं।
Ans: शेर की और कहानियां खोजने के कई तरीके हैं। ये कहानियां आपको किताबों में, इंटरनेट पर और पुस्तकालयों में मिल सकती हैं। और आप अपने माता-पिता या दादा-दादी से भी शेर की कहानियां सुनाने के लिए बोल सकते हैं।
विकास तिवारी पिछले 3 सालों से पैसे कैसे कमाएं, बिज़नेस आइडियाज, और इंटरनेट से जुडी जानकारी आप सभी के साथ साझा कर रहे हैं। किसी भी टॉपिक को आसान भाषा में बताना इन्हें अच्छा लगता है।