201+ Short Moral Stories in Hindi For Kids (September, 2023) | बच्चों की नैतिक कहाँनियाँ

एक वह जमाना था जब हम अपने दादा दादी और नाना नानी के गोद में बैठकर Short Moral Stories in Hindi का आनंद उठाते थें लेकिन आज के समय में बहुत सारे बच्चों को हिंदी कहानी सुनने का ऐसा मौका नहीं मिल पाता है इसलिए आज मैं आपको best Short Moral Story in Hindi for kids 2023 का लिस्ट देने जा रहा हूँ जिसे पढ़ने के बाद बच्चों को अच्छी सीख मिलेगी क्यूंकि नैतिक कहानियों (moral stories) का काम ही यही है कहानी के माध्यम से सही सीख देना। 

किसी भी कहानी को पढ़ने के बाद उसके सीख को जानना और समझना बहुत जरुरी होता है इसलिए मैंने सभी कहानी के अंत में उससे क्या सीख मिलती है यह भी बताया है। Class 1 से लेकर Class 10 तक के बच्चों को नैतिक कहानियाँ जरूर सुननी और पढ़नी चाहिए।

भारत में कहानियों की कमी कभी नहीं रही है चाहे कछुआ-खरगोश की कहानी हो या फिर अकबर-बीरबल की कहानी, शेर-चूहें की कहानी, बंदर की कहानी, लकड़हारे की कहानी, सुनहरे पेड़ की कहानी ये सभी best short moral stories in hindi for kids काफी मनोरंजक होती हैं।

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201+ नैतिक कहाँनियाँ – Short Moral Stories in Hindi For Kids (2023)

नैतिक कहानियों को पढ़ने का अलग ही मजा होता है, वैसों तो 500 से भी अधिक moral stories in hindi मौजूद हैं लेकिन उनमे से मैंने कुछ सबसे अच्छे कहानियों का लिस्ट आपके लिए बनाया है।

नीचे आप जितने भी moral stories in hindi को पढ़ने वाले हो वह बच्चों (kids) के लिए तो है ही लेकिन उसे पढ़कर बड़े लोग भी आनंद और सीख ले सकते हैं इसलिए आप short moral stories in hindi ध्यान से पढ़ें और समझें।

1) चींटी और कबूतर : Best Short Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi

गर्मी ☀️ का दिन था, एक चींटी 🐜पानी की तलाश कर रही थी। कुछ देर घूमने के बाद वह एक झरने के पास पहुंची। झरने तक पहुँचने के लिए, उसे घास के एक तिनके पर चढ़ना पड़ा। उसके बाद वह पानी पीने के लिए ऊपर की ओर जाने लगी, ऊपर जाने के दौरान वह फिसल गई और पानी में गिर गई। 

पास के ही एक पेड़ पर कबूतर 🕊️ बैठा था और उसने डूबती हुई चींटी को देख लिया था, यह देखकर कि चींटी मुसीबत में है, कबूतर ने झट से एक पत्ता 🍀तोड़ लिया और जूझती हुई चींटी के पास पानी में गिरा दिया। चींटी पत्ते की ओर बढ़ी और उसपर चढ़ गई। उसके बाद चींटी पत्ते के सहारे सुखी जमीन पर आ गयी।

ठीक उसी समय, पास में एक शिकारी उसी कबूतर को फंसाने के लिए अपना जाल 🕸️ उसकी ओर फेक रहा था। उसी समय चींटी ने जल्दी से शिकारी के पैर पर काट लिया। दर्द के कारण शिकारी ने अपना जाल नीचे गिरा दिया और कबूतर तुरंत वहां से उड़ गया। 

सीख  – Moral 

अगर आप दूसरों की मदद करते हैं तो आपका मदद भी कोई न कोई जरूर करता है। लेकिन सिर्फ इस ख्याल से किसी कि मदद न करें की आपको भी मदद मिलेगा इसलिए सहायता कर देता हूँ, ऐसा न करें। मदद करने के लिए साफ़ नियत रखें।

2) बाघ, ब्राह्मण और सियार – Great Moral Stories in Hindi

short moral stories in hindi

एक बार एक ब्राह्मण 👨 जंगल 🌳से गुजर रहा था तभी उसे एक बाघ 🐯 पिंजरे में फंसा हुआ मिला।

बाघ ने ब्राह्मण से कहा “हे पवित्र ब्राह्मण। कृपया मुझे इस पिंजरे से बाहर निकालो”

ब्राह्मण ने उत्तर दिया “अरे नहीं, मेरे दोस्त अगर मैंने ऐसा किया, तो तुम मुझे मार डालोगे और मुझे खा जाओगे।”

बाघ ने उसे न मारने की शपथ ली, और वादा किया कि वह अपने पूरे जीवन के लिए ब्राह्मण का गुलाम रहेगा। बाघ की फरियाद सुनकर ब्राह्मण का दिल पसीज गया और उसने बाघ को पिंजरे से छुड़ाया। पिंजरे से छूटने के बाद बाघ तुरंत उस आदमी पर झपटा और चिल्लाया, “तुम क्या मूर्ख हो! अब तुम्हें खाने से मुझसे कौन बचाएगा।”

ब्राह्मण ने अपने जान को बचाने के लिए बाघ से बहुत याचना किया, फिर बाघ ने बोला “चलो तीन न्यायधीशों से पूछते हैं की तुम सही हो या फिर मैं, अगर तीनों लोग कहेंगे की मैं गलत हूँ तो तुम्हे नहीं खाऊँगा लेकिन अगर सभी कहेंगे की तुम गलत हो तो तुम्हे खा जाऊंगा।”

उसके बाद वे दोनों तीन न्यायधीश को ढूंढने निकल गए फिर ब्राह्मण को एक बूढ़ा पेड़ दिखा, ब्राह्मण ने पेड़🌳से पूछा की मैंने बाघ को पिंजरे से छुड़ाया था और अभी यह मुझे खाने की धमकी दे रहा है तुम बताओ कौन सही है और कौन गलत, फिर पेड़ ने कहा “मैं हर आने-जाने वाले को आश्रय देता हूँ, फिर भी मनुष्य जलाऊ लकड़ी के लिए मेरे भाइयों को फाड़ डालते हैं हे मनुष्य तुम्हे इसकी सजा मिलनी चाहिए।” फिर पेड़ ने कहा की “बाघ सही है”, यह सुनकर बाघ काफी खुश हुआ।

उसके बाद वे दोनोँ दूसरे न्यायधीश को ढूंढने लगे तो उन्हें एक भैंस 🐃 दिखा, निराश होकर ब्राह्मण भैंस की ओर मुड़ा और उसको अपनी और बाघ की कहानी बताई फिर भैंस ने कहा “मैं मनुष्यों को दूध देती हूँ और वे मुझे केवल सूखी घास खिलाते हैं। अब जब मैं सूख गयी हूं, तो ये मनुष्य हम भैसों को बेच देते हैं और दिन रात हमसे काम कराते हैं।” फिर भैस ने भी कहा की “बाघ सही है।” अब बारी थे तीसरे न्यायधीश से पूछने कि।

अंत में बाघ और ब्राह्मण ने एक सियार को गुजरते हुए देखा और उसे पूरी कहानी बताई।

ये सियार बहुत चालाक था, सियार ने ब्राह्मण को उत्तर दिया “मतलब आप पिंजरे में थे और बाघ चल रहा था। आपकी कहानी मैं अभी तक समझा नहीं। क्या आप कृपया मुझे फिर से बता सकते हैं।”

तो ब्राह्मण ने फिर से सब कुछ बताया, लेकिन सियार ने अपना सिर हिलाया, “मैं समझा नहीं। पिंजरा बाघ में था और आप चलकर आए।”

बाघ ने कहा “तुम क्या मूर्ख हो, पिंजरे में मैं था और ब्राह्मण चल रहा था।”

सियार ने उत्तर दिया “बेशक मेरे प्यारे बाघ, मैं पिंजरे में था और तुम चलकर आए। लेकिन यह कैसे संभव है!”

बाघ अब गुस्सा हो रहा था, क्योंकि उसे बहुत भूख लगी थी। वह पिंजरे में कूद गया और बोला, “देखो, मैं पिंजरे में ऐसे ही था और ब्राह्मण चलता हुआ आया। अब आपको समझा?”

सियार मुस्कुराया “बिल्कुल सही!” और सियार ने चालाकी से पिंजरे का दरवाजा बंद कर दिया। ब्राह्मण बाघ से बच गया और अपने घर चला गया।

सीख 

कोई भी फैसला हमेशा सोच-समझकर ही लेना चाहिए। अगर बाघ सोच समझकर फैसला लेता तो पिंजरे में नहीं कूदता।

3) चालाक भेड़िया : Good Short Moral Stories in Hindi 

Good Short Moral Stories in Hindi 

एक बार की बात है, एक भूरे बालों वाला पतला भेड़िया🦊रहता था।

वह भेड़िया भेड़ों को खाना चाहता था लेकिन चरवाहों की निगरानी के कारण उसे भरपेट भोजन नहीं मिल रहा था। चरवाहे बहुत सतर्क रहते थे और भेड़िये को कभी अपने भेड़ों पर आक्रमण का मौका नहीं देते थे।

सौभाग्य से, एक रात उस भेड़िया को एक भेड़ की खाल मिली जिसे किसी ने वहीँ फेंकर भूल गया था। भेड़ की खाल को देखकर भेड़िया को एक तरकीब सुझा।

अगले दिन भेड़ की खाल पहने हुए भेड़िया भेड़ों के साथ झुंड में चला गया।

चरवाहा खेत में बैठा था। भेड़ की खाल पहने भेड़िये ने भेड़ों के झुंड का पीछा किया लेकिन उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचाया।

भेड़िया आसानी से भेड़ों के बीच घुलमिल गया। कुछ दिनों बाद चरवाहे ने देखा कि उसके भेड़ों की झुण्ड में कुछ ही भेड़ें बची हैं और कई भेड़ गायब है लेकिन एक भेड़ मोटी हो गई है और वही भेड़िया था।

जब चरवाहा ने ठीक से मोटी भेड़ को देखा तो भेड़ की खाल के नीचे भेड़िये को पाया। चरवाहा समझ गया की मेरे सभी भेड़ को यह भेड़िया ही मारके खा गया है, उसने चाकू लिया और भेड़िये को मार डाला।

सीख – Moral 

दुष्ट व्यक्ति अक्सर अपने ही छल से खुद भी फस जाता है।

4) खरगोश और कछुआ

Moral Stories in Hindi

एक दिन एक कछुआ एक खरगोश से मिला और उसने कछुए का मजाक उड़ाया और उससे से कहा की “तुम कितने धीमे चलते हो, तुम कभी भी दूर तक नहीं जा पाओगे!”

खरगोश के इस बात का जवाब देते हुए कछुए ने कहा, “चलो दौड़ लगाते हैं और देखते हैं कि कौन तेज है।”

खरगोश हँसा और बोला, “तुम मज़ाक कर रहे हो! लेकिन ठीक है, चलो देखते हैं की हम दोनों में से कौन सबसे पहले पहाड़ी के दूसरी ओर पहुँचता है।” यह कहते ही खरगोश बहुत तेज़ी से पहाड़ी की ओर भागता है। 

कुछ समय के बाद खरगोश दौड़ते दौड़ते कछुआ से काफी आगे निकल जाता है और जब खरगोश पीछे मुड़कर देखता है तो उसे दूर दूर तक कछुआ कहीं दिखाई नहीं देता है।

फिर खरगोश सोचता है की अभी तो कछुए को यहाँ तक पहुँचने में काफी समय लगेगा तब तक मैं पेड़ के निचे छाव में थोड़ा आराम कर लेता हूँ और अगर कछुआ यहाँ पहुँच भी गया तो भी मैं उससे तेज़ भागकर आगे निकल जाऊंगा” यह सोचकर खरगोश वही थोड़ा आराम करने के लिए लेट जाता है।

काफी समय बीत गया था खरगोश अभी भी सो रहा था और उसी समय उसके पास से कछुआ गुजरकर आगे बढ़ गया।

कुछ समय बाद खरगोश की आँख खुली तो उसे लगा की कछुआ अभी तक यहां पहुंचा ही नहीं है फिर वह बोला की “चलो अब मैं तेज़ी से दौड़कर पहाड़ी के उसपर पहुँच जाऊँगा” यह कहकर वह दौड़ने लगता है।

जैसे ही वो पहाड़ी के पास पहुंचने वाला होता है तो देखता है की कछुआ तो उससे पहले की पहाड़ी पर पहुँच गया होता है।

खरगोश समझ जाता है की जब वह सो रहा था तभी कछुआ उससे आगे निकल गया। लेकिन अब उसके सोचने का कुछ मतलब नहीं था क्यूंकि कछुआ दौड़ को जीत गया होता है।

सीख  – Moral 

यह कहानी हमें यह सीख देती है की “धीमे लेकिन लगातार दौड़ने से आप किसी को भी पीछे छोड़ सकते हैं।

5) ईमानदार लकड़हारा : Good Short Moral Stories in Hindi 

Good Short Moral Stories in Hindi 

गांव में एक गरीब लकड़हारा रहता था। वह जंगल में पेड़ काटता था और उसे बाजार में बेच देता था और उसी पैसों से वह अपना अपना जीवन व्यापना करता था। एक दिन वह नदी के किनारे लकड़ी काट रहा था। उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई और वह कुल्हाड़ी ढूंढने के लिए नदी में नहीं उतरा क्यूंकि नदी काफी गहरी थी।

वह नदी के किनारे पर बैठ गया और रोने लगा। कुछ समय बाद जल के देवता वरुण प्रकट हुए, उनहोंने उसके रोने का कारण पूछा। लकड़हारे ने वरुण भगवान को सारी बात बता दी।

वरुण भगवान ने पानी में डुबकी लगाई और एक सोने की कुल्हाड़ी ले आये। लकड़हारे ने सोने की कुल्हाड़ी लेने से मना कर दिया, वरुण भगवान ने फिर नदी में डुबकी लगाई और चांदी की चमकती हुई कुल्हाड़ी ले आये, लकड़हारे ने फिर से उस चांदी की कुल्हाड़ी को लेने से मना कर दिया। फिर वरुण भगवान ने नदी में डुबकी लाकर इस बार उसकी असली कुल्हाड़ी लेकर आये।। 

लकड़हारे ने उस लोहे के कुल्हाड़ी को खुशी-खुशी ले लिया। वरुण भगवान लकड़हारे की ईमानदारी से बहुत खुश हुए इसलिए, उन्होंने लकड़हारे को सोने और चांदी की कुल्हाड़ियों से पुरस्कृत किया।

सीख – Moral 

ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है।

6) बिल्ला का फैसला : Short Moral Stories in Hindi For Kids

बिल्ली का फैसला

एक बार की बात है, एक बड़े पीपल के पेड़ के नीचे घोसले में कई साल से एक तीतर रहता था। एक दिन वह घूमने के लिए घर से बाहर निकला। वह अपने घोसले से दूर एक मकई के खेत में गया और कई दिनों तक खेत में रहा।

जब तीतर अपने घर से दूर था, एक खरगोश ने उसके घोसले में अपना घर बना लिया। जब तीतर वापस लौटा, तो वह वहाँ खरगोश को पाकर हैरान और क्रोधित हो गया। उसने खरगोश को जाने के लिए कहा, लेकिन खरगोश ने यह कहते हुए मना कर दिया कि “अब यह तुम्हारा घर नहीं हैं मैंने इसे खोजा था।”

खरगोश और तीतर कुछ देर तक जोर-जोर से बहस करते रहे। आसपास बहुत से पशु-पक्षी इकट्ठे हो गए। पक्षियों ने दोनों को सुना लेकिन यह तय करने में असमर्थ थे कि घर किसका है। पक्षियों ने तीतर और खरगोश को विवाद को सुलझाने के लिए किसी ऐसे पशु के पास जाने को कहा जो दोनों की समस्या समझकर समाधान कर सके।

तीतर और खरगोश किसी समझदार पशु को दूर-दूर तक घूमकर ढूंढ रहे थें और अंत में गंगा तट पर पहुँचे। वहाँ कुछ दूर पर उन्हें एक बिल्ला दिखाई दिया। हालांकि, वे दोनों बिल्ले के पास जाने से डर रहे थे। वह बिल्ला बहुत दुष्ट था।

बिल्ला ने जैसे ही खरगोश और तीतर को देखा तो बिल्ला ने जल्दी से अपनी आँखें बंद कर लीं, अपने पिछले पैरों पर खड़ा हो गया और अपनी ऊँची आवाज़ में प्रार्थना करने लगा और पूजा पाठ करने की नाटक करने लगा। तीतर और खरगोश हैरान थे क्योंकि वे पहली बार एक पुजारी बिल्ला को देख रहे थे। उन्होंने फैसला किया कि वह अपने समस्या का समाधान इसी बिल्ले को सुलझाने के लिए कहेंगे।

जब बिल्ले ने अपनी प्रार्थना समाप्त की और अपनी आँखें खोलीं, तो तीतर ने बिल्ला को सारा कहानी समझाया।

बिल्ला एक मिनट के लिए चुपचाप बैठा रहा और फिर बोला, “मैं बहुत बूढ़ा हो गया हूँ और ठीक से सुन या देख नहीं सकता। क्या तुम दोनों थोड़ा और करीब आकर मुझे अपनी पूरी कहानी फिर से बता सकते हो?”

तीतर और खरगोश ने अब बिल्ले पर भरोसा किया और उसके करीब चले गए। जैसे ही वे आगे बढ़े, बिल्ले ने उन्हें अपने पंजों से जोर से मारा, उन्हें मार डाला और खा गया। 

सीख 

किसी अजनबी पर कभी विश्वास न करें, भले ही वह बहुत ही मित्रवत क्यों न प्रतीत हो।

7) प्यासा कौआ : Short Moral Stories For Kids Hindi

Short Moral Stories For Kids Hindi 

गर्मी के दिन थे। एक प्यासा कौआ पानी की तलाश में एक गाँव की ओर उड़ गया। कौवे ने लगभग पूरा गाँव छान लिया था पर पानी का कोई नामोनिशान नहीं था। काफी देर बाद उसे एक खेत मिला। खेत के एक पेड़ के नीचे पानी का एक घड़ा था।

उसे खुशी हुई क्यूंकि आखिरकार उसे पीने का पानी दिखाई दिया था, वह घड़े के पास गया और जब उसने घड़े के अंदर देखा तो उस घड़े में पानी बहुत नीचे था।

कौए ने अपनी चोंच घड़े के अंदर डाली लेकिन पानी तक नहीं पहुंच सका। घड़े में पानी निचे थे, घड़े का ऊपरी हिस्सा पतला था और उसका गर्दन पूरी तरह नीचे नहीं जा रहा था।

उसने पानी को बाहर निकालने के लिए घड़े को नीचे धकेलने की कोशिश किया, लेकिन घड़ा बहुत भारी था। कौआ बहुत निराश हुआ। वह बहुत प्यासा था। 

उसने हार नहीं मानी। उसने चारों ओर देखा और सोचा, “मैं और क्या कर सकता हूँ?” उसने देखा कि घड़े के आसपास खेत में ढेर सारे कंकड़ पड़े हैं।

अचानक, उसे एक शानदार आईडिया आया! उसने कुछ कंकड़ इकट्ठे किए और एक के बाद एक कंकड़ घड़े में डालते गया, जैसे जैसे घड़े में पानी का स्तर ऊपर आ रहा था कौवा खुश हुआ इसलिए और भी तेज़ी से कंकड़ डालना शुरू कर देता है। अंत में पूरी तरह से पानी का स्तर ऊपर आ गया उसके बाद कौए ने पानी पिया और पानी पीने के बाद ख़ुशी ख़ुशी उड़ गया।

सीख – Moral 

जहां चाह वहां राह।

8) लालची शेर : Best Short Moral Stories in Hindi

लालची शेर

गर्मी का दिन था, शेर बहुत भूखा था वह खाने की तलाश में अपनी गुफा से बाहर निकला। यहां वहां देखने के बाद उसने एक छोटे से खरगोश को देखा और सोचा कि इतने छोटे खरगोश से उसका पेट नहीं भरेगा इसलिए वह किसी बड़े जानवर की तलाश में वहां से आगे बढ़ गया।

फिर उसे एक हिरण दिखाई दिया, शेर को देखते ही हिरण भागने लगा लेकिन शेर हिरण को दौड़कर नहीं पकड़ सकता था क्यूंकि बहुत दिनों से कुछ खाया नहीं था जिससे शेर कमजोर हो गया था।

फिर शेर ने सोचा की हिरण नहीं मिला तो कोई बात नहीं फिरसे जाकर उसी खरगोश को खा लेता हूँ। जैसे ही शेर उस जगह गया जहाँ उसने खरगोश को देखा था तो अब वहाँ खरगोश भी नहीं था जिसके वजह से शेर को फिर से बहुत दिनों तक भूखा रहना पड़ा।

सीख – Moral 

इस छोटी सी नैतिक कहानी से हम जीवन भर के लिए एक बड़ा सबक सीखते हैं “ज्यादा लालची मत बनो क्योंकि अंत में, तुम्हे कुछ नहीं मिलेगा”।

9) सोने का अंडा देने वाली मुर्गी

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एक बार की बात है, मदनपुर गांव में एक बहुत गरीब इंसान अपने बीवी बच्चो के साथ रहता था वह अपने परिवार की ज़िन्दगी बिताने के लिए खेत में दिन रात काम किया करता था वह हर रोज की तरह अपना काम ही कर रहा था तब उसे एक मुर्गी घायल पड़ी मिली, उसके शरीर से बहुत खून निकल रहा था और वह बेहोश हो गई थी, किसान को उस मुर्गी की हालत देखी नहीं गयी और मुर्गी को अपने घर ले आया। नियमित रूप से किसान ने मुर्गी की बहुत सेवा की और धीरे धीरे मुर्गी की हालत ठीक होने लगी, फिर जब मुर्गी एकदम ठीक हो गई तब उसने किसान को धन्यवाद देते हुए कहा की “आपने मेरी जान बचाई है, इसके लिए हमेशा आपके साथ रहूंगी। उपहार स्वरुप मैं तुम्हे हर दिन एक सोने का अंडा दूंगी’’

यह बात सुनते ही किसान एकदम खुश हो गया, जैसा की मुर्गी ने कहा था, वो हर दिन किसान को एक अंडा देती और किसान सोने के अंडे को पास के बाजार में बेच आया करता, ऐसे वह उससे धन इकट्ठा करता। ऐसा चलता रहा रोज मुर्गी प्रातः काल अंडा देती और किसान उसे बेच आया करता, ऐसा करते करते किसान के पास बहुत धन इकट्ठा हो गया। किसान के मन में लालच बढ़ गई। वह आदमी अपनी मुर्गी के सारे सोने के अंडे एक ही बार में इकट्ठा करना चाहता था। उसने सोचा हर दिन मुझे अंडे का बहुत इंतेज़ार करना पड़ता है तो एक दिन बहुत सोचने के बाद उसे एक तरकीब सूझी। उसने निर्णय लिया कि वह मुर्गी को मारकर सारे अंडे एकत्र कर लेगा।

अगले दिन जब मुर्गी ने सोने का अंडा दिया, तो उस किसान ने मुर्गी के पेट में चाकू से वार किया, देखते ही देखते  उसने उसके पेट को चीर डाला। मुर्गी मर गई पर किसान को खून के सिवा कुछ नहीं मिला और कोई अंडा नहीं मिला। उसका दिल टूट गया था, उसे अपने किये पे बहुत पछतावा हुआ। 

दिन में एक अंडे से उसका जीवन सुचारू रूप से चल रहा था, लेकिन अचानक उसने अपने जीवन को एक दुखद बना लिया था। अपने लालच के परिणामस्वरूप, वह दिन-ब-दिन गरीब और गरीब होता गया। 

सीख – Moral

आपके पास जो है उसमें संतुष्ट रहें। अत्यधिक लालच संकट का कारण बन सकता है।

10) केकड़ा और सारस : Short Moral Stories For Kids Hindi

Short Moral Stories For Kids Hindi 

एक समय की बात है, एक सारस रहता था जो अपने बगल के तालाब से मछलियाँ चुन कर खाता था।

हालाँकि, जैसे-जैसे वह बड़ा होता गया सारस आलसी हो गया था और उसे एक भी मछली पकड़ना मुश्किल लगने लगा। अपने खाने के लिए उसने एक योजना सोची।

उसने चालाकी से तालाब के सभी जानवरों, जिनमें मछलियाँ, मेंढक और केकड़े शामिल थे, उनसे कहा कि “कुछ आदमी इस तालाब में पौधे और फसल उगाने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए वे इंसान इस तालाब के सभी जानवरों को मार देंगे” यह सुनकर मछली दुखी हो गयी और उसने सारस से उनकी मदद करने को कहा।

अंदर ही अंदर खुश होकर सारस ने उन्हें एक और बड़े तालाब के बारे में बताया और उन सभी को वहाँ ले जाने का वादा किया। सारस ने उनसे कहा, “जैसा कि मैं बूढ़ा हो गया हूँ, मैं एक बार में आप में से कुछ को ही बड़े तालाब में लेकर जा सकता हूँ।”

कुछ मछलियां सारस के साथ नए तालाब में जाने के लिए तैयार हो गयी उसके बाद सारस मछलियों को बंजर भूमि में ले जाता और उन्हें मारकर खा जाता था। हर बार जब सारस को भूख लगती, तो वह कुछ मछलियों को तालाब से चट्टान पर ले जाता और उन्हें खा लेता।

तालाब में एक केकड़ा रहता था, जो सारस द्वारा बताये गये बड़े तालाब में जाना चाहता था।

सारस भी हर समय मछली खाकर ऊब चुका था इसलिए उसने अब केकड़ा को तालाब ले जाने के लिए तैयार हो गया। रास्ते में केकड़े ने सारस से पूछा, “बड़ा तालाब कहाँ है?” सारस हँसा और चट्टान की ओर इशारा किया, जो मछली की हड्डियों से भरी हुई थी।

केकड़ा समझ गया की सारस उसे मार डालेगा, उसने बहुत जल्दी खुद को बचाने के लिए एक योजना के बारे में सोचा। अब क्यूंकि सारस ने केकड़ा को अपने चोंच में फसाया था तो केकड़ा ने तुरंत ही सारस की गर्दन पकड़ लिया और उसे तब तक नहीं छोड़ा जब तक कि सारस मर नहीं गया।

अंत में केकड़ा की जान बच गयी और दुष्ट सारस मर गया।

सीख – Moral 

हमेशा दिमाग की उपस्थिति रखें और जब आपको खतरा महसूस हो तो तेजी से कार्य करें।

11) मूर्ख चोर : Akbar Birbal Stories in Hindi

Akbar Birbal Stories For Kids Hindi 

एक बार की बात है, राजा अकबर के राज्य में एक धनी व्यापारी को लूट लिया गया। दुःख से व्याकुल व्यापारी न्याय की तलाश में अकबर के कचहरी में गया।

अकबर ने बीरबल को लुटेरे को ढूंढने का काम सौंपा। उसके बाद बीरबल ने व्यापारी से पूछा की “क्या तुम्हे किसी पर शक है” तो व्यापारी ने बीरबल से कहा कि “मुझे शक है कि चोर मेरा कोई नौकर हो सकता है।”

व्यापारी का इशारा पाकर बीरबल ने व्यापारी के सभी नौकरों को बुलाकर सीधी लाइन में खड़े होने को कहा। इसके बाद बीरबल ने सभी नौकरों से चोरी के बारे में पूछा।

सभी ने कहा की “हमने चोरी नहीं किया है” फिर बीरबल ने उनमें से प्रत्येक को समान लंबाई की एक छड़ी दे दिया। फिर बीरबल ने कहा, “जिसने भी व्यापारी को लूटा है कल तक उसकी छड़ी दो इंच बढ़ जाएगी”।

अगले दिन जब बीरबल ने सबको बुलाकर उनकी छड़ी देखा तो एक नौकर की छड़ी दो इंच छोटी निकली, फिर बीरबल समझ गए की यही चोर है।

व्यापारी ने बीरबल से यह पूछा की उन्हें असली चोर के बारे में कैसे पता चला तो बीरबल ने कहा “जैसे की मैंने उन्हें कहा था की असली चोर की छड़ी 2 इंच बढ़ जायेगी इसलिए असली चोर ने इसी डर से अपने छड़ी को 2 इंच छोटा कर दिया ताकि 2 इंच बढ़ने के बाद उसकी छड़ी की लम्बाई वैसी ही रहे जैसा मैंने दिया था, लेकिन मैंने यह झूठ कहा था की छड़ी की लम्बाई 2 इंच बढ़ेगी।”

सीख – Moral 

सत्य की हमेशा जीत होती है।

12) शेर और चूहा : Simple Moral Stories in Hindi 

शेर और चूहा

एक बार जंगल में एक शेर सो रहा था और उसी समय एक चूहा उसे परेशान करने लगा। इससे शेर नींद से उठ गया और वह गुस्से में आकर चूहे को खाने की कोशिश करता है। फिर चूहे ने शेर को खुद को छोड़ने के लिए मनाने लगता है और कहता कि “यदि तुम मुझे छोड़ दोगे तो एक दिन मैं भी तुम्हारी मदद करूँगा” और यह सुनकर शेर हँसा और चूहे पर तरस खाकर चूहे को छोड़ देता है। 

उसके बाद कई दिन बीत गए और एक दिन कोई शिकारी उसी शेर को अपने साथ ले जाने के लिए उसे रस्सी के जाल में फसा लेता है और शेर उसमें से बाहर निकलने की कोशिश करता है पर बाहर नहीं निकल पाता और गुस्से में दहाड़ लगाता है।

शेर का दहाड़ दूर तक सुनाई देता है और इसी दहाड़ को वह चूहा सुन लेता है और समझ जाता है की शेर किसी मुसीबत में है और वह दौड़कर शेर के पास आ जाता है।

फिर शेर जिस जाल में फसा था चूहे ने उस जाल को अपने दांतों से कुतर दिया उसके बाद शेर जाल से बाहर निकल जाता है और शिकारी वहाँ से भाग जाता है।

सीख – Moral 

इस छोटी सी नैतिक कहानी से हम सीखते हैं कि “दयालुता का एक छोटा सा कार्य बदले में आपकी मदद कर सकता है”। यह बच्चों के लिए सबसे अच्छी लघु नैतिक कहानी है।

13) पुराने पेड़ की कहानी : Old Moral Stories For Kids Hindi

Short Moral Stories For Kids Hindi 

एक बार की बात है, एक जंगल के किनारे दो भाई रहते थे। बड़ा भाई अपने छोटे भाई से नफरत करता था। बड़ा भाई अपने छोटे भाई का सारा खाना खाता था और अपने भाई के सारे अच्छे कपड़े पहन लेता था और उसके साथ बहुत बुरा बर्ताव करता था। 

एक दिन बड़ा भाई जलाऊ काटने जंगल में गया ताकि बाजार में लकड़ी बेचकर पैसे कमा सके।

जंगल में पहुँचाने के बाद उसने पहले एक पेड़ काटा, फिर दूसरा, फिर तीसरा ऐसे करके उसने कई सारे पेड़ काटे उसके बाद वह एक जादुई पेड़ के पास पहुँच गया। पेड़ ने उससे कहा, “हे महोदय, कृपया मेरी शाखाओं को मत काटो यदि आप मुझे बख्शते हैं, तो मैं आपको अपने कुछ सुनहरे सेब दूंगा।” यह सुनकर लड़का पेड़ की बात को मान लिया लेकिन पेड़ ने उसे जितने सेब दिए उसके लिए कम था, लड़के को अधिक सेब चाहिए था। लड़का लालची हो गया था और उसने धमकी दी कि अगर पेड़ ने उसे जितने सेब चाहिए उतने सेब नहीं दिए तो वह उसके पूरे तने को काट देगा।

जादुई पेड़ को गुस्सा आता है और वह सेब के बजाय, सैकड़ों छोटी सुइयों को लड़के पर बरसा दिया। लड़का घायल हो गया था और सूरज भी डूब रहा था इसलिए लड़का पेड़ के नीचे लेट गया।

जब बड़ा भाई घर नहीं पहुंचा तो छोटा भाई चिंतित हो गया और अपने बड़े भाई की तलाश में जंगल को ओर चला गया। जंगल में अपने बड़े भाई को कुछ समय ढूंढने के बाद उसने उसे पेड़ के नीचे दर्द में पड़ा पाया, उसके शरीर पर सैकड़ों सुइयाँ थीं। वह अपने भाई के पास गया और एक-एक सुई को बड़े प्यार से हटा दिया।

उसके बाद बड़े भाई ने छोटे भाई के साथ पहले किये गए बुरा व्यवहार के लिए माफी मांगी और छोटे भाई से वादा किया की वह उसे अब कभी परेशान नहीं करेगा। पेड़ ने बड़े भाई के दिल में बदलाव देखकर ढेर सारे सेब दोनों भाइयों को भेट कर देता है।

सीख – Moral 

लालच, दर्द और पीड़ा की ओर ले जाता है, और क्षमा, सुखी और संतुष्ट जीवन की ओर ले जाती है।

14) सियार और ढोल : Stories in Hindi With Moral

सियार और ढोल : Stories in Hindi With Moral

एक बार की बात है, एक जंगल में एक सियार रहता था। वह एक लालची सियार था और झुंड के अन्य सियारों द्वारा मारे गए किसी भी जानवर को हमेशा खा जाता था। सभी सियार उससे थक गए थे, इसलिए उन्होंने उसे अपने झुंड से भगा दिया।

अब सियार को अकेले ही भोजन के लिए शिकार करना पड़ता था। एक दिन, जब वह भोजन की तलाश में जंगल में भटक रहा था उसे एक ऐसा मैदान दिखा जहां इंसानों ने युद्ध लड़ा था लेकिन अभी वहाँ कोई नहीं था।

कुछ देर सोचने के बाद सियार भोजन तलाशने के लिए उसी मैदान की ओर निकल पड़ा, वहां पहुँचने के बाद जैसे ही वह वहाँ रुका, उसने एक बड़ी डरावनी आवाज़ सुनी।

वह गहरी सोच में पड़ गया और बोला: “आह! अब ये कौनसी विपत्ति है। मेरी हालत पहले से ही खराब है, ऐसी आवाज कोई राक्षस ही कर सकता है। इस मैदान में किस प्रकार का खतरनाक जीव छिपा है?”

घबराकर वह पीछे मुड़ा और भागने लगा। जैसे ही वह भाग रहा था, सियार ने सोचा, “क्या वह आवाज वास्तव में एक खतरनाक जानवर की थी? शायद या शायद नहीं। किसी चीज़ को जाने बिना उससे दूर भागना बुद्धिमानी नहीं है।”

ऐसा सोचकर सियार पलटा और वापस युद्ध के मैदान में चला गया। जैसे ही वह ध्वनि के स्रोत के करीब बढ़ा, उसने एक पेड़ के नीचे एक बड़ा युद्ध-ढोल देखा। जैसे ही हवा ने पेड़ को हिलाया, इसकी शाखाएं ड्रम के खिलाफ रगड़ गईं, जिससे जोर से चीखने की आवाज आई।

सियार ने सोचा “आह! मैं इतना मूर्ख था! इतनी मूर्खतापूर्ण चीज़ से दूर भाग रहा था”

वह भोजन के लिए युद्ध के मैदान में गया और वह जल्द ही एक तंबू पर आया, जिसके अंदर उसे भोजन और पानी का एक बड़ा भंडार मिला। सियार ने जी भर के खाया।

सीख 

केवल बहादुर ही अपने काम में सफल हो सकते हैं।

15) मूर्ख बकरी : Short Moral Stories For Kids Hindi

Short Moral Stories For Kids Hindi 

एक बार की बात है एक लोमड़ी अँधेरे में घूम रहा था। दुर्भाग्य से वह एक कुएं में गिर गया। उसने बाहर आने की पूरी कोशिश की लेकिन सब व्यर्थ। इसलिए, उसके पास अगली सुबह तक किसी का इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं था।

अगले दिन उसी रास्ते से एक बकरी आई। वह कुएँ में झांकी तो वहाँ लोमड़ी को देखी। बकरी ने पूछा “क्या तुम लोमड़ी हो? तुम वहाँ नीचे अकेले क्या कर रहे हो?” मूर्ख लोमड़ी ने उत्तर दिया, “मैं यहाँ पानी पीने आया हूँ। मैंने कहीं से सुना कि इस कुएं में सबसे अच्छा पानी है, सबसे मीठा स्वाद है”।

बकरी कुछ देर बिना सोचे-समझे कुएं में कूद गई और अपनी प्यास बुझा ली। उसने फिर कुएं से बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन लोमड़ी की तरह उसने भी खुद को लाचार और फंसा हुआ पाया।

फिर लोमड़ी ने कहा, “मेरे पास एक शानदार तरकीब है। तुम अपने पिछले पैरों पर खड़ी हो जाओ, मैं तुम्हारे सिर पर चढ़कर निकल जाऊंगा। बदले में मैं भी तुम्हें इस कुएं से बाहर निकलने में मदद करूंगा।” बकरी बहुत मासूम थी और लोमड़ी की बनाई हुई चतुराई पर विश्वास कर ली और लोमड़ी ने उसे कुएँ से बाहर निकालने में मदद करने के लिए जैसा कहा था वैसा ही किया।

जाते-जाते लोमड़ी ने कहा, “अगर तुम समझदार होती तो बाहर निकलने का रास्ता देखे बिना कभी अंदर नहीं आती”, यह कहकर लोमड़ी बकरी की मूर्खता पर हँसते हुए अपने रास्ते चली गई।

सीख – Moral 

छलांग लगाने से पहले देखें

16) भेड़िया और चरवाहे का लड़का 

भेड़िया और चरवाहे का लड़का 

यह short moral कहानी एक चरवाहे लड़के और उसकी शरारत के बारे में है। यह छोटी सी नैतिक कहानी हमें सिखाती है कि कोई भी उस व्यक्ति पर विश्वास नहीं करता जो हर बार झूठ बोलता है और एक दिन सच कहता है।

एक बार, एक चरवाहा का लड़का पहाड़ी की चोटी पर बैठे-बैठे ऊब गया था। अपने मजे के लिए वह चिल्लाया “भेड़िया” “भेड़िया” और सभी ग्रामीण मदद के लिए भागकर आते हैं लेकिन जब उन्होंने देखा तो वहाँ कोई भेड़िया नहीं था। उसने बार-बार ऐसा किया और ग्रामीण हर बार मदद के लिए आए और नाराज हो गए।

लेकिन एक दिन लड़के को आश्चर्य हुआ क्यूंकि उसने एक असली भेड़िया देखा और वह चिल्लाया “भेड़िया भेड़िया” लेकिन लोगों को लगा वह अभी भी मजाक कर रहा है इसलिए कोई उस लड़के की मदद के लिए नहीं आया।

सीख – Moral 

कोई भी उस व्यक्ति पर विश्वास नहीं करता जो हर बार झूठ बोलता है और एक दिन सच कहता है। 

17) गाने वाला गधा : Short Moral Stories in Hindi

: Short Moral Stories in Hindi

एक गांव में एक धोबी और उसका गधा रहते थे। दिन में गधा धोबी का थैला ढोता था। रात को धोबी उसे घास खाने के लिए खेत में छोड़ देता था। लेकिन गधा पास के खेतों में घुस जाता था और वहाँ की ताज़ी सब्जियाँ खाता था।

एक दिन इधर-उधर भटकते हुए उसकी भेंट एक सियार से हुई। वे दोस्त बन गए और गधे ने सियार को कहा की अब हम रोज़ रात को मिला करेंगे। वे हर रात मिलने लगे। दिन निकलने तक गधा घर वापस आ जाता।

ऐसा कई दिनों तक चलता रहा। एक दिन सियार ने कहा, “काका, मैंने एक नया खेत खोज लिया है जिमसे पके, रसीले खीरे उगाये गए है। यह आपके लिए किसी दावत से कम नहीं है। मुझे यकीन है कि उस खेत में मुझे अपने लिए कुछ छोटे जानवर भी मिलेंगे। चलो आज रात वहाँ चलते हैं।”

अत: वे दोनों उस खेत की ओर चले गए। गधे ने भरपेट भोजन किया और कहा, “भतीजा। मैं आज बहुत खुश हूँ। चाँद को देखो। यह इतना सुंदर है कि मुझे गाने का मन करता है।”

सियार ने कहा, “काका, हम इस खेत से चोरी कर रहे हैं। गाओगे तो किसान जागेंगे और हम पकड़े जाएंगे। इससे अच्छा है कि खा लिया जाए और गाने को भुला दिया जाए!”

संगीतमय गधा ने कहा “आप जैसा जंगली जानवर संगीत की सराहना नहीं कर सकता। मैं आपको दिखाऊंगा कि वास्तविक संगीत कैसा लगता है।”

सियार ने देखा कि गधा गाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। तो सियार ने कहा, “अंकल, अगर आप गाना चाहते हैं, तो कृपया मेरे खेत से बाहर जाने तक प्रतीक्षा करें ताकि मैं किसानों पर नजर रख सकूं।” यह कहकर सियार भागकर बाहर जा छिपा।

गधे ने अपना चेहरा चाँद की तरफ उठा लिया और जोर जोर से रेंकने लगा। किसान जाग गए और पूर्णिमा की रोशनी में उन्हें खेत में खड़ा साफ-साफ दिखाई दे रहा था। लाठी-डंडों से उसका पीछा किया और उसकी पिटाई कर दी।

जैसे ही गधा मैदान से बाहर निकला, सियार अपने छिपने के स्थान से बाहर आया और हँसा। “अंकल, आप बहुत अच्छा गा रहे थें और किसानों ने आपको अच्छा पुरष्कार भी दिया है!”

सीख 

हर चीज का एक समय और स्थान होता है।

18) गाँव का बूढ़ा आदमी

गाँव का बूढ़ा आदमी

यह छोटी सी नैतिक कहानी एक ऐसे बूढ़े आदमी की है जो हर किसी से परेशान और चिढ़ते रहते है। लेकिन एक दिन जब वह 80 साल के हुए तो हर बार मुस्कुराते हुए खुश रहने लगे। तब गांव वालों ने उनसे पूछा की “पहले तो आप चिढ़ते रहते थें और अभी आप खुश रहते हैं इसके पीछे का क्या राज़ है” तो उन्होंने सुंदर जवाब दिया कि “कई सालों से मैं खुशी के पीछे भाग रहा था और जो समय मुझे कुछ करने को मिला था उसे मैं अपने ख़ुशी को पाने के चक्कर में खो रहा था लेकिन अब मुझे लगता है की वह ख़ुशी किसी काम की नहीं थी और अब मैंने बिना खुशी के जीने और जीवन का आनंद लेने का फैसला किया है।”

सीख – Moral 

इस छोटी सी नैतिक कहानी ने एक बड़ी सीख दी कि “हमें कभी भी खुशियों के पीछे नहीं भागना चाहिए बल्कि जो हो रहा है उसका आनंद लेना चाहिए”।

19) बुद्धिमान व्यक्ति

बुद्धिमान व्यक्ति

एक बुद्धिमान व्यक्ति था जिसके पास हर बार अपने समस्या का समाधान ढूंढने के लिए ऐसे लोग आते थें जिनके पास कोई समस्या होती थी।

कई दिनों से कुछ लोग अपने पुरानी शिकायत को लेकर बार बार उस व्यक्ति के पास आते थें और अपने समस्या के बारे में बताते थें।

एक दिन उस बुद्धिमान व्यक्ति ने एक चुटकुला सुनाया, जिससे सभी लोग हँस पड़े, फिर दोबारा उसने वही चुटकुला सुनाया, फिर कुछ लोग हँसे लेकिन जब उसने तीसरी बार वही चुटकुला सुनाया तो कोई नहीं हँसा। तब उस बुद्धिमान व्यक्ति ने कहा कि “जब तुम एक ही चुटकुला पर बार-बार नहीं हंस सकते तो एक ही समस्या पर बार-बार क्यों रोते हो।”

सीख – Moral 

यह छोटी सी नैतिक कहानी हमारे जीवन, खुशी और अवसाद के प्रति एक बहुत बड़ी नैतिकता सिखाती है “एक ही समस्या के लिए चिंता करने से इसका समाधान नहीं होगा बल्कि यह सिर्फ आपकी ऊर्जा और समय बर्बाद करता है”।

20) मूर्ख गधा

मूर्ख गधा

एक बार एक नमक बेचने वाला नमक की थैली को गधे पर लादकर बाजार ले जा रहा था तभी नाला पार करते समय कुछ नमक नीचे गिर गया और नमक पानी में मिल गया इसलिए गधे के ऊपर रखा गया नमक का बैग बहुत हल्का हो गया।

अगले दिन भी गधा कुछ ऐसा करता है जिससे थोड़ा नमक थैले से निचे नाले में गिर जाता है और थैले का वजन कम हो जाता है। अब यह तरकीब गधा रोज लगाता है और नमक बेचने वाला गधे के इस तरकीब को समझ जाता है। 

अगले दिन, उसने गधे पर एक कपास की थैली लाद दी और गधे ने फिर वही चाल चली लेकिन पानी में गिरने से कपास का वजन अधिक हो गया और कपास ढोना गधे के लिए भारी हो गया इससे गधा अपने ही जाल में फस गया।

सीख – Moral 

यह छोटी सी नैतिक कहानी हमें सिखाती है कि “हमें हमेशा अपने भाग्य के भरोसे नहीं रहना चाहिए, किस्मत हर बार साथ नहीं देती”।

21) चार होशियार छात्र

चार होशियार छात्र

एक बार की बात है 4 दोस्त एक ही कॉलेज में पढ़ते थें और एक पास एक कार थी वे सभी लोग उसी कार में बैठकर कॉलेज जाते थे। इन लोगों का पढाई में मन बहुत नहीं रहता था और अगले दिन कॉलेज में उन सभी का एग्जाम भी था।

लेकिन वे चारों दोस्त एग्जाम नहीं देना चाहते थें और इससे बचने के लिए वे एक प्लान बनाते हैं और यह तय करते हैं की कल हम लोग कॉलेज में फ़ोन करके टीचर से यह कह देंगे की हम जिस कार में बैठकर आ रहे थे वह रास्ते में ही पंक्चर हो गया।

अगले दिन वे लोग अपने टीचर के पास फ़ोन करके कहते हैं “हम चारों जिस कार से कॉलेज आ रहे थे वह पंक्चर हो गया है इसलिए हम बीच रस्ते में फस गए हैं और एग्जाम देने नहीं आ पाएंगे” उनकी बात सुनकर टीचर समझ गयी की ये लोग बहाना बना रहे हैं क्यूंकि पहले भी कई बारे ये लोग बहाना बना चुके थे।

टीचर ने उनसे कहा की “ठीक है तुम लोग आज एग्जाम मत दो लेकिन परसों इसी एग्जाम को देना होगा” वे ख़ुशी ख़ुशी टीचर की बात मान लेते हैं।

दो दिनों तक वे चारों दोस्त बहुत मजे करते हैं उसके बाद कॉलेज पहुंचते हैं तो उन्हें टीचर एग्जाम देने के लिए अलग अलग कमरे में बैठा देते हैं।

फिर टीचर चारों को प्रश्न पत्र देते हैं जिसमे सिर्फ 2 प्रश्न पूछा गया होता है :
1) आपका नाम क्या है?
2) गाडी का कौनसा पहिया पंक्चर हो गया था?

अब चारों दोस्त फस जाते हैं क्यूंकि गाडी का पहिया पंक्चर ही नहीं हुआ था। अब क्यूंकि असली में तो कोई टायर नहीं फटा था इसलिए किसी ने लिखा आगे का दाहिना टायर पंक्चर हुआ था और किसी ने लिखा पीछे का दायां टायर पंक्चर हुआ था इससे उनका झूठ पकड़ा गया। 

सीख – Moral 

तो इस छोटी सी नैतिक कहानी से हमें एक बड़ी सीख मिलती है “कभी झूठ मत बोलो क्योंकि इससे आपको ही नुकसान होगा और आप अपनी जिम्मेदारी लेंगे या आप एक बड़ा सबक सीखेंगे”।

22) सच्चा धन : Best Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi

एक दिन एक धनी पिता अपने बेटे को देश की यात्रा पर ले गया ताकि वह अपने बेटे को यह दिखा सके कि गरीब लोग कैसे रहते हैं और वह अपने धन पर गर्व कर सके।

उन्होंने कुछ दिन और रात एक गरीब किसान के खेत पर बिताया और अंत में यात्रा से लौटने पर, पिता ने अपने बेटे से पूछा, “यात्रा कैसी रही?” बेटे ने कहा “यात्रा बहुत अच्छा था, पिताजी।”

पिता ने कहा “क्या आपने देखा कि लोग कितने गरीब हो सकते हैं?”  बेटे ने कहा “हाँ” फिर पिता ने पूछा “तो आपने यात्रा से क्या सीखा?” 

बेटे ने उत्तर दिया, “मैंने देखा कि हमारे पास एक कुत्ता है और उनके पास चार कुत्ता है। हमारे पास एक पूल है जो हमारे बगीचे के बीच तक पहुँचता है और उनके पास एक नाला है जिसका कोई अंत नहीं है। “हमने अपने बगीचे में लालटेन को रखा है और उनके पास रात में तारे हैं।” “हमारा आँगन सामने वाले यार्ड तक फैला है और उनके पास पूरा जमीन मौजूद है।” “हमारे पास रहने के लिए जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा है और उनके पास ऐसे खेत हैं जो हमारी दृष्टि से परे हैं।” “हमारे पास नौकर हैं जो हमारी सेवा करते हैं, लेकिन वे दूसरों की सेवा करते हैं।”

“हम अपना खाना खरीदते हैं, लेकिन वे अपना खाना उगाते हैं।” “हमारी रक्षा के लिए हमारी संपत्ति के चारों ओर दीवारें हैं; उनकी रक्षा के लिए उनके मित्र हैं।

इससे लड़के के पिता चौक गए। फिर उसके बेटे ने कहा, “धन्यवाद पापा हमें यह दिखाने के लिए कि हम कितने गरीब हैं।”

सीख  – Moral 

असली गरीब वह है जो अपने आप को बहुत अमीर समझता है। 

23) दो दोस्त और भालू : Best Moral Stories in Hindi 

दो दोस्त और भालू

एक बार, दो दोस्त थे सूरज और श्यामू वे छुट्टी मनाने जंगल में गए थे कि अचानक एक भालू आया और वे घबरा गए। सूरज जो पेड़ों पर चढ़ने के बारे में सब कुछ जानता था, भागकर पेड़ पर चढ़ गया और श्यामू के बारे में नहीं सोचा।

श्यामू अपने दिमाग का उपयोग करता है और अपनी सांस रोक कर जमीन पर लेट जाता है, भालू ने उसे सूंघा और सोचा कि वह मर गया है। सूरज ने श्यामू से पूछा कि भालू ने उसके कान में क्या फुसफुसाया तो श्यामू व्यंग करते हु कहता है कि “तुम जैसे दोस्तों से दूर रहो”।

सीख – Moral 

इस छोटी सी नैतिक कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि “ज़रूरत में काम आने वाला दोस्त ही सच्चा दोस्त होता है”। यह छोटी सी नैतिक कहानी दोस्ती का एक बड़ा पाठ पढ़ाती है।

24) लोमड़ी और अंगूर : Simple Moral Stories in Hindi 

लोमड़ी और अंगूर

एक बार एक लोमड़ी जंगल में दोपहर के समय टहल रही थी। उसने अंगूर के पेड़ पर अंगूरों का एक गुच्छा देखा और उसे तोड़ने की कोशिश की उसने बहुत प्रयत्न किये, वह एक कदम पीछे हटी और अंगूर की ओर कूदी लेकिन उसे अंगूर नहीं मिला। लोमड़ी ने कई बार कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुई। अंत में जब अंगूर का स्वाद नहीं चख सकी तो लोमड़ी कहती है कि “वैसे भी अंगूर खट्टे हैं खाने का कोई मतलब नहीं है” यह कहकर और वहां से चली जाती है।

सीख – Moral 

यह छोटी सी नैतिक कहानी एक सीख देती है कि “हम आसानी से उन चीजों का तिरस्कार कर देते हैं जो हमें नहीं मिलती है”।

25) लोमड़ी और बगुला 

Moral Stories in Hindi

एक स्वार्थी लोमड़ी ने एक बार बगुले को अपने घर एक पेड़ पर रात के खाने के लिए आमंत्रित किया। शाम को बगुला उड़कर लोमड़ी के घर गया और अपनी लंबी चोंच से दरवाजा खटखटाया। लोमड़ी ने दरवाजा खोला और कहा, “कृपया अंदर आओ”

बगुले को मेज पर बैठने के लिए कहा। बगुले को बहुत भूख लगी थी और भोजन से स्वादिष्ट सुगंध आ रही थी! लोमड़ी ने उथले कटोरे में बगुले को सूप परोस दिया और लोमड़ी ने अपना सारा सूप बहुत जल्दी चाट लिया। अब क्योंकि कटोरा उथला (फ्लैट) था जिससे बगुला अपने लम्बी चोंच की वजह से सूप नहीं पी सका। बेचारा बगुला बस विनम्रता से मुस्कुराया और भूखा रह गया।

स्वार्थी लोमड़ी ने पूछा, “बगुले, तुमने अपना सूप क्यों नहीं लिया? क्या तुम्हें यह पसंद नहीं है?

बगुले ने उत्तर दिया, “आपने मुझे रात के खाने पर आमंत्रित किया उसके लिए आपका शुक्रिया। कल शाम, कृपया आप भी मेरे घर पर रात के खाने के लिए शामिल जरूर होना।

अगले दिन जब लोमड़ी बगुले के घर पहुंची तो उसने देखा कि रात के खाने में वे लोग भी सूप पी रहे थे। इस बार सूप को लंबे जग में परोसा गया। बगुले ने सूप आसानी से पी लिया लेकिन लोमड़ी का मुहं लम्बे जग के अंदर नहीं पहुँच सका। इस बार भूखे रहने की बारी लोमड़ी की थी।

सीख  – Moral 

जैसी करनी वैसी भरनी।

26) तेनाली रमन और मुट्ठी भर अनाज : Short Moral Stories For Kids Hindi

Short Moral Stories For Kids Hindi 

बहुत समय पहले गंटोदानगर में रमानी नाम की एक सुंदर स्त्री रहती थी। वह विभिन्न ललित कला विधाओं के अच्छे ज्ञान के साथ एक विद्वान महिला थीं।

एक दिन, अपने गर्व और अपनी क्षमताओं के अहंकार के कारण, उसने अपने घर के बाहर एक होर्डिंग लगा दी, जिसमें लिखा था, “जो कोई भी मुझे हास्य, बुद्धि और प्राचीन ग्रंथों के ज्ञान में हरा देगा, उसे मैं 1000 सोने के सिक्कों का इनाम दूंगी।” यह क्षेत्र के सभी विद्वानों के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया।

यह बर्ताव देखकर कई प्रतियोगी नाराज थे और शब्दों के युद्ध में रमानी को हराने की कोशिश की, लेकिन उनमें से कोई भी सफल नहीं हुआ।

इस तरह दिन बीतते गए। एक सुबह, एक विक्रेता उसके घर के पास जलाऊ लकड़ी बेचता हुआ गुजरा। वह आदमी अपनी ऊँची आवाज़ में चिल्ला रहा था, “जलाऊ लकड़ी…मज़बूत जलाऊ लकड़ी…। क्या कोई है जो मजबूत और चिरस्थायी जलाऊ लकड़ी चाहता है?” विक्रेता लगातार चिल्ला रहा था और उसकी तीखी और ऊंची आवाज थी जिससे रमानी परेशान हो गई थी।

वह झपट कर घर से बाहर चली गई और विक्रेता को पुकारा, “अरे विक्रेता! यहाँ आओ! मैं तुम्हारी जलाऊ लकड़ी खरीदूंगी। मुझे बताओ कि तुम्हें कितना पैसा चाहिए! बस चिल्लाना बंद करो।

विक्रेता ने उत्तर दिया, “मैडम, मैं इसे पैसों के लिए नहीं बेचूंगा। यदि तुम मुझे इसके बदले मुट्ठी भर अन्न दोगे तो मैं तुम्हें जलाऊ लकड़ी दे दूंगा।” रमानी ने उसे वह देने का वादा किया जो वह चाहता है और उसे पिछवाड़े में लकड़ी फेंकने का आदेश दिया।

विक्रेता ने कहा, “मुझे एक मुट्ठी अनाज चाहिए, मैडम। क्या आप समझ रही हैं मुझे क्या चाहिए? रमानी ने विक्रेता पर चिल्लाते हुए कहा, “आप मुझसे पूछ रहे हैं कि मुझे मुट्ठी भर अनाज का मतलब समझ में आया या नहीं!! मैं इस पूरे जिले की सबसे विद्वान महिला हूं। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे इस तरह का सवाल पूछने की?” लगातार विक्रेता ने कहा, “मैडम, मुझे आप पर दया आती है! तुम सच में नहीं समझती कि मैं क्या चाहता हूं।

यदि आप मुझे वह नहीं दे सकती हैं जो मैं चाहता हूं, तो आपको मुझे एक हजार सोने के सिक्के देने चाहिए और परिसर की दीवार पर लगे निमंत्रण होर्डिंग को मिटा देना चाहिए। रमानी भड़क गईं। उसने गुस्से से पूछा, “क्या बकवास कर रहे हो?”

विक्रेता ने कहा, “यह कोई बकवास नहीं है। मैंने तुमसे कहा था कि मैं क्या चाहता था और तुम मुझे वह प्रदान नहीं कर सकी। 

अब यदि तुम कीमत नहीं चुका सकती, तो तुम्हें मुझे एक हजार सोने के सिक्के देने होंगे, क्योंकि तुम स्पष्ट रूप से यह नहीं समझ पाई हो कि मैं क्या चाहता हूँ।

और ऐसा समझकर मैंने तुझे वाणी-युद्ध में परास्त किया है।” दोनों के बीच गरमागरम बहस शुरू हो गई और फिर रमानी ने न्याय के लिए प्रांतीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया।

उसने जज के सामने अपनी दलील पेश की, “माई लॉर्ड! यह जलाऊ लकड़ी बेचने वाला पागल है और बकवास कर रहा है। उसने जलाऊ लकड़ी के भार के बदले मुट्ठी भर अनाज माँगा।

मैं उसे वह देने के लिए राजी हो गयी लेकिन वह मुझे कहता रहता है कि तुम्हे नहीं पता कि इसका क्या मतलब है और वह चाहता है कि मैं घर के सामने लगे बोर्ड को मिटा दूं। मैं न्याय की गुहार लगाती हूं! जज ने विक्रेता से पूछा कि यह तर्क क्या है। उसने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया, “श्रीमान, मैंने उसे पहले ही बता दिया था कि जलाऊ लकड़ी की कीमत के लिए उसे मुट्ठी भर अनाज की कीमत चुकानी पड़ेगी।

मैं वास्तव में एक दाना चाहता था जो हाथ भर सके। अगर वह इतना नहीं समझ सकती हैं तो उन्हें अपने घर के सामने होर्डिंग लगाने का कोई अधिकार नहीं है।

जलाऊ लकड़ी विक्रेता द्वारा रमानी को पछाड़ दिया गया और विक्रेता के पक्ष में फैसला सुनाया गया। रमानी को उसे एक हजार सोने के सिक्के देने का आदेश दिया गया और उसे अपनी दीवार से होर्डिंग भी हटाना पड़ा।

वह मजाकिया विक्रेता कोई और नहीं बल्कि तेनाली रमन था। वह उस जिले की स्थिति और रमानी के अहंकार और अहंकार से अवगत था और इस प्रकार उसे सबक सिखाने के लिए एक जलाऊ लकड़ी विक्रेता के रूप में भेष धारण किया था।

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सीख – Moral 

अहंकार और अभिमान बुरे गुण हैं। 

27) दुनिया को मत बदलो : Lion Simple Moral Stories in Hindi 

moral stories in Hindi

एक बार की बात है, एक राजा था जो एक समृद्ध देश पर शासन करता था। एक दिन वह अपने देश के किसी दूरस्थ क्षेत्र की यात्रा पर गया। जब वह अपने महल में वापस आया, तो उसने शिकायत किया कि उसके पैरों में बहुत दर्द हो रहा है, क्योंकि वह पहली बार इतनी लंबी यात्रा पर गया था, और जिस रास्ते से वह गुजरा था वह बहुत ही उबड़-खाबड़ और पथरीला था। इसलिए उस राजा ने अपने लोगों को पूरे देश की हर सड़क को चमड़े से ढकने का आदेश दिया।

निश्चित रूप से, इसके लिए हजारों गायों की खाल की आवश्यकता होगी, और इसके लिए बड़ी राशि खर्च करनी होगी।

तब उसके एक बुद्धिमान सेवक ने राजा से यह कहने का साहस किया, “तुम्हें अनावश्यक धन क्यों खर्च करना पड़ रहा है? तुम अपने पैरों को ढकने के लिए चमड़े का एक छोटा सा टुकड़ा क्यों नहीं बनवा लेते हो?”

यह सुनकर राजा हैरान था और बाद में वह अपने लिए एक “जूता” बनाने आदेश दिया। 

सीख  – Moral 

हमें हर समस्या का हल ऐसे ढूँढना चाहिए जिससे अपना भी काम हो जाए और किसी का नुकसान भी न हो। 

28) यात्री और बिना फल वाला पेड़

Moral Stories in Hindi

एक गर्मी के दिन दो आदमी एक साथ कहीं जा रहे थे। कुछ समय बाद मौसम और भी गर्म हो गया और पास में ही उन्होंने एक बड़े बिना फल वाले पेड़ को देखकर, वे उसकी छाया में आराम करने के लिए जमीन पर लेट गएँ। 

शाखाओं की ओर देखते हुए एक व्यक्ति ने दूसरे से कहा: “यह कितना बेकार पेड़ है। उसके पास फल नहीं है जिसे हम खा सकें और हम उसकी लकड़ी का उपयोग किसी चीज़ के लिए भी नहीं कर सकते हैं।”

फिर पेड़ ने कहा की “इतना खुदगर्ज मत बनो,” मैं इस क्षण आपके लिए बेहद उपयोगी हो रहा हूं, आपको तेज धूप से बचा रहा हूं। और तुम मुझे निकम्मा कहते हो!”

इतना सुनने के बाद उस व्यक्ति की बोलती बंद हो गयी 

सीख  – Moral 

ईश्वर की सभी उत्पत्ति का एक सही उद्देश्य है।

29) गलतियों से सबक

Moral Stories in Hindi

थॉमस एडिसन ने प्रकाश बल्ब को रौशनी देने वाले फिलामेंट की खोज करते समय दो हजार अलग अलग सामग्रियों का प्रयोग किया। जब वो दो हजार तरीके अपनाने के बाद बल्ब नहीं जला था, तो उनके सहायक ने कहा की, “हमारा सारा काम व्यर्थ है। हमने कुछ नहीं सीखा है।”

एडिसन ने बहुत आत्मविश्वास से उत्तर दिया, “हम एक लंबा सफर तय कर चुके हैं और हमने बहुत कुछ सीखा है। अब हम जानते हैं कि दो हजार ऐसे तत्व हैं जिनका उपयोग हम एक अच्छा प्रकाश बल्ब बनाने के लिए नहीं कर सकते हैं।”

सीख  – Moral 

अपने गलतियों से सीखना बहुत जरुरी है। 

30) किसान और बगुला 

Moral Stories in Hindi

एक शाम एक किसान ने देखा कि बगुले उसके नए बोए गए मकई को नष्ट कर रहे हैं, उसने उन उपद्रवी पक्षियों को पकड़ने के लिए अपने खेत में एक जाल बिछाया। अगली सुबह जब वह जाल की जांच करने गया तो उसने देखा की उसके जाल में कई सारे बगुले फसे हुए हैं। 

एक बगुला चिल्लाया “मुझे छोड़ दो, मैं तुमसे विनती करता हूं, मैंने तुम्हारा कोई अनाज नहीं खाया है, और न ही मैंने तुम्हारा कुछ नुकसान किया है। मैं एक गरीब मासूम बगुला हूँ, मैं अपने पिता और माता का सम्मान करता हूँ। मैं…”

फिर किसान बगुले को बीच में रोककर कहता है की “भले ही तुम सच कह रहे हो, लेकिन मैंने तुम्हें उन लोगों के साथ पकड़ा है जो मेरी फसल को नष्ट कर रहे थे, और तुम्हें भी वही सजा भुगतना पड़ेगा जैसे लोगो के साथ तुम पाए गए हो ।”

सीख  – Moral 

आप जिसके संगत में रहते हैं लोग आपको भी उसी के कैसे समझते हैं। 

31) तेनाली रमन और वजन उठाने वाला : Tenali Raman Moral Stories in Hindi 

Tenali Raman Moral Stories in Hindi 

एक दिन, तेनाली रमन और उनकी पत्नी, शहर की ओर जा रहे थे।

एक गाँव में वे आराम करने और पानी पीने के लिए रास्ते में रुके तब उन्होंने देखा कि एक भारोत्तोलक (वजन उठाने वाले) को देखने के लिए पूरा गाँव इकट्ठा हो गया है।

अपने बड़े-बड़े हाथों और उभरी हुई मांसपेशियों के साथ, वजन उठाने वाले ने एक झटके में 200 किलो चावल का बैग आसानी से उठा लिया।

तेनाली बहुत प्रभावित हुआ और भारोत्तोलक से बोला, “तुम बहुत मजबूत हो! तुम्हारे लिए 200 किलो का बैग उठाना बहुत आसान था! लेकिन मैं और भी भारी चीज़ उठा सकता हूँ! मैं इस पहाड़ी को अपने कंधों पर ढोऊंगा!” फिर तेनाली ने भारोत्तोलक से पूछा, “तुम्हें वजन उठाने के लिए तैयार होने में कितना समय लगा?”

जिस पर भारोत्तोलक जवाब दिया, “मैंने पूरे 3 महीने कड़ी मेहनत की!” फिर तेनाली को एक तरकीब सुझा और तेनाली ने घोषणा की, “चूंकि मैं एक कई गुना भारी वजन उठाऊंगा, मुझे तैयार होने में 6 महीने का समय लगेगा और तैयारी कर सकूँ इसके लिए मुझे रहने के लिए एक आरामदायक जगह, खाने के लिए पौष्टिक भोजन और दैनिक मालिश की आवश्यकता होगी!”

गाँव वाले वास्तव में तेनाली के इस चमत्कारी करतब को देखने के लिए उत्सुक थे, इसलिए वे तेनाली की सर्त मान गए।

हर दिन तेनाली के लिए खाना लाया जाता था और मालिश की जाती थी। तेनाली और उसकी पत्नी ने 6 महीने मौज में बिताए, और हर कोई कम्पटीशन वाले दिन के लिए अधिक से अधिक उत्साहित हो गए थें। 

जब कम्पटीशन का दिन आखिरकार आया, तो पूरा गांव पहाड़ी की तलहटी में इकट्ठा हो गया, यह देखने के लिए कि तेनाली कैसे पहाड़ी को उठाएगा।

तेनाली, मुखिया के पास खड़ा हो गया और बोला, “ठीक है, तो मुझे पहाड़ी उठाकर दो?” फिर मुखिया ने उलझन में पूछा “आप पहाड़ी उठाने वाले हैं न!” फिर तेनाली ने कहा “मैंने कभी नहीं कहा कि मैं पहाड़ी उठाऊंगा, मैंने केवल इतना कहा कि मैं इसे अपने कंधों पर ले जाऊंगा यानि ढोऊंगा” तेनाली ने अपने चेहरे पर मुस्कराहट के साथ कहा “क्या तुम्हारे पास कोई नहीं है जो इसे उठाकर मेरे कंधों पर रख सके?”

अब मुखिया समझ गया की तेनाली ने चालाकी से हमें बेवक़ूफ़ बनाया है, मुखिया हंसने लगा और तेनाली से कहा। “मैं आपको और आपकी बुद्धिमत्ता और चतुराई को नमन करता हूं। आपकी बुद्धि और कुशाग्र बुद्धि के व्यक्ति को इतनी नीची पहाड़ी को उठाने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए!”

सीख : Moral 

बुद्धि ,मांसपेशियों से अधिक शक्तिशाली होती है।

32) संत की संगत : Short Moral Stories in Hindi

Moral stories in hindi

एक बार एक छोटे से शहर में एक धनी व्यापारी रहता था। वह बहुत दयालु और परोपकारी था। उसका एक बेटा था, जो दुर्भाग्य से बुरी संगति में पड़ गया था। व्यापारी ने अपने बेटे को कई बार रोकने की कोशिश की और उसे बुरी संगति में न जाने की सलाह दी लेकिन फिर भी उसका बच्चा नहीं सुधर रहा था।

एक दिन वह व्यापारी अपने बच्चे को कुछ समझा रहा था तभी बेटे ने गुस्से में कहा की “कृपया, मुझे मत बताओ कि क्या करना है पिताजी! मुझे पता है कि क्या अच्छा है और क्या बुरा है” यह सुनने के बाद वह व्यापारी निराश होकर वहां से चला गया।

एक दिन नगर में एक बड़े संत आए थे व्यापारी, संत के पास गया, उनका आशीर्वाद मांगा और कहा, “मेरा एक बिगड़ैल बेटा है जो मुझे सबसे ज्यादा परेशान करता है। कृपया मेरी मदद करें”। 

कुछ मिनट के चिंतन और विचार के बाद, संत ने उत्तर दिया, “कल अपने बेटे को मेरे आश्रम में भेज दो। मैं उससे बात करूंगा और उसे चीजों को स्पष्ट रूप से समझाऊंगा”।

अगली सुबह व्यापारी ने अपने बेटे को संत के आश्रम भेजा। वहां संत ने बेटे से आश्रम के बगीचे से एक गुलाब तोड़ने को कहा। पुत्र ने वैसा ही किया जैसा संत ने कहा था।

तब संत ने बेटे से कहा, “इसे सूंघो और इसकी सुगंध महसूस करो, मेरे बेटे”, लड़के ने ऐसा ही किया।

फिर संत ने बेटे को गेहूं की बोरी दिखाई और कहा, “गुलाब को बोरी के पास रख दो”, लड़के ने ऐसा ही किया।

एक घंटे बाद संत ने लड़के से गुलाब को फिर से सूंघने को कहा। संत ने लड़के से पूछा, “अब इसमें से कैसी गंध आ रही है?” लड़के ने गुलाब को सूँघा और कहा, “इसमें पहले जैसी महक आ रही है” तब संत ने कहा, “हम्म! अब गुलाब को इस गुड़ की बोरी के पास रख दो” लड़के ने ऐसा ही किया।

एक घंटे बाद संत ने लड़के से गुलाब को फिर से सूंघने को कहा। संत ने लड़के से पूछा। “क्या खुशबू में कोई बदलाव आया है?” लड़के ने उत्तर दिया “नहीं, यह पहले की तरह महक रही है” ।

तब संत ने कहा, “तुम्हें इस गुलाब की तरह बनना चाहिए, जो सबको सुगंध देता है, लेकिन साथ ही किसी की भी दुर्गंध को अपने ऊपर नहीं आने देता। आपके अच्छे गुण ही आपकी ताकत हैं।”

आपको अपने गुणों को बुरी संगति में नहीं खोना चाहिए।” लड़के को संत की बातें और ज्ञान समझ में आ गया। व्यापारी के बेटे ने अपनी आँखों में आँसू के साथ कहा “मैं आपका आभारी हूँ, मेरी आँखें खोलने के लिए” उस दिन से वह अपने सुसंस्कृत पिता की तरह ही ईमानदार, दयालु और परोपकारी बन गया।

सीख – Moral 

आप तय करें कि आप कौन और क्या बनना चाहते हैं

33) नासिर की इच्छा : Inspirational Short Moral Stories in Hindi 

Inspirational Short Moral Stories in Hindi 

एक दिन नासिर को अपने बगीचे में एक बरगद के पेड़ के पीछे एक क्रिस्टल बॉल मिला। बरगद के पेड़ ने उसे बताया कि क्रिस्टल बॉल तुम्हारे इच्छा को पूरा कर सकती है। फिर नासिर ने बहुत सोचा, लेकिन वह कुछ सोच नहीं पा रहा था जो उसे चाहिए था। इसलिए, उसने क्रिस्टल बॉल को अपने बैग में रखा और अपनी इच्छा के बारे में फैसला करने तक इंतजार किया।

कई दिन बीत गए लेकिन उसने wish नहीं माँगा लेकिन उसके सबसे अच्छे दोस्त ने उसे क्रिस्टल बॉल को देखते हुए देखा। नासिर के दोस्त ने नासिर से क्रिस्टल बॉल चुरा लिया। उसने गांव में क्रिस्टल बॉल सबको दिखाया और बताया की यह क्रिस्टल बाल इच्छा भी पूरा करती है, गाँव में हर कोई लालची हो गया।

फिर क्या था उन सभी ने महल और सोना मांगा, लेकिन क्रिस्टल बॉल का नियम था की एक से अधिक इच्छा पूरी नहीं हो सकती। अंत में, हर कोई नाराज था क्योंकि किसी को कुछ नहीं मिला।

गावं वाले बहुत दुखी हुए और उन्होंने नासिर से मदद माँगने का फैसला किया। नासिर चाहता था कि गांव में सब कुछ वैसा ही हो जाए जैसा पहले था। उसके बाद नासिर की इच्छा पूरी हुई लोगों का लालच खत्म हो गया और गाँव वाले फिर से खुश और संतुष्ट महसूस करने लगे।

सीख – Moral 

लालच एक व्यक्ति को कभी खुश नहीं करता।

34) बाड़ में एक छेद

Moral Stories in Hindi

एक बार एक छोटा लड़का था जिसका मिजाज बहुत खराब था। उसके पिता ने उसे कीलों का एक थैला दिया और उससे कहा कि हर बार जब वह अपना आपा खो दे, तो उसे बाड़ के पिछले हिस्से में एक कील ठोंकनी चाहिए। पहले दिन लड़के ने बाड़े में 37 कील ठोकी थी। अगले कुछ हफ्तों में, जैसे-जैसे उसने अपने क्रोध को नियंत्रित करना सीखा, प्रतिदिन ठोंकी जाने वाली कीलों की संख्या धीरे-धीरे कम होती गई। उसने पाया कि बाड़ में कीलें ठोंकने की अपेक्षा क्रोध पर काबू पाना आसान है।

अंत में वह दिन आया जब लड़के ने अपना आपा बिल्कुल नहीं खोया। उसने अपने पिता को इसके बारे में बताया और पिता ने सुझाव दिया कि लड़का अब प्रत्येक दिन के लिए एक कील बाड़े से निकाल ले।

दिन बीतता गया और छोटा लड़का आखिरकार अपने पिता को बताया कि सभी कीलें निकल गई हैं। पिता ने अपने बेटे का हाथ पकड़ा और उसे बाड़े तक ले गया। उसने कहा, “तुमने अच्छा किया, मेरे बेटे, लेकिन बाड़ में छेद हो गया है। इसी तरह जब आप गुस्सा करते हैं तो आपके कड़वे वचन लोगों के दिल में छेद कर देते हैं।”

सीख  – Moral 

गुस्सा करना सबके के लिए नुकसान दायक हो सकता है। 

35) मेरा सबसे अच्छा दोस्त : Friends Moral Stories For Kids Hindi 

Friends Moral Stories For Kids Hindi 

एक बार की बात है, दो मित्र एक रेगिस्तान में टहल रहे थे। यात्रा के दौरान किसी बिंदु पर, उनके बीच किसी बात को लेकर बहस हुई और एक दोस्त ने दूसरे के चेहरे पर थप्पड़ मार दिया। जिसे थप्पड़ पड़ा उसे चोट लग गयी। 

जो दोस्त थप्पड़ खाया था उसने कुछ नहीं कहा, लेकिन उसने रेत में लिखा, “आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मुझे थप्पड़ मारा”। उसके बाद वे तब तक चलते रहे जब तक कि उन्हें पानी का ढेर नहीं मिल गया, कुछ समय बाद उन्हें पानी का ढेर मिल गया जहाँ उन्होंने नहाने का फैसला किया।

अचानक जिसे थप्पड़ मारा गया था वह कीचड़ में फंस गया और डूबने लगा, दूसरे दोस्त ने बिना हिचकिचाए उसे बचा लिया।

डूबने से होश में आने के बाद, उसने एक पत्थर पर लिखा, “आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मेरी जान बचाई”। जिस दोस्त ने अपने सबसे अच्छे दोस्त को थप्पड़ मारा था और उसे बचाया था, उसने उससे पूछा, “जब मैंने तुम्हें थप्पड़ मारा था, तब तुमने इसे रेत में लिखा था और अब तुमने इसे एक पत्थर पर लिखा है, क्यों?

दूसरे मित्र ने उत्तर दिया, “जब कोई हमें दु:ख देता है तो हमें उसे रेत पर लिख देना चाहिए जहाँ क्षमा की हवा उसे मिटा सके। लेकिन, जब कोई हमारे लिए कुछ अच्छा करता है, तो हमें उसे एक पत्थर पर लिख लेना चाहिए ताकि कोई हवा उसे कभी मिटा न सके।”

सीख – Moral 

हमेशा लोगों में अच्छाई भी देखें।

36) मानसिक रूप से मंद : Motivational Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi

कुछ साल पहले, सिएटल स्पेशल ओलंपिक में, नौ प्रतियोगी, सभी शारीरिक या मानसिक रूप से विकलांग, 100-यार्ड दौड़ के लिए शुरुआती लाइन पर इकट्ठे हुए। बंदूक की आवाज पर सभी उत्साह से दौड़ पड़े बस, एक छोटे लड़के को छोड़कर, जो डामर पर ठोकर खा गया, एक दो बार गिर गया, और रोने लगा। अन्य आठ ने लड़के के रोने की आवाज सुनी। वे धीमे हो गए और पीछे मुड़कर देखा उसके बाद वे सब वापस दौड़ने लगे … उनमें से हर एक।

डाउंस सिंड्रोम से पीड़ित एक लड़की ने झुककर उस छोटे लड़के को चूमा और कहा, “इससे यह ठीक हो जाएगा।” फिर सभी नौ लोग हाथ जोड़े और एक साथ फिनिश लाइन तक चले गए। स्टेडियम में सभी खड़े थे और कई मिनट तक जयकारे लगते रहे। 

सीख  – Moral 

इस जीवन में जो मायने रखता है वह दूसरों को जीतने में मदद करना है। 

37) समर्पित माँ : Cute Moral Stories in Hindi

Simple Moral Stories in Hindi

एक दिन एक माँ बत्तख और उसके छोटे बत्तख के बच्चे झील की ओर जा रहे थे। बत्तख के बच्चे अपनी माँ का पीछा करते हुए और रास्ते में कुड़कुड़ाते हुए बहुत खुश थे। अचानक बत्तख की माँ ने दूर से एक लोमड़ी को देखा।

वह डर गई और चिल्लाई, “बच्चो, झील पर जल्दी जाओ। एक लोमड़ी है!”

बत्तख के बच्चे झील की ओर दौड़ पड़े। माँ बत्तख सोच रही थी कि क्या किया जाए। वह एक पंख को जमीन पर घसीटते हुए आगे-पीछे चलने लगी।

जब लोमड़ी ने उसे देखा तो वह खुश हो गई। उसने अपने आप से कहा, “ऐसा लगता है कि उसे चोट लगी है और वह उड़ नहीं सकती! मैं उसे आसानी से पकड़ कर खा सकता हूँ!” फिर वह उसकी ओर दौड़ा।

माँ बत्तख दौड़ी, लोमड़ी को झील से दूर ले गई। लोमड़ी ने उसका पीछा किया इतने समय में बतख के बच्चे झील में पहुँच गए। इससे अब बतख के बच्चे सुरक्षित हो गए। बत्तख की माँ ने अपने बच्चों की ओर देखा और उसे यह जानकर राहत हुआ कि वे झील तक पहुँच चुके हैं इसलिए वह रुक गई और एक गहरी सांस ली।

लोमड़ी ने सोचा कि वह थकी हुई है और वह करीब आ गई, लेकिन माँ बत्तख ने जल्दी से अपने पंख फैलाए और हवा में उठ गई। वह झील के बीच में उतरी और उसके बच्चे तैरकर उसके पास आ गए। लोमड़ी आश्चर्य से माँ बत्तख और उसके बच्चों को देखती रही। वह उन तक नहीं पहुँच सका क्योंकि वे झील के बीच में थे।

सीख  – Moral 

एक जागरूक माँ अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर सकती है 

38) डरपोक पत्थर : Short Moral Stories For Class 1 in Hindi

Best Short Moral Stories in Hindi

एक कलाकार अपने औजारों को झोली में भरकर जा रहा था, तभी उसे एक बहुत ही सुंदर पत्थर मिलता है। उसने सोचा – “क्यों न मैं एक मूर्ति बनाऊँ।”

वह अपने झोले से औजार निकालता है और मूर्ति को तराशने लगता है कि तभी पत्थर से आवाज आई “अरे भाई! ऐसा मत करो, मुझे दर्द होता है।” यह सुनकर कलाकार ने अपने औजारों को झोले में रखा और चलने लगा।

अचानक कलाकार को फिर से एक पत्थर मिला। इस बार फिर उसने एक मूर्ति बनाने का सोचा और अपने औजार निकाल कर एक भगवान की मूर्ति को तराशने लगा और कुछ समय बाद एक सुंदर मूर्ति बनाता है।

फिर कलाकार उस मूर्ति को वहीँ छोड़कर आगे बढ़ जाता है। रास्ते में कलाकार एक गाँव में पहुँचता है। जहां मंदिर बन रहा था।

कलाकार ने सरपंच से कहा “क्या यहां मंदिर बन रहा है? सरपंच ने जवाब दिया “मंदिर बन गया है लेकिन मूर्ति नहीं है।” कलाकार ने कहा “सरपंच जी आप मूर्ति की चिंता न करें।”

मैंने पीछे के रास्ते में एक मूर्ति खड़ी की है। गांव के कुछ लोग मूर्ति और उस पत्थर को जिसे मूर्तिकार तराश रहा था लेकिन उसे दर्द हुआ था उसे लेकर मंदिर में स्थापित कर देते हैं। लोग मूर्ति के सामने सिर झुका कर प्रार्थना करते थे जबकि लोग पत्थर के पर नारियल फोड़ते थे।

एक दिन मूर्ति और पत्थर आपस में बात कर रहे थे। जिस पत्थर पर लोग नारियल फोड़ते थे वह मूर्तिशिला से बोला- “अरे पत्थर! तुम्हारा क्या भाग्य है, आज तुम्हारी पूजा और आरती हो रही है, तो मूर्तिशिला ने कहा – “अगर उस दिन तुमने भी पीड़ा सही होती तो, तो तुम मेरी जगह बैठे होते।

सीख 

इस दुनिया में केवल उन्हीं लोगों की पूजा की जाती है, जो सफल होते हैं और सफल होने के लिए अपने जीवन में दर्द सहते हैं।

39) मेंढक और चूहा : Best Short Moral Stories in Hindi

Best Short Moral Stories in Hindi

एक घने जंगल में एक छोटा जलाशय था जिसमें एक मेंढक रहता था। मेंढक एक दोस्त की तलाश में था। एक दिन उसी जलाशय के पास एक चूहा आया।

मेंढक को उदास देखकर चूहे ने उससे पूछा, “मित्र! क्या हो रहा है? आप दुखी क्यों है?” मेंढक ने चूहे से कहा “मेरा कोई मित्र नहीं है जिससे मैं अपनी बात कह सकूँ, मैं उसके साथ अपने सुख-दुख बाँट सकूँ।”

मेंढक की बातें सुनकर चूहा उछल पड़ा और बोला, “अरे! आज से तुम मुझे अपना मित्र समझो, मैं हर समय तुम्हारे साथ रहूंगा।” चूहे की बातें सुनकर मेंढक बहुत खुश हुआ।

दोस्त बनने के बाद दोनों घंटों एक-दूसरे से बातें करने लगे। मेंढक जलाशय से निकलकर कभी चूहे की बिल में पेड़ के नीचे चला जाता तो कभी दोनों जलाशय के बाहर बैठकर खूब बातें करते।

वक्त के साथ दोनों की दोस्ती और गहरी होती गई। चूहे और मेंढक अक्सर अपने मन की बात एक दूसरे से साझा करते थे।

एक दिन मेढ़क के मन में आया कि मैं अक्सर उससे चूहे के बिल में बात करने जाता हूँ, पर चूहा कभी मेरे जलाशय में नहीं आता। यह सोचकर मेंढक ने चूहे को पानी में लाने की एक तरकीब सोची।

चतुर मेंढक ने चूहे से कहा कि “मित्र, हमारी दोस्ती बहुत गहरी हो गई है। अब हमें कुछ ऐसा करना चाहिए कि एक दूसरे को याद करते ही हमें एहसास हो जाए।”

चूहे ने सिर हिलाया और कहा, “हां क्यों नहीं लेकिन हम क्या करें?” दुष्ट मेंढक ने कहा, “तेरी पूंछ और मेरे पैर को रस्सी से बांध देना चाहिए, जब भी हम एक दूसरे को याद करेंगे तो इस रस्सी को खींच कर खींचकर अपनी दोस्ती कि एक दूसरे को याद दिलाया करेंगे।”

चूहे को मेंढक के इस छल का अंदाजा नहीं था। चूहा इसके लिए राजी हो गया। मेंढक ने जल्दी से अपना एक पैर और चूहे की पूँछ को रस्सी से बाँध दिया। इसके बाद मेंढक पानी में कूद गया।

मेंढक खुश था क्योंकि उसकी योजना सफल हो गई। वहीं पानी में चूहे की हालत खराब हो गई क्योंकि उसे तैरना नहीं आता था। अंत में, थोड़ी देर के बाद, चूहा मर गया।

एक चील आकाश में उड़ते हुए यह सब देख रहा था। जैसे ही उसने चूहे को पानी में देखा तो वह उसे मुंह में दबा कर तुरंत उड़ गया। मेंढक का पैर भी चूहे की पूंछ से बंधा हुआ था, इसलिए वह भी चील के चंगुल में आ गया।

मेंढक को पहले तो समझ नहीं आया कि हुआ क्या है? उसे आश्चर्य हुआ कि वह आकाश में कैसे उड़ रहा है। उसने जैसे ही ऊपर देखा तो चील को देखकर डर गया। वह चील से अपनी जान की भीख माँगने लगा, लेकिन चूहे के साथ-साथ चील ने उसे भी खा लिया।

सीख 

बदला न लें क्योंकि यह आपके लिए हानिकारक हो सकता है।

40) चींटी और टिड्डा : Kids Moral Stories in Hindi

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एक बार की बात है गर्मी का मौसम था और एक चींटी अपने लिए अनाज इकट्ठा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही थी। वह सोच रही थी कि क्यों न सूरज निकलने से पहले अपना काम खत्म कर लूं।

चींटी कई दिनों तक अपने काम में लगी रही। वह प्रतिदिन अपने बिल में खेत से अनाज इकट्ठा करती थी। वहीं, पास में एक टिड्डा रहता था। वह मस्ती में नाच रहा था और गाने गाकर जीवन का आनंद ले रहा था।

पसीने से लथपथ चींटी दाना ढोते-ढोते थक चुकी थी। चींटी पीठ पर दाना लेकर बिल की ओर जा रही थी तभी टिड्डा उसके सामने झपटा और बोला, “प्रिय चींटी! तुम इतनी मेहनत क्यों कर रहे हो? आओ मिलकर मजे करें।”

चींटी टिड्डे की बात को अनसुना कर खेत से एक-एक दाना उठाकर अपने बिल की ओर बढ़ती रही। मस्ती में डूबा टिड्डा चींटी पर हँसा और उसका मजाक उड़ाया।

उसके रास्ते में कूद पड़ा और बोलै, “प्रिय चींटी! आओ मेरा गीत सुनो कितना सुहावना मौसम है, मेहनत करके क्यों इस सुहाने दिन को बरबाद कर रही हो।”

टिड्डे की ऐसी हरकतों से चींटी परेशान हो गई। वह समझाते हुए बोली, “सुन टिड्डी! कुछ दिनों के बाद ठंड का मौसम आने वाला है, इसलिए बहुत अधिक बर्फ गिरेगी, उस समय कहीं अनाज नहीं होगा। मेरी सलाह का पालन करो और अपने लिए भोजन की व्यवस्था करो।”

धीरे-धीरे कुछ दिनों के बाद गर्मी का मौसम समाप्त हो गया। मस्ती में डूबे टिड्डे को पता ही नहीं चला कि गर्मियां कब खत्म हो गईं और बारिश के बाद ठंडक आ गई।

कोहरे के कारण कभी-कभी धूप नीलता था। टिड्डे ने अपने खाने के लिए एक भी अनाज इकट्ठा नहीं किया था। हर तरफ बर्फ की मोटी चादर बिछी हुई थी। टिड्डा भूख से तड़पने लगा।

टिड्डे के पास ठंड से बचने का उपाय भी नहीं था, तभी उसकी नजर चींटी पर पड़ी। चींटी अपने बिल में रखे अनाज को खुशी-खुशी खा रही थी।

तब टिड्डे को अहसास हुआ कि उसे समय बर्बाद करने का फल मिल गया है। एक चींटी ने फिर भूख और ठंड से तड़प रहे टिड्डे की मदद की।

चींटी ने खाने के लिए टिड्डे को कुछ दाने दिए। चींटी ने ठंड से बचने के लिए ढेर सारी घास और भूसा इकट्ठा कर लिया था। उसने टिड्डे को भी अपना घर बनाने को कहा।

41) एकता में शक्ति है : Cute Short Stories in Hindi

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गंगा शरण के पाँच लड़के थे – श्याम, विजय, शिवपाल, रमेश और केशव। ये पांचों लड़के आपस में छोटी-छोटी बातों पर लड़ पड़ते थे।

गंगाशरण अपने लड़कों के झगड़ों से बहुत परेशान रहता था। वह उन्हें बहुत समझाता था पर वे नहीं मानते थे। एक दिन उसे एक उपाय सूझा, उसने लकड़ी की कुछ पतली सूखी टहनियाँ इकट्ठी कीं और एक छोटी सी गठरी बना ली।

तब उसने अपके पांचों पुत्रों को बुलाकर कहा, “तुम में से जो कोई इस गठरी को तोड़ेगा उसको ईनाम मिलेगा।”

पाँचों लड़के झगड़ने लगे कि पहले मैं गठरी तोड़ूँगा क्योंकि उन्हें डर था कि यदि दूसरा भाई पहले को तोड़ेगा तो उसे पुरस्कार मिलेगा।

उन्हें झगड़ते देखकर गंगाशरण ने कहा, “पहले छोटे भाई केशव को गठरी तोड़ने दो।” केशव ने गठरी उठाई और धक्का मारने लगा। उसने अपने दाँत दबाए, आँखें मूँद लीं।

माथा पसीने से तरबतर हो गया लेकिन पोटली की टहनियां नहीं टूटीं। उसने गठरी रमेश को दे दी। रमेश ने भी जोर दिया लेकिन वह भी नहीं टूट सका।

इस तरह बारी-बारी से सभी लड़कों ने गठरी उठाई और उसे तोड़ने का प्रयास किया लेकिन उनमें से कोई भी उसे तोड़ने में सफल नहीं हो सका।

गंगाशरण ने गठरी खोली और एक-एक टहनी सभी लड़कों को देते हुए कहा, “अब इसे तोड़ दो।” इस बार सबने आसानी से टहनियाँ तोड़ लीं।

अब गंगा शरण ने समझाया, “देखो! जब तक टहनियाँ एक साथ थीं, तुम में से कोई उन्हें तोड़ नहीं सकता था और जब वह फूट गई, तो तुमने उन्हें तोड़ दिया।

इसी तरह अगर आप आपस में लड़ते रहेंगे और अलग-अलग रहेंगे तो लोग आपको आसानी से दबा लेंगे। यदि आप एक दूसरे के साथ सद्भाव में रहते हैं, तो कोई आपसे दुश्मनी करने की हिम्मत नहीं करेगा।

गंगाशरण के लड़कों ने उस दिन से आपस में झगड़ना बंद कर दिया। वह प्रेम से रहने लगा। बच्चे! इसलिए कहा गया है कि संगठन में ही शक्ति होती है, इसलिए हमें आपस में मिलजुल कर रहना चाहिए।

सीख 

एकता में बहुत शक्ति होती है। समूह में रहकर हम किसी भी कठिनाई का सामना कर सकते हैं।

42) मेहनत से कमाए गए रुपए : Short Stories in Hindi

Short Stories in Hindi

एक नगर में एक धनी व्यापारी रहता था। उसने अपने व्यवसाय से बहुत पैसा कमाया था लेकिन अब वह बूढ़ा हो गया था और वह इतना बड़ा व्यवसाय नहीं संभाल सकता था। वह चाहता था कि अब उसका बेटा कारोबार संभाले, लेकिन उसका बेटा बड़ा ही आरामपसंद और आलसी था। उसके पास न तो अभ्यास था और न ही मेहनत करने की इच्छा।

पिता ने उसे बहुत समझाया, पर उस पर कोई असर न हुआ। एक सुबह व्यापारी ने अपने बेटे को अपने पास बुलाया और कहा – “बेटा, आज जाकर कमा ले नहीं तो रात का खाना नहीं मिलेगा।”

बेटा चिंता में डूबा उदास चेहरा लिए सीधे अपनी माँ के पास गया और रोने लगा। मां ने बेटे की आंखों में आंसू देखे तो उनके बीच प्यार और बढ़ गया। बेटे की परेशानी सुनकर उन्होंने अपना संदूक खोला और एक अशर्फी निकालकर उनके हाथ पर रख दी।

रात को पिता ने पुत्र से पूछा – “आज तुमने कितना कमाया?” बेटे ने जेब से अशर्फी निकाल कर पिता के सामने रख दी। पिता ने अपने बेटे से कहा – “जाओ इस अशर्फी को कुएँ में फेंक दो।”

लड़के ने पिता की आज्ञा का तुरन्त पालन किया। अनुभवी पिता सब कुछ समझ गए। अगले दिन उसने पत्नी को बेटे को अशर्फी देने से मना कर दिया।

उसने बेटे को फिर बुलाया और कहा – “जा बेटा, कुछ कमा ले, तभी खाना मिलेगा।” बेटा फिर अपनी माँ के पास पहुँचा। माँ ने आज उसे पैसे देने से मना कर दिया।

लड़का अपनी बहन के पास गया और रोने लगा। भाई को रोता देख बहन ने अपना वाद्य यंत्र खोला और उसमें से एक रुपया निकालकर भाई को दे दिया।

रात को पिता ने बेटे से पूछा “बेटा आज तुमने क्या कमाया? लड़के ने जेब से एक रुपया निकाला और पिता के सामने रख दिया। पिता ने कहा- इसे कुएं में फेंक दो।”

लड़के ने तुरंत पिता की आज्ञा का पालन किया। अनुभवी पिता सब कुछ समझ गए। उसने अपनी बेटी को बुलाया और भाई को पैसे देने से मना कर दिया।

अगले दिन पिता ने फिर बेटे को बुलाया और वही बात दोहराई जो पहले दिन थी। लड़का बारी-बारी से अपनी मां और बहन के पास गया लेकिन दोनों ने उसे पैसे देने से मना कर दिया।

दोनों ने उसे समझाया कि वह कुछ काम करे। लड़का उदास हो गया सारा दिन बीत गया माँ-बहन का दिल आँसुओं में नहीं पसीजा। विवश होकर वह उठा और बाजार की ओर कोई काम खोजने चला गया।

दिन ढल रहा था जल्द ही अंधेरा हो जाएगा। कुछ तो किया जाना चाहिए। इसी सिलसिले में उसकी मुलाकात एक सेठ से हुई। सेठ के पूछने पर उसने बताया कि उसे काम चाहिए। सेठ ने कहा “तुम मेरा यह सामान लेकर घर ले जाओ, मैं तुम्हें चवन्नी दूंगा।”

व्यापारी के लड़के ने सामान उठाया। सामान भारी था। सेठ के घर पहुँचते ही उसके पाँव काँपने लगे और वह पसीने से लथपथ हो गया।

वह चवन्नी को लेकर घर पहुंचा। रात को पिता ने बेटे को बुलाया और पूछा “आज तुमने क्या कमाया?” बेटे ने जेब से चवन्नी निकाल कर सामने रख दी। पहले दिन की तरह ही पिता ने कहा “इसे कुएं में फेंक दो।”

लड़के की आंखें आंसुओं से भीगी हुई थीं। वह सिर झुकाए चुपचाप खड़ा रहा। पिता ने अपनी बात दोहराई- “इस पैसे को कुएँ में फेंक दो।”

लड़के ने हिम्मत जुटाई और बोला “मैंने यह पैसे कमाने में अपनी गर्दन तोड़ दी और तुम कह रहे हो कि इसे कुएं में फेंक दो।” अनुभवी पिता सब कुछ समझ गए। अगले दिन उन्होंने अपना व्यवसाय अपने बेटे को सौंप दिया।

सीख 

कड़ी मेहनत की कीमत अनमोल है।

43) सच्ची दोस्ती : Moral Stories in Hindi

 Short Moral Stories in Hindi for Kids

एक गांव में दो दोस्त रहते थे। एक का नाम राम और दूसरे का नाम श्याम था। इनकी उम्र क्रमश: 10 और 07 साल थी और दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी।

हमेशा साथ खेलना, साथ पढ़ने जाना और एक-दूसरे के साथ खूब समय बिताना। एक बार की बात है दोनों खेलते-खेलते एक कुएँ के पास पहुँचे, जो गाँव के बाहर खेतों के पास था।

किसान या कोई राहगीर वहां पानी पीने के लिए कुएं का इस्तेमाल करते थे। खेलते समय अचानक राम का पैर फिसला और वह कुएं में गिर गए। यह सब देखकर श्याम सहसा डर गया।

राम कुएँ में गिर गया पर उसे तैरना नहीं आता था। वह अंदर से चिल्लाने लगा, बचाओ-बचाओ। इधर श्याम की समझ में नहीं आ रहा था कि राम को कुएं से कैसे निकाला जाए।

तभी उसकी नजर वहां रखी रस्सी पर पड़ी, जिसमें बाल्टी भी बंधी थी। उन्होंने रस्सी खोलकर कुएं में फेंक दी और राम को रस्सी पकड़ने को कहा।

राम ने रस्सी पकड़ ली और श्याम रस्सी को ऊपर खींचने लगा, लेकिन राम उम्र और वजन दोनों में श्याम से बड़ा था। श्याम रस्सी नहीं खींच पा रहा था लेकिन वहां कोई नहीं था, जो उसकी मदद कर सके।

श्याम किसी तरह रस्सी खींचता रहा और काफी मशक्कत के बाद राम को बाहर निकाला। बाहर आकर राम ने जोर से श्याम को गले लगाया और धन्यवाद दिया और दोनों घर आ गए।

जब दोनों ने यह बात घरवालों को बताई तो किसी को भी उनकी बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था। धीरे-धीरे यह बात पूरे गांव में फैल गई।

कोई भी इस बात को मानने को तैयार नहीं था कि श्याम अपने से ज्यादा वजनी राम को रस्सी के सहारे कुएं से कैसे निकाल सकता है।

फिर सारे लोग गांव के सबसे बुजुर्ग और समझदार रामू काका के यहां पहुंचे और सारी बात बताई। रामू काका ने कहा कि यह बात बिल्कुल सच है कि श्याम ने राम को बचाया है।

इस पर गांव वालों ने पूछा कि इस बात पर कैसे विश्वास किया जाए तो रामू काका ने कहा कि यह बात बिल्कुल सच है, क्योंकि वहां राम और श्याम के अलावा कोई नहीं था और श्याम को किसी ने यह नहीं कहा था की अपने शरीर से ज्यादा वजन नहीं उठाया जा सकता है। यही वजह है कि श्याम ने ऐसा किया जो बेहद मुश्किल था।

सीख 

मनुष्य के लिए कोई भी कार्य असंभव नहीं है।

44) जीवन का मूल्य : Short Moral Stories in Hindi for Kids

जीवन का मूल्य : Short Moral Stories in Hindi for Kids

एक बार युद्ध के दौरान एक राजा शत्रु सेना के हाथ लग गया, लेकिन सौभाग्य से वह उनके चंगुल से छूट गया और अपनी जान बचाते हुए इधर-उधर भटकता रहा, तभी उसे एक किसान का घर दिखाई दिया।

वहां उसने किसान से छिपने की जगह मांगी। किसान ने राजा को अपने घर में रखी कपास की गठरियों के बीच छिपा दिया। शत्रु सैनिक भी उसे ढूंढते हुए किसान के घर आ पहुंचे।

उसने पूरे घर की तलाशी ली। यहाँ तक कि एक सिपाही ने भी अपनी तलवार को रुई के गठ्ठे में घुसाकर परखा। तलवार राजा को स्पर्श नहीं हुई, बल्कि बहुत निकट से निकल गई।

राजा को न पाकर शत्रु सैनिक वहाँ से चले गए। राजा वहाँ से चला गया और फिर से अपनी सेना में शामिल हो गया। उसके सैनिकों ने पूरी वीरता के साथ शत्रु सेना का सामना किया और लड़ाई जीत ली।

राजा अपने एहसान को नहीं भूले और किसान का सम्मान करने का फैसला किया। उसने किसान को अपने दरबार में आमंत्रित किया और अपनी इच्छा के अनुसार इनाम मांगने को कहा।

किसान ने कहा “साहब मेरे पास भगवान का दिया सब कुछ है। कृपया मुझे बताएं कि आपको कैसा लगा जब सैनिकों ने अपनी तलवारें कपास के गट्ठर में डाल दीं।”

यह सुनकर राजा को बहुत क्रोध आया। उसका चेहरा लाल हो गया। उसने कहा “मूर्ख! हमसे ऐसी बातें पूछने का साहस आपका है।”

आपको इसकी सजा जरूर मिलेगी। यह कहकर उसने सेनापति को आदेश दिया कि इस उद्दंड किसान को किसी सार्वजनिक समारोह में तोप से गोली मार देनी चाहिए ताकि फिर कोई ऐसा काम न कर सके।

जवानों ने किसान को भी बंदी बना लिया। किसान गिड़गिड़ाता रहा पर राजा ने नहीं सुना और उठकर चला गया। एक बड़े मैदान में मंच बनाया गया था।

एक तरफ किसान को बांधा गया और दूसरी तरफ तोप लगा दी गई। किसान की हालत बहुत खराब थी। वह बार-बार राम की याचना कर रहा था।

आदेश मिलते ही तोप दाग दी गई। धमाके की आवाज के साथ गेंद तोप से निकली और किसान के कान में हवा देते हुए निकल गई। डरा हुआ किसान कांप रहा था।

राजा ने किसान से कहा “मुझे ऐसा लगा” और फिर किसान चुप चाप वहाँ से चला गया।

सीख 

जीवन अनमोल है।

45) बड़ा पक्षी : Birds Short Moral Stories in Hindi

Birds Short Moral Stories in Hindi

बहुत पहले की बात है। पक्षियों ने एक बैठक बुलाई और अपने राजा को चुनने का फैसला किया। जंगल में एक खुले मैदान में, शिकारी पक्षियों को छोड़कर, अन्य सभी पक्षी बैठक के लिए एकत्रित हुए।

सभा को सम्बोधित करते हुए बगुले ने कहा “मित्रों, यह हमारा दुर्भाग्य है कि हमें इस धरती पर आए लाखों वर्ष हो गए, पर आज तक हमारा एक भी राजा नहीं हुआ।”

कौन हम पर शासन कर सकता है और हमें शिकारियों से बचा सकता है? यही कारण है कि हममें से कुछ विलुप्त हो गए हैं और कुछ विलुप्त होने के कगार पर हैं।

फिर सर्वसम्मति से मोर को राजा घोषित कर दिया गया। तय हुआ कि 30 दिन बाद दोबारा बैठक होगी। समय बीतता गया अगले 30 दिनों तक कोई दुर्घटना नहीं हुई।

सभी पंछी बहुत खुश थे। 31वें दिन सभी पक्षी, जैसा कि पहले से तय था, शासन की नई व्यवस्था पर चर्चा करने के लिए नियत समय पर एकत्रित हुए।

बैठक शुरू हुई तो सामने एक गौरैया उदास चेहरे के साथ प्रकट हुई और कहने लगी “साहब, हम सब आपके राज में असुरक्षित रहते हैं तो आपका क्या राज है।”

तुम्हारे सामने बैठा यह मोटा कौआ हमारे बच्चों को खाता रहता है। कमजोर होने के कारण हम अपनी रक्षा भी नहीं कर सकते।” यह सुनकर सभी पक्षी बहुत क्रोधित हुए।

उनके बीच गरमागरम बहस छिड़ गई और सभा में हंगामा होने लगा। ऊपर आकाश में जब बाजों ने नीचे खुले मैदान में हजारों पक्षियों को आपस में लड़ते हुए देखा तो उन्हें उन पर आक्रमण करने का सुनहरा अवसर मिल गया।

फिर क्या था? चील का एक झुंड पक्षियों पर टूट पड़ा और कई पक्षियों को अपने पंजों में पकड़कर आसमान में ऊंची उड़ान भरी। जो उन बाजों में सबसे बड़ा और बलवान था, मोर को उठा ले गया।

इस प्रकार इस पृथ्वी पर पक्षियों की आवाजाही के लाखों वर्षों के इतिहास में केवल 30 दिन ही ऐसे थे जब उनका अपना एक राजा था।

सीख  

एकता में शक्ति होती है। हमें हमेशा साथ रहना चाहिए ताकि कोई और हमारा फायदा न उठा सके।

46) राक्षस : Short Moral Stories in Hindi

राक्षस : Short Moral Stories in Hindi

श्रीपर्वत के मध्य में नागपुर नाम का एक नगर था। उस नगर के निकट एक घना जंगल भी था। एक समय की बात है एक चोर घंटी चुराकर उस जंगल से भाग रहा था।

एक बाघ ने उसे देख लिया और अपना शिकार बना लिया और घंटी वहीं पड़ा रहा। कुछ बंदरों ने उस घंटी को उठा लिया। बंदरों के लिए घंटी एक अनोखी चीज थी।

वे घंटी से हर समय खेला करते थें। घंटी की आवाज नागपुरवासियों के लिए एक पहेली बन गई। कुछ लोग हिम्मत जुटाकर जंगल में चले गए।

वहां उन्होंने एक अधपके मानव शरीर को देखा और घंटियों की लगातार बजने की आवाज सुनी। इससे उन्हें लगा की वहाँ कोई राक्षस मौजूद है। 

इसलिए सभी वहाँ से डर कर भाग गए। नगर में आकर उन लोगों ने सबको बताया कि उस जंगल में घंटाकर्ण नामक राक्षस रहता है। वह आदमी को मारकर खा जाता है और घंटी बजाता रहता है।

नागपुर के निवासी डर गए और धीरे-धीरे शहर छोड़ने लगे। उसी नगर में कराला नाम की एक स्त्री रहती थी। उसने सोचा, राक्षस को क्या हो गया है जो वह हर समय घंटी बजाता रहता है।

जरूर इसमें कोई राज है। एक दिन वह हिम्मत जुटाकर उस जंगल में चली गई। वहां उन्होंने बंदरों का एक समूह देखा। उस टोली का एक बन्दर घंटी बजा रहा था।

यह देखकर उसे सारा माजरा समझ में आ गया और वह उस नगर के राजा के पास पहुंची। उसने राजा से कहा- “महाराज, यदि आप मुझे कुछ धन दे दें, तो मैं राक्षस घंटाकर्ण को अपने वश में कर सकती हूं।”

राजा से पैसे लेकर कराला बंदरों को पसंद आने वाले फल को खरीदी और अगले दिन वह उन फलों को लेकर जंगल में चली गई।

उस समय भी घंटी की आवाज लगातार आ रही थी। वह आवाज की दिशा में चलती रही और बंदरों के उस समूह के पास पहुंची, वहां जाकर कराला ने सारे फल बिखेर दिए।

फल देखकर सभी बंदर नीचे आ गए और घंटी को एक तरफ पटक दिया। कराला ने मौका पाकर घंटी उठा ली।

घंटी लेकर वह सीधे राजदरबार में गई और राजा से बोली- ‘घण्टाकर्ण नमक, मैंने उस राक्षस को दुर्गों में बांध रखा है। अब वह न तो किसी को मारेगा और न ही कोई घंटी की आवाज सुनेगा।” कराला का साहस देखकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ। उसने कराला को अनेक उपहार दिए और आदर सहित विदा किया।

सीख 

साहस और सूझबूझ से किया गया हर काम सफल होता है।

47) समस्या का समाधान : Motivational Short Stories in Hindi

समस्या का समाधान : Motivational Short Stories in Hindi

यह एक बार की बात है, गर्मी की दोपहर थी। हर तरफ गर्मी का प्रकोप चल रहा था। उस गर्मी में एक आदमी अपने 5 साल के बच्चे को लेकर अपनी कार में कहीं जा रहा था।

रास्ते में एक पुल था। कार पुल के ऊपर से गुजर रही थी तभी उस आदमी को लगा कि कार बहुत जोर से चल रही है। उसने कार रोकी और नीचे उतरा तो देखा कि कार का एक पहिया पंक्चर था।

चिलचिलाती धूप में चक्का पंचर देखकर उन्हें बड़ी पीड़ा हुई। उसने इधर-उधर देखा तो आसपास कोई नहीं था। उस आदमी ने स्टेफ़नी को कार की डिक्की से बाहर निकाला और चक्का खुद बदलने का फैसला किया।

इसी बीच उसका 5 साल का बच्चा भी कार से बाहर आ गया और अपने पिता को पहिया बदलते हुए देखने लगा। उस आदमी ने पहिए के चारों नट खोल दिए और उन्हें पास रख दिया।

उसके 5 साल के बच्चे ने उस नट को उठा लिया और खेलने लगा, फिर खेलते-खेलते उस बच्चे ने सारी नट पुलिया के नीचे पानी में गिरा दी. अब उस आदमी का माथा ठनका।

उसने गुस्से में अपने बच्चे को दो थप्पड़ मारे और परेशान होकर वहीं बैठ गया। आसपास कोई देखने वाला नहीं था। कुछ देर बाद दूर से साइकिल पर सवार एक युवक आता दिखा।

उसने पास आकर उस आदमी से पूछा “तुम इतने परेशान क्यों हो? क्या मैं आपकी कुछ मदद कर सकता हूं“ उस आदमी ने साइकिल सवार को डांटते हुए कहा “तुम मेरी क्या मदद करोगे?”

जाओ अपना काम करो” यह सुनकर साइकिल वाला वहां से चला जाता है। कुछ देर बाद साइकिल वाला आदमी लौटा तो उसने देखा कि वह आदमी अभी भी वहीं बैठा है।

साइकिल वाला आदमी फिर उस आदमी के पास जाता है और पूछता है कि “तुम परेशान क्यों बैठे हो?” फिर वह आदमी कहता है कि “मेरी गाड़ी का पहिया पंचर हो गया है और उसके सारे नट पानी में गिर गए हैं।”

यह सुनकर साइकिल वाले ने उस आदमी से कहा “यहां से 1 किलोमीटर दूर पंचर की दुकान है। मैं वो नट वहाँ से लेकर आता हूँ”

साइकिल सवार की बात सुनकर वह आदमी शांत हो गया। उसने साइकिल सवार को धन्यवाद दिया और अपने क्रोध के लिए क्षमा मांगी।

सीख 

ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका समाधान न हो।

48) बंदर और डॉल्फिन

: Short Moral Stories in Hindi For Kids

एक दिन कुछ नाविक अपने जहाज में समुद्र के लिए निकल पड़े। उनमें से एक यात्री ने लम्बी यात्रा के लिए अपने साथ एक पालतू बंदर लेकर आया था। 

जब वे समुद्र में बहुत दूर थे, तभी एक भयानक तूफान ने उनके जहाज को पलट दिया। हर कोई समुद्र में गिर गया और बंदर डूबने ही वाला था की अचानक एक डॉल्फिन दिखाई दी और उसने बंदर को उठा लिया।

वे दोनों टापू पर पहुँचे और बंदर डॉल्फ़िन की पीठ से नीचे उतर आया। डॉल्फिन ने बंदर से पूछा, “क्या तुम इस जगह को जानते हो?”

बंदर ने उत्तर दिया, “हाँ, मैं जानता हूँ। वास्तव में, द्वीप के राजा मेरे सबसे अच्छे मित्र हैं। क्या तुम जानते हो कि मैं वास्तव में एक राजकुमार हूँ?”

यह जानकर कि द्वीप पर कोई नहीं रहता था, डॉल्फ़िन ने कहा, “ठीक है, तो तुम एक राजकुमार हो! अब तुम राजा बन सकते हो!”

बंदर ने पूछा, “मैं राजा कैसे बन सकता हूँ?”

जैसे ही डॉल्फिन तैरने लगी, उसने उत्तर दिया, “इस द्वीप पर राजा बनाना आसान है जैसा कि आप इस द्वीप पर एकमात्र प्राणी हैं, आप स्वाभाविक रूप से राजा होंगे, इसमें कोई आश्चर्य होने वाली बात ही नहीं है।”

सीख 

झूठ बोलने और शेखी बघारने वालों को परेशानी हो सकती है।

49) दूधवाली

: Short Moral Stories in Hindi For Kids

एक दूधवाली अपनी गाय का दूध बेचने के लिए बाजार जा रही थी। जैसे ही उसने दूध के बड़े जग को अपने सिर के ऊपर रखी वैसे ही वह सोचने लगी की “एक बार दूध बिक जाए तो बहुत सारे पैसे आएंगे और उससे मैं अपने सपने पूरी करुँगी, उन पैसों से मैं पालने के लिए सौ चूज़े खरीदूंगी। जब वे पूरी तरह से बड़े हो जाएंगे तो मैं उन्हें बाज़ार में अच्छी कीमत पर बेच सकती हूँ।”

जैसे-जैसे वह चलती गई, वह अपने सपने के बारे में ही सोच रही थी “फिर मैं दो युवा बकरियों को खरीदूंगी और उन्हें पास की घास पर पालूंगी। जब वे पूरी तरह से बड़े हो जाएंगे तो मैं उन्हें और भी अच्छी कीमत पर बेच सकती हूँ!”

वह अभी भी सपना देख रही थी, उसने खुद से कहा, “जल्द ही, मैं एक और गाय खरीद पाऊँगी, और मेरे पास बेचने के लिए और दूध होगा। तब मेरे पास और भी अधिक धन होगा…”

इन सुखद विचारों के साथ वह उछलने-कूदने लगी। तभी अचानक वह लड़खड़ा कर गिर पड़ी। सुराही टूट गई और सारा दूध जमीन पर गिर गया। वह बैठ गई और रो पड़ी।

सीख 

कर्मफल नहीं अपने काम के बारे में सोचें 

50) लड़का और सेब का पेड़ : Short Moral Stories in Hindi For Kids

: Short Moral Stories in Hindi For Kids

बहुत समय पहले की बात है, एक सेब का एक बहुत बड़ा पेड़ हुआ करता था। एक छोटा लड़का रोज आता और उसके आसपास खेलना पसंद करता था। वह पेड़ की चोटी पर चढ़ गया, सेब खाया और छाया के नीचे एक झपकी ली। वह पेड़ से प्यार करता था और पेड़ उसके साथ खेलना पसंद करता था। समय बीतता गया, छोटा लड़का बड़ा हो गया था और अब वह प्रतिदिन पेड़ के आसपास नहीं खेलता था।

एक दिन लड़का वापस पेड़ के पास आया और उदास दिख रहा था फिर  पेड़ ने लड़के से पूछा “आओ और मेरे साथ खेलो”।

लड़के ने जवाब दिया “मैं अब बच्चा नहीं रहा, मैं अब पेड़ों के आसपास नहीं खेलता, मुझे खिलौने चाहिए। मुझे उन्हें खरीदने के लिए पैसों की जरूरत है।”

फिर पेड़ ने लड़के से कहा की “क्षमा करें, लेकिन मेरे पास पैसे नहीं हैं, लेकिन तुम मेरे सारे सेब तोड़ सकते हो और उन्हें बेच सकते हो और उससे पैसे कमा सकते हो।”

लड़का बहुत उत्साहित था। उसने पेड़ के सारे सेब उठा लिए और खुशी-खुशी निकल गया। सेब तोड़ने के बाद लड़का कभी वापस नहीं आया। पेड़ उदास था।

एक दिन वह लड़का जो अब एक आदमी में बदल गया था, एक दिन वह फिर पेड़ के पास आया और पेड़ उत्साहित था।

पेड़ ने कहा “आओ और मेरे साथ खेलो”।

लड़के ने कहा “मेरे पास खेलने का समय नहीं है। मुझे अपने परिवार के लिए काम करना है। हमें आश्रय के लिए घर चाहिए। क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?”

पेड़ ने कहा “क्षमा करें, लेकिन मेरे पास कोई घर नहीं है। किन्तु तुम अपना घर बनाने के लिए मेरी शाखाओं को काट सकते हो।” अत: उस व्यक्ति ने पेड़ की सारी डालियाँ काट दीं और खुशी-खुशी चला गया। पेड़ उसे खुश देखकर खुश हुआ लेकिन उसके बाद से वह आदमी कभी वापस नहीं आया। पेड़ फिर से अकेला और उदास था।

एक गर्म गर्मी के दिन, आदमी लौटा और पेड़ खुश हो गया और पेड़ ने कहा। “आओ और मेरे साथ खेलो!”।

उस बूढ़े आदमी ने कहा  “हम बूढ़े हो रहे हैं। मैं खुद को आराम देने के लिए नौकायन पर जाना चाहता हूं। क्या आप मुझे एक नाव दे सकते हैं?” 

पेड़ ने कहा की “अपनी नाव बनाने के लिए मेरे लकड़ी का उपयोग करो। आप बहुत दूर तक जा सकते हैं और खुश रह सकते हैं।”

तो आदमी ने नाव बनाने के लिए पेड़ के तने को काट डाला। वह नौकायन करने गया और पेड़ के पास लंबे समय तक कभी नहीं दिखा।

आखिरकार वह आदमी कई सालों के बाद पेड़ के पास लौटा और पेड़ ने कहा “क्षमा करें, मेरे लड़के लेकिन मेरे पास अब तुम्हारे लिए अब कुछ नहीं है। तुम्हारे लिए और सेब नहीं” आदमी ने जवाब दिया “कोई बात नहीं, मेरे पास काटने के लिए दांत नहीं हैं” 

पेड़ ने कहा “आपके चढ़ने के लिए और कोई शाखा नहीं है।” आदमी ने कहा “मैं अब इसके लिए बहुत बूढ़ा हो गया हूँ” पेड़ ने आंसुओं के साथ कहा, “मैं वास्तव में तुम्हें कुछ नहीं दे सकता, केवल मेरी मरती हुई जड़ें बची हैं।” आदमी ने जवाब दिया “मुझे अब ज्यादा कुछ नहीं चाहिए, बस आराम करने की जगह चाहिए। इतने सालों के बाद मैं थक गया हूँ,” 

पेड़ ने कहा “अच्छा! पुराने पेड़ की जड़ें आराम करने के लिए सबसे अच्छी जगह हैं, आओ मेरे साथ बैठो और आराम करो।”

वह आदमी बैठ गया और पेड़ खुश था और आंसुओं के साथ मुस्कुराया।

सीख 

हम इंसानों ने पृथ्वी की हालत भी ऐसी ही कर दी है। जब हमें जरूरत पड़ता है हम पृथ्वी के संशाधन का उपयोग करते हैं लेकिन यह भूल जाते हैं की इसका असर पृथ्वी पर क्या होगा इसलिए प्रदुषण और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं उतपन्न होती है। 

51) पेंसिल की कहावत : Short Moral Stories in Hindi For Kids

: Short Moral Stories in Hindi For Kids

पेंसिल बनाने वाले ने पेंसिल को बॉक्स में डालने से ठीक पहले उसने पेंसिल से कहा, “इससे पहले कि मैं तुम्हें दुनिया में भेजूं, आपको पांच चीजें जानने की जरूरत है।” उन्हें हमेशा याद रखो और कभी मत भूलो, और तुम सबसे अच्छी पेंसिल बन जाओगे।”

एक: “आप कई बड़े काम करने में सक्षम होंगे, लेकिन केवल तभी जब आप खुद को किसी के हाथ में होने देंगे।”

दो: “आप समय-समय पर एक दर्दनाक तीक्ष्णता का अनुभव करेंगे, लेकिन एक बेहतर पेंसिल बनने के लिए आपको इसकी आवश्यकता होगी।”

तीन: “आप जो भी गलतियाँ कर सकते हैं उन्हें सुधारने में सक्षम होंगे।”

चार: “आपका सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हमेशा वही रहेगा जो अंदर है।”

और पाँच: “हर उस सतह पर जिसका आप उपयोग करते हैं, आपको अपनी छाप छोड़नी चाहिए। चाहे कैसी भी स्थिति हो, आपको लिखना जारी रखना चाहिए।

पेंसिल समझ गई और याद रखने का वादा किया, और अपने दिल में उद्देश्य के साथ बॉक्स में चली गई। 

अब पेंसिल की जगह आप अपने आप को रख लें। उन बातों को हमेशा याद रखें और कभी न भूलें, और आप सबसे अच्छे व्यक्ति बन सकते हैं।

एक: “आप बहुत से महान कार्य करने में सक्षम होंगे, लेकिन केवल तभी जब आप स्वयं को परमेश्वर यानी सत्य के अधीन रहने देंगे”

दो: “आप जीवन में विभिन्न समस्याओं से गुजरते हुए समय-समय पर एक दर्दनाक पैनापन का अनुभव करेंगे, लेकिन एक मजबूत व्यक्ति बनने के लिए आपको इसकी आवश्यकता होगी।”

तीन: “आप जो भी गलतियाँ कर सकते हैं उन्हें सुधारने में सक्षम होंगे।”

चार: “आपका सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हमेशा वही होगा जो आपके अंदर है।”

और पाँच: “हर उस सतह पर जहाँ से तुम गुज़रते हो, तुम्हें अपनी छाप छोड़नी चाहिए। स्थिति कैसी भी हो, आपको अपना कर्तव्य निभाते रहना चाहिए।”

52) वफादार नेवला : Short Moral Stories in Hindi

: Short Moral Stories in Hindi For Kids

एक बार एक वफादार नेवले को अपने मालिक के सोते हुए शिशु की रखवाली करने के लिए छोड़ दिया जाता है। नेवला जब देखता है कि कोई सांप बच्चे को काटने के लिए आ रहा है, तो वह सांप पर हमला कर उसे मार डालता है। 

कुछ समय बाद किसान की पत्नी कहीं से आती है घर लौटने पर नेवले के मुंह पर खून देखती है जिससे उसे सक होता है की कहीं  इस नेवले ने मेरे बच्चे को काट तो नहीं लिया है इसलिए वह गुस्से में आकर नेवले को मार देती है, लेकिन बाद में उसे पता चलता है की नेवले ने सांप को मारकर उसके बच्चे को बचाया था इससे उस महिला को अपनी गलती का एहसास होता है।

सीख 

कार्य करने से पहले सोचें।

53) अमीर आदमी का बेटा : Very Simple Moral Stories in Hindi 

Very Simple Moral Stories in Hindi 

एक बार की बात है, एक अमीर आदमी का बेटा एक बड़े कॉलेज में पढ़ता था। महीनों से, उसका बेटा एक नई कार चाहता था, लेकिन उसके अमीर पापा ने उसकी इच्छा पूरी नहीं की।

जब उसका ग्रेजुएशन पूरा हो गया तो उसके पिता ने उसे अपने पास बुलाया, पिता ने उसे एक लपेटा हुआ उपहार दिया और उसके स्नातक होने और उसकी उपलब्धि पर बधाई दी।

बेटे ने उपहार खोला तो उसमें चमड़े से बंधी एक सुंदर पत्रिका मिली, जिसके मुखपृष्ठ पर युवक का नाम लिखा हुआ था।

युवक को यह गिफ्ट पसंद नहीं आया और वह बहुत निराश हुआ और गुस्से में चिल्ला के पत्रिका को बिना खोले ही फेंक दिया, और बाहर निकल गया। युवक घर से चला गया। उस दिन से उसने कभी अपने पिता के पास जाने की कोशिश नहीं की।

हालाँकि, वह सफल हो गया और अपने पिता की तरह ही उसके पास एक सुंदर घर, परिवार था और वह अमर भी हो गया था। जैसे-जैसे साल बीतते गए, बेटे को एहसास हुआ कि उसके पिता बूढ़े हो गए होंगे और हो सकता है कि उनके अतीत को पीछे छोड़ने का समय आ गया हो।

तभी, युवक को एक संदेश मिला कि उनके पिता का निधन हो गया है, और उसे संपत्ति की देखभाल के लिए घर लौटना होगा।

जैसे ही पुत्र घर लौटा, उसने अपने पिता के महत्वपूर्ण कागजातों को खोजना शुरू किया और देखा कि उसके पिता के पास अभी भी पत्रिका थी, जैसे वह उसे छोड़ गया था।

उसने इसे खोला, और जैसे ही वह पेज को हटाया तो, पत्रिका के पीछे से एक कार की चाबी निचे गिर गई। कुंजी के साथ एक टैग जुड़ा हुआ था जिस पर लिखा था – “पूरा भुगतान किया गया। यह कार आपको जहां भी ले जाए, इसे हमेशा याद रखने के लिए इसके बारे में लिखें। प्यार, पिता”

सीख – Moral 

आपके पास जो है उसके लिए आभारी रहें।

54) बदसूरत बत्तख़ का बच्चा : Cute Short Moral Stories in Hindi 

 Cute Short Moral Stories in Hindi 

यह दुनिया की सबसे प्रसिद्ध कहानियों में से एक है, और हम में से अधिकांश ने इसके बारे में सुना है। यह कहानी एक एक बत्तख के बच्चे के इर्द-गिर्द केंद्रित है, जिसने जन्म से ही हमेशा अपने भाइयों से अलग महसूस किया है। उसे लगातार छेड़ा जाता था क्योंकि वह दूसरे बच्चों की तरह नहीं दिखता था। वह उस तालाब से बहुत दूर चला गया जहाँ वह बड़ा हुआ था।

उसने एक ऐसे परिवार की तलाश में दूर-दूर की यात्रा की जो उसे पसंद कर सके। महीने बीत गए, और मौसम बदल गए, लेकिन कोई भी उसे नहीं चाहता था क्योंकि वह इतना आकर्षक बत्तख नहीं था। फिर एक दिन उसने हंसों के परिवार को देखा, जब उसने उनकी ओर देखा, तो उसने महसूस किया कि महीनों की यात्रा के बाद वह एक सुंदर हंस बन गया था। उसे अचानक एहसास हुआ कि वह अपने बाकी भाई-बहनों की तरह कभी क्यों नहीं दिखता क्यूंकि वह हंस है, बत्तख नहीं।

सीख – Moral 

हमें लोगों को किसी के बाहरी रूप के आधार पर जज नहीं करना चाहिए। हम में से प्रत्येक अपने तरीके से सुंदर है।

55) हाथी और चूहे

हाथी और चूहे short moral stories in hindi

एक दिन की बात है हाथियों का झुंड पानी की तलाश में एक सुनसान शहर से गुजर रहा था, जहां केवल चूहे रहते थें । चूहे, बड़े हाथियों के झुंड द्वारा रौंद दिए जाने के डर से, हाथियों से एक अलग रास्ता लेने का अनुरोध करते हैं और यह अनुरोध हाथी मान लेते हैं। 

वर्षों बाद, चूहे हाथी के बारे में सुनते हैं कि राजा के शिकारियों ने हाथी को कब्जा कर लिया है, और वे चूहें हाथियों की मदद करने के लिए दौड़ पड़ते हैं। चूहें उस रस्सी को चबाते हैं जिससे हाथी को बाँधा गया था और उन्हें आज़ाद कर देते हैं।

सीख 

मुसीबत में काम आने वाला दोस्त ही सच्चा दोस्त होता है।

56) दो बकरियां

दो बकरियां

एक बार एक छोटे से गांव में एक नदी थी। गांव के लोगों ने इसे पार करने के लिए नदी पर एक संकरा पुल बनाया। पुल इतना संकरा था कि एक बार में एक ही व्यक्ति उसे पार कर सकता था।

एक दिन एक बकरी पुल पार कर रही थी। सामने से उसने एक और बकरी को पुल पार करते देखा, जो विपरीत दिशा से उस पर चल रही थी। पुल बेशक इतना संकरा था कि दोनों के गुजरने की जगह ही नहीं थी।

दोनों बकरियां देर तक एक दूसरे के वापस जाने का इंतजार करती रहीं। लेकिन दोनों में से कोई भी वापस नहीं जाना चाहता था.

एक बकरी ने दूसरी बकरी से कहा, “तुम्हें वापस जाना चाहिए क्योंकि मैं तुमसे बड़ी हूँ।” दूसरी बकरी ने इनकार करते हुए कहा, “मैं मजबूत हूं और पुल को तेजी से पार कर सकती हूं। 

पहली बकरी ने कहा, “मैं उम्र में बड़ी हो सकती हूं, लेकिन मैं तुमसे ज्यादा ताकतवर हूं।”

दूसरी बकरी ने यह कहकर मना कर दिया कि वह ज्यादा मजबूत है। इस तरह दोनों में इस बात को लेकर थोड़ी देर तक बहस होती रही कि कौन ज्यादा ताकतवर है। जल्द ही बहस मारपीट में बदल गई और एक बकरी ने अपने सींगों से दूसरे पर वार कर दिया।

वे जमकर लड़े और जल्द ही, दोनों अपना संतुलन खो बैठे और नीचे नदी में गिर गए। नदी की तेज धारा उन्हें गहरे पानी में बहा ले गई और दोनों डूबकर मर गए।

कुछ देर बाद दो और बकरियां विपरीत दिशाओं से उसी पुल पर आ गईं। दोनों इस बात पर बहस करने लगीं कि किसे पुल से पीछे हटना चाहिए। इस बार पहली बकरी ने कुछ देर सोचा और दूसरी बकरी से कहा, “रुको! पुल बहुत संकरा है। यदि हम दोनों लड़े तो हम नदी में गिरकर डूब जाएँगे। इसके बजाय मेरे पास एक योजना है। मैं लेट जाउंगी, और तुम मेरी ऊपर से चली जाना ”

दूसरी बकरी समझ गई कि यही समझदारी की बात है। उसने पहले बकरी की ज्ञान की सराहना की।

बुद्धिमान बकरी पुल पर लेट गई, और दूसरी बकरी उसके ऊपर से चली गई। यह वे दोनों एक दूसरे के पार और पुल के पार थे।

सीख 

क्रोध और अहंकार विनाश की ओर ले जाता है। विनम्रता पूर्णता की ओर ले जाती है।

57) असन्तुष्ट कछुआ

असन्तुष्ट कछुआ

एक समय था जब बनारस शहर पर राजा ब्रह्मदत्त का शासन था। उसी नगर में कुम्हार का पुत्र बोधिसत्व रहता था। वह भी अपने परिवार के साथ कुम्हार का जीवन व्यतीत करता था।

बनारस से होकर बहने वाली नदी के पास एक विशाल सरोवर स्थित था। जल की अधिकता होने पर नदी और सरोवर आप में मिल जाते थे। झील के निवासी – मछलियाँ और कछुए अच्छी तरह से जानते थे कि पानी की मात्रा उनके रहने के लिए पर्याप्त होगी।

एक साल, बड़े सूखे की भविष्यवाणी की गई थी। कछुआ और मछलियाँ जानते थे कि जल्द ही पानी नहीं होगा। इसलिए, जब नदी और झील एक थे, तो एक कछुए को छोड़कर सभी कछुआ नदी में तैर गए।

मूर्ख कछुआ, आसन्न खतरे से अनजान, नदी में जाने से इनकार कर दिया।

उसे अकेले कछुए का कहना था की “मेरा जन्म और पालन-पोषण यहीं हुआ है। यह मेरे माता-पिता का घर है। मैं इसे नहीं छोड़ सकता।”

गर्मियां आते ही झील सूख गई। कछुआ नरम मिट्टी में एक छेद खोदता है और अंदर छिप जाता है। यह वही स्थान था जहाँ से बोधिसत्व अपनी मिट्टी लेते थे। जब बोधिसत्व उस स्थान पर पहुंचा, तो उसने अपने बड़े कुदाल से जमीन को खोदा और कछुए का खोल खुल गया। बोधिसत्व ने उसे मिट्टी का एक बड़ा टुकड़ा समझकर पीठ के बल कर दिया। कछुआ दर्द से कराह रहा था।

फिर कछुए ने सोचा की “अगर मैं केवल इस जगह से बाहर चला गया होता, तो मेरा यह हाल नहीं होता”

दर्द से छटपटाते हुए कछुआ एक छंद में कराह उठा,

“यहाँ मैं पैदा हुआ था, और यहाँ मैं रहता था; मिट्टी में मेरा शरणस्थान था;”

और अंत में उस कछुए का निधन हो गया। बोधिसत्व ने कछुआ उठाया और एकत्रित ग्रामीणों से कहा,

“इस अनिच्छुक कछुए को देखो जिसने अपना जीवन तब खो दिया जब मैंने मिट्टी के लिए खोदने वाली कुदाल से उसका खोल तोड़ा। उसने अपने घर को छोड़ने से इनकार कर दिया, वह झील जो अब सूख रही है।”

सीख 

उन्होंने आगे कहा, “इससे सीखिए और उन चीजों के प्रति ज्यादा लगाव न रखिए जिनसे आप जुड़े हुए हैं। उनसे इच्छा से मत चिपको। जीवन के हर पड़ाव पर समभाव से आगे बढ़ें।” ऐसा कहकर उन्होंने बुद्ध की एक बहुमूल्य शिक्षा दी। यह प्रवचन पूरे भारत में प्रसारित हुआ और पूरे सात हजार वर्षों तक इसकी सराहना की गई। पीढि दर पीढी ने दान के द्वारा जीवन को पूरा किया और जब उनका समय आया तो वे पवित्र स्वर्ग में पहुँचे।

58) मूर्ख शेर और चतुर खरगोश : Hindi Moral Kahani

मूर्ख शेर और चतुर खरगोश : Hindi Moral Kahani

एक बार की बात है, एक जंगल में एक लालची शेर रहता था। अन्य सभी जानवर उससे डरते थे, क्योंकि वह प्रतिदिन शिकार करता था और भूख न होने पर भी बड़ी संख्या में जानवरों को मारता था। सभी जानवर जानते थे कि कुछ समय में शेर की वजह से उनमें से कोई भी जीवित नहीं बचेगा।

जानवरों ने मिलकर फैसला किया कि वे हर रोज एक जानवर शेर को भेंट करेंगे। वे शेर के पास गए और बोले, “महाराज, कृपया हमारी बात सुनें। हमारा एक विनम्र अनुरोध है। जिस गति से तुम हमें मार रहे हो, शीघ्र ही हममें से कोई भी वन में नहीं बचेगा। हम चाहते हैं की आप हमेशा अपनी गुफा में रहें। हम प्रतिदिन आपके भोजन के रूप में आपके लिए एक पशु भेजेंगे। इस तरह आपको अपने भोजन के लिए शिकार नहीं करना पड़ेगा और हम भी जीवित रह सकते हैं।

शेर सहमत हो गया और उस दिन से, एक जानवर को शेर के पास भेजने के लिए चुना गया। एक दिन एक युवा खरगोश की बारी आई। यह खरगोश बहुत चालाक था। वह शेर द्वारा खाया जाना नहीं चाहता था। वह भी शेर से हमेशा के लिए छुटकारा पाना चाहता था। उसने बहुत सोचा और शेर को मारने की योजना बनाई।

शेर का भोजन बनने के लिए जिस दिन उसे शेर के पास जाना था उस दिन वह बहुत देर से उठा। वह धीरे-धीरे शेर की मांद की ओर चलने लगा। वह रास्ते में सो भी गया, सूर्यास्त तक शेर की माँद तक पहुँच गया।

इस बीच, शेर क्रोधित और पागल हो गया था। जब उसने छोटे खरगोश को अपनी ओर आते देखा, तो शेर ने दहाड़ा और कहा “मैंने पूरे दिन इंतजार किया है, और जानवर मुझे इस नन्हे खरगोश को भेजते हैं! तुम भोजन के लिए बहुत छोटे हो। मैं जानवरों को सबक सिखाऊंगा। मैं उन सबको मार डालूँगा!”

खरगोश शांत रहा और बोला, “अरे बलशाली शेर, क्या मैं कुछ कहूँ। जानवरों ने आपके खाने के लिए छह खरगोशों का एक समूह भेजा था। लेकिन रास्ते में एक और शेर ने हमें रोक लिया। उसने कहा कि वह जंगल का नया राजा था। हमने उनसे कहा कि हमारे पास पहले से ही हमारे राजा के रूप में एक बहादुर शेर है। उसने पाँचों खरगोशों को अपने पास रख लिया और मुझसे कहा कि मैं आपको सूचित कर दूँ कि आपको तुरंत जंगल छोड़ देना चाहिए अन्यथा वह आपको मार डालेगा।

यह सुनकर शेर बहुत क्रोधित हुआ। उसने खरगोश से कहा कि वह उसे नए शेर की मांद में ले चले ताकि वह दूसरे शेर को मार सके और मामले को सुलझा सके।

खरगोश सहमत हो गया और शेर को एक गहरे कुएं में ले गया।

खरगोश ने शेर से कहा “वह उस किले में रहता है।” शेर कुएं के पास गया और अंदर देखा। उसने पानी में अपना प्रतिबिंब देखा और सोचा कि यह दूसरा शेर है। वह गुस्से से दहाड़ा। उसने उसकी आवाज की प्रतिध्वनि सुनी और सोचा कि यह दूसरा शेर है। वह दुश्मन शेर को मारने के लिए कुएं के अंदर कूद गया। लेकिन उसका सिर चट्टानों से टकरा गया, वह पानी में गिर गया और डूब गया।

छोटा खरगोश दूसरे जानवरों को यह बताने के लिए वापस दौड़ा कि उसने जंगल को कैसे बचाया।

सीख 

आपकी बुद्धि और समझ ही आपका सबसे बड़ा धन है। 

59) बंदर और मगरमच्छ : Hindi Kahaniya

बंदर और मगरमच्छ : Hindi Kahaniya

बहुत समय पहले की बात है, एक बंदर था जो एक नदी के किनारे एक सेब के पेड़ पर रहता था। वह अकेला रहता था, लेकिन बहुत खुश रहता था।

एक दिन नदी से एक मगरमच्छ निकला। वह तैरकर पेड़ के पास गया और बंदर से कहा कि वह बहुत दूर से आया है और भोजन की तलाश में है क्योंकि उसे बहुत भूख लगी है। दयालु बंदर ने उसे कुछ सेब खाने को दिया। मगरमच्छ ने उसे धन्यवाद दिया और उससे पूछा कि क्या वह फिर से बंदर से मिल सकता है।

बंदर ने कहा “आपका हमेशा स्वागत है,” 

इसके बाद मगरमच्छ रोज बंदर के पास जाने लगा। वे सेब बांटते और जो कुछ भी वे जानते थे उसके बारे में बात करते। मगरमच्छ ने बंदर से कहा कि उसकी एक पत्नी है और वे नदी के उस पार रहते हैं। तो उदार बंदर ने बहुत से सेब तोड़ लिए और वे सेब उसकी पत्नी के लिए दे दिया। 

मगरमच्छ की पत्नी को सेब बहुत पसंद थे, लेकिन उसे अपने पति से ईर्ष्या होने लगी कि वह अपने नए दोस्त की संगति में इतना समय बिता रहा है। मगरमच्छ की पत्नी को विश्वास नहीं था कि उसका पति एक बंदर के साथ दोस्ती कर सकता है। लेकिन मगरमच्छ ने उसे बंदर से अपनी दोस्ती का यकीन दिलाया।

मगरमच्छ की पत्नी ने मन ही मन सोचा, “यदि बंदर केवल यही मीठे गुलाब के सेब खाता है, तो उसका मांस भी मीठा ही होगा। वह एक स्वादिष्ट डिनर होगा।

इसलिए उसने अपने पति से अपने दोस्त को घर बुलाने के लिए कहा ताकि वह उससे मिल सके। लेकिन मगरमच्छ अपने दोस्त को घर बुलाने से खुश नहीं था। तो पत्नी ने एक योजना सोची। उसने बहुत बीमार होने का नाटक किया और मगरमच्छ से कहा कि डॉक्टर ने कहा था कि वह तभी ठीक हो सकती है जब वह बंदर का दिल खाए। यदि उसका पति उसकी जान बचाना चाहता है, तो उसे अपने मित्र का हृदय उसके पास लाना चाहिए।

मगरमच्छ अपने दोस्त को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता था। साथ ही वह नहीं चाहता था कि उसकी पत्नी की मौत हो। इसलिए मगरमच्छ सेब के पेड़ के पास गया और बंदर को अपनी पत्नी से मिलने के लिए घर बुलाया। बंदर बहुत खुश हुआ और तुरंत राजी हो गया। मगरमच्छ ने बंदर से कहा कि “तुम मेरी पीठ पर सवार होकर नदी के दूसरे किनारे तक जा सकते हो।” नदी के बीच में पहुंचते ही मगरमच्छ डूबने लगा। भयभीत बंदर ने उससे पूछा कि वह ऐसा क्यों कर रहा है।

मगरमच्छ ने कहा “मैं तुम्हें मारना चाहता हूं, मेरी पत्नी बीमार है और वह तभी ठीक हो सकती है जब वह बंदर का दिल खाए।”

बंदर चौंक गया और तेजी से सोचने लगा। उसने मगरमच्छ से कहा कि वह मगरमच्छ की पत्नी की जान बचाने के लिए ख़ुशी-ख़ुशी अपना दिल दे देगा, लेकिन उसने अपना दिल अपने पेड़ में छोड़ दिया था। उसने मगरमच्छ से अनुरोध किया कि वह जल्दी से वापस लौट आए ताकि वह उसका कलेजा निकाल सके।

बेवकूफ मगरमच्छ यह सुनकर खुश हो गया कि बंदर बिना किसी प्रतिरोध के अपने दिल की पेशकश करने के लिए तैयार कैसे हो गया। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि बंदर बिना किसी प्रतिरोध के अपना दिल देने को तैयार है। अपनी पत्नी के प्रति अपने प्यार को साबित करते हुए अपने दोस्त की हत्या न करने की सोच ने उसे खुश कर दिया।

बंदर पीछे मुड़ा और जितनी तेजी से तैर सकता था तैरकर पेड़ पर चढ़ गया। उसने मगरमच्छ को देखा और कहा, “अब तुम अपनी दुष्ट पत्नी के पास वापस जा सकते हो और उसे बता सकते हो कि उसका पति इस दुनिया में सबसे बड़ा मूर्ख है। तुम्हारी मूर्खता का कोई सानी नहीं है। तुम अपनी पत्नी की अन्यायपूर्ण माँग के कारण मेरे प्राण लेने को तैयार थे। तब तुम इतने मूर्ख थे कि मुझ पर विश्वास करके मुझे वापस पेड़ पर ले आए।”

सीख 

एक मूर्ख मित्र से एक बुद्धिमान शत्रु बेहतर होता है।

60) ब्राह्मण का सपना

ब्राह्मण का सपना

बहुत समय पहले की बात है एक गाँव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। वह जीविका के लिए भीख माँगता था और कभी-कभी उसे कई दिनों तक बिना भोजन के रहना पड़ता था। एक दिन उसे आटे से भरा एक बर्तन मिला। वह बहुत खुश था। वह बर्तन घर ले गया और उसे अपने बिस्तर के पास लटका दिया। वह बिस्तर पर लेट गया और अपने बर्तन को देखने लगा। जल्द ही, वह गहरी नींद में सो गया और सपने देखने लगा।

उसने स्वप्न देखा कि “यदि देश में अकाल पड़े, तो वह आटे को बहुत अच्छे दामों पर बेच सकता है। लोग एक-दूसरे से आगे निकल जाएंगे। अंत में वह उसे बीस रुपये में बेच देगा। इन बीस रुपयों से वह एक जोड़ी बकरे खरीद लेगा। और इन बकरियों को हरी घास खिलायेगा। जल्द ही बकरियों के बहुत सारे बच्चे होंगे और वह भैंसों और गायों के लिए बकरियों के पूरे झुंड का व्यापार करेगा। गायों के अपने बछड़े होंगे और बहुत सारा दूध होगा। वह दूध, मक्खन और दही से मिठाइयाँ बनाकर बाजार में बेचेगा। जल्द ही, वह बहुत अमीर हो जाएगा और विशाल बागों और फलों के बागों के साथ एक बड़ा घर बनाएगा। वह अब मोती, हीरे और अन्य कीमती रत्नों का व्यापार करना शुरू करेगा। राजा मेरे धन के बारे में सुनेंगे और अपनी बेटी, सुंदर राजकुमारी को साथ लाएंगे और उन दोनों की शादी कराएँगे।

जल्द ही, उसके बेटे और बेटियाँ होंगी और वे खेलते हुए घर के चारों ओर दौड़ेंगे।” यह सोचकर कि वह बच्चों को पीट रहा है, ब्राह्मण ने अपने हाथों से हवा को पीटना शुरू कर दिया। अचानक उसका हाथ आटे के बर्तन से टकराया, बर्तन टूट गया और उसकी सारी सामग्री जमीन पर गिर गई। ब्राह्मण जाग उठा और पाया कि वह सब कुछ सपना देख रहा था। न कोई बड़ा घर था, न कोई प्यारा बगीचा और न पत्नी या बच्चे। सिर्फ टूटा हुआ बर्तन और आटा पूरे फर्श पर बिखरा पड़ा था।

सीख 

कभी भी हवा में महल नहीं बनाना चाहिए।

61) तीन मछली : Moral Stories for Kids in Hindi

Moral Stories for Kids in Hindi

एक बार की बात है, एक झील में तीन बड़ी मछलियाँ रहती थीं। वे घनिष्ठ मित्र थे, लेकिन स्वभाव से बहुत अलग अलग थे।

पहला वाला बहुत समझदार था। वह हर काम सोच-समझकर ही करता था।

दूसरा बहुत ही हंसमुख, बुद्धिमान और साधन संपन्न था। किसी भी समस्या का समाधान खोजने के लिए वह हमेशा अपने दिमाग का इस्तेमाल करता था।

तीसरा भाग्य में विश्वास करता था। उनका मानना ​​था कि जो होना था होकर रहेगा और उसे कोई नहीं बदल सकता।

एक दिन समुद्र के किनारे पानी में खेलते समय बुद्धिमान मछली ने एक मछुआरे को दूसरे मछुआरे से यह कहते हुए सुना, “यह झील अच्छी मछलियों से भरी है। मछली पकड़ने के लिए कल यहाँ आएंगे।”

यह सुनकर मछली अपने दोस्तों के पास दौड़ी और उन्हें वह सब बताया जो उसने सुना था। फिर उन सभी ने कहा  “हम इस झील को इस नहर के माध्यम से छोड़ देते हैं और दूसरी झील पर चलते हैं,”।

साधन संपन्न मछली ने कहा, “मैं झील को नहीं छोड़ूंगी। जब मछुआरे आएंगे, तो मैं अपने आप को बचाने का उपाय खोज लुंगी।”

तीसरी मछली ने कहा, मैं इस सरोवर में जीवन भर रही हूं और इसे नहीं छोडूंगी। जो होगा, वो होगा।”

बुद्धिमान जोखिम नहीं लेना चाहता था और दूसरी झील के लिए निकल गया।

अगली सुबह मछुआरे आए और अपना जाल डाला। दोनों दोस्त जाल में फंस गए। साधन संपन्न मछली ने कोई उपाय सोचा। वह चुपचाप लेटा रहा और मृत होने का नाटक किया। मछुआरों ने उसे पानी में फेंक दिया।

भाग्य पर विश्वास करने वाली मछली जाल में इधर-उधर घूमती रही। मछुआरों में से एक ने उसे मार डाला।

सीख 

जो परिवर्तन के अनुकूल नहीं बदलता वह अक्सर नष्ट हो जाता है।

62) बूढ़ा बारहसिंगा

बूढ़ा बारहसिंगा

एक बड़े जंगल में एक बूढ़ा बारहसिंगा रहता था। बारहसिंगा एक छोटी सी पहाड़ी के ऊपर रहता था। पहाड़ी हमेशा कोमल, हरी घास से ढकी रहती थी। बारहसिंगा बहुत खुश था क्योंकि उसके पास हमेशा खाने के लिए बहुत सारी हरी घास होती थी।

बारहसिंगा हमेशा अन्य जानवरों के प्रति दयालु था और इसलिए वे सभी उससे प्यार करते थे और उसका सम्मान करते थे। वह रोज सुबह नाश्ता करके जंगल में घूमता और अपने सभी दोस्तों से मिलता।

एक दिन वह बहुत बीमार पड़ गया और उसके लिए चलना भी मुश्किल हो गया। वह किसी तरह अपने आप को एक सुरक्षित स्थान पर घसीटने में कामयाब रहा, जिसमें आश्रय प्रदान करने के लिए कोमल घास और कुछ चट्टानों का मोटा आवरण था। वह प्रतिदिन अपने चारों ओर थोड़ी-सी घास खाता, जो उसे ठीक होने की शक्ति देने के लिए पर्याप्त होती।

बारहसिंगा अब अपने दोस्तों से नहीं मिल सकता था क्योंकि वह बहुत कमजोर था। यह जानकर दूसरे जानवर समय-समय पर उसके पास आने लगे। सभी ने बारहसिंगा में शीघ्र स्वस्थ होने और स्वस्थ जीवन की कामना की। लेकिन जाने से पहले, उनमें से कई पहाड़ी के चारों ओर उगने वाली ताजी घास खाने लगे। इतनी मुलायम घास उन्होंने पहले कभी नहीं खाई थी।

जल्द ही यह बात फैल गई कि पहाड़ी पर की घास जंगल में कहीं और पाई जाने वाली घास से बेहतर है। कई जानवर बारहसिंगा के स्वास्थ्य के बारे में जानने के लिए बार-बार उसके पास जाने लगे। लेकिन उनका असली मकसद पहाड़ी पर दावत करना था।

बारहसिंगा अपनी बीमारी से थोड़ा उबरा लेकिन यह देखकर निराश हो गया कि पहाड़ी ने अपना हरा आवरण खो दिया था। जानवरों के लगातार चरने ने बंजर कर दिया था!

वह भोजन और आश्रय की तलाश में किसी अन्य स्थान पर जाने के लिए अभी भी बहुत कमजोर था। उसकी वृद्धावस्था ने उसके लिए चलना और भी कठिन बना दिया था और बारहसिंगा इस प्रकार मर गया। बारहसिंगा के तथाकथित शुभचिंतकों की संवेदनहीनता ही उनकी मृत्यु का कारण बनी।

बारहसिंगे की मौत के बाद कभी कोई जानवर पहाड़ी पर नहीं गया।

63) चालाक लड़का

लंबा चालाक लड़का

एक बार दो छोटे लड़के खेल रहे थे। उनमें से एक ने अखरोट देखा लेकिन दूसरे ने पहले उठाया। दोनों लड़के अखरोट के लिए लड़ने लगे। एक लंबा लड़का वहाँ से गुजर रहा था इसलिए उसने उनके झगड़ों के बारे में कुछ करने का फैसला किया। वह अखरोट को दो भागों में विभाजित करता है और यह कहकर अखरोट को स्वयं खा लेता है कि यह आपके झगड़े को निपटाने के लिए है।

सीख – Moral 

यह छोटी नैतिक कहानी बच्चों को सिखाने के लिए सबसे अच्छी है। यह छोटी सी नैतिक कहानी हमें बताती है कि जब दो लोग लड़ते हैं तो हमेशा तीसरा व्यक्ति उस लड़ाई का फायदा उठाता है।

64) लालची पक्षी : Short Moral Stories in Hindi

: Short Moral Stories in Hindi

बहुत समय पहले की बात है, पक्षियों का एक झुंड एक झील के किनारे के पेड़ों पर रहा करता था। झुंड पर एक बूढ़ी रानी चिड़िया का शासन था। हर सुबह, वह पक्षियों को समूहों में विभाजित करती और उन्हें भोजन की तलाश में अलग-अलग दिशाओं में भेजती। सभी पक्षियों ने दिन भर समान रूप से मेहनत की।

जब भी किसी चिड़िया को कहीं भी खाना मिल जाता तो वह फौरन उस खाने को उस घोंसले में वापस ले आती जहां रानी चिड़िया रहती थी। अगर किसी चिड़िया के अकेले ले जाने के लिए भोजन बहुत अधिक होता, तो वह पूरे समूह को सूचित कर देती। फिर समूह के पक्षी इसे वापस घोंसले में ले जाते।

हर शाम, रानी पक्षी सभी पक्षियों में समान रूप से भोजन बांटती थी क्योंकि उन सभी ने भोजन की तलाश में समान रूप से मेहनत की थी। इससे यह सुनिश्चित हो गया कि कोई भी पक्षी भूखा नहीं रहेगा।

एक दिन भोजन की तलाश में एक गाँव में एक युवा पक्षी आया। उसने देखा कि कई बैलगाड़ियाँ खेतों से अनाज की बोरियाँ पास के बाज़ार तक ले जा रही हैं। उसने देखा कि गाड़ियाँ चलते समय बहुत सारा अनाज सड़क पर गिर रहा था।

यह देखकर वह बहुत खुश हुई। वह लालची हो गई और उसने मन ही मन सोचा, “मैं प्रतिदिन भोजन की तलाश में दूर-दूर तक उड़ती हूँ। हो सकता है कि परमेश्वर ने मुझे इतने अधिक मात्रा में भोजन से पुरस्कृत किया हो। ये अनाज मेरे हैं और मुझे इसे किसी और के साथ साझा नहीं करना चाहिए ”।

उसने तुरंत एक योजना के बारे में सोचा। वह वापस घोंसले में उड़ गई और रानी पक्षी से मिली और उससे कहा, “हे रानी, ​​​​इस जगह से थोड़ी दूर, मैंने एक गाँव की सड़क को ताजे अनाज से बिखरा हुआ देखा”। उसने रानी को उन गाड़ियों के बारे में बताया जो अनाज को खेतों से बाजार तक ले जा रहे थे।

वह पक्षी कहती रही की “लेकिन मुझे लगता है कि अनाज को चुगने के लिए सड़क पर उड़ना बहुत खतरनाक है क्योंकि सड़क पर बहुत सारी गाड़ियाँ हैं, ऐसा भी हो सकता है की कोई भी पक्षी जो दाना चुगने की कोशिश करे, गाड़ी के पहियों के नीचे कुचल जाए। इसलिए मेरा सुझाव होगा कि कोई भी पक्षी उस दिशा में न जाए।”

रानी ने सोचा कि युवा पक्षी समझदारी की बात कर रही है। उसने सभी पक्षियों को बुलाया और उन्हें चेतावनी दी कि वे गाँव की दिशा में न जाएँ।

यह देखकर युवा पक्षी बहुत खुश हुई। गाँव की सड़क का सारा खाना अब उसी का था। उसे विश्वास था कि उसे गाड़ियों से कोई खतरा नहीं होगा। जब भी वह किसी आने वाली गाड़ी को देखती तो वह गाड़ियों पर नजर रखती और एक तरफ हट जाती।

हर दिन, युवा पक्षी चुपके से गाँव की दिशा में उड़ जाती और अकेले ताजा अनाज का आनंद लेती। उसे अब खाने की तलाश में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती थी और बिना ज्यादा मेहनत के खाने के लिए काफी कुछ मिल जाता था।

जल्द ही छोटी चिड़िया बहुत मोटी हो गई क्योंकि उसे ज्यादा उड़ना नहीं पड़ता था। उसने अपनी चपलता भी खो दी।

एक दिन जब चिड़िया चुग रही थी, तो उसने एक गाड़ी को आते हुए नहीं देखा। जब वह दाना चुगने में व्यस्त थी, तभी बैलगाड़ी ने उसे अपने पहियों के नीचे कुचल दिया।

लालची चिड़िया गाँव की सड़क पर मरी पड़ी थी।

सीख 

लालच बुरी बला है। 

65) हर छोटा टुकड़ा मायने रखता है : Moral Stories in Hindi

हर छोटा टुकड़ा मायने रखता है : Moral Stories in Hindi

एक बार की बात है, एक बूढ़ा आदमी था जो रोज सुबह समुद्र में जाया करता था। वह पहले समुद्र तट पर इत्मीनान से टहलता, और फिर अपना लेखन करने बैठ जाता।

एक रात भयानक तूफान आया। सुबह तक तूफान टल चुका था और उसके बाद बूढ़ा समुद्र तट पर गया। उसने देखा की विशाल समुद्र का तट तारामछली से भरा है जहाँ तक नज़र जाती थी, वे सभी दिशाओं में फैले हुए थे।

कुछ दूर पर बूढ़े व्यक्ति ने एक छोटे लड़के को अपनी ओर आते हुए देखा। हालाँकि, लड़का सीधे उसकी ओर नहीं चल रहा था। इसके बजाय वह बार-बार रुकता, झुकता जैसे रेत से कुछ उठाता हो। तब वह सीधा होकर कुछ दूर समुद्र में फेंक देता था।

जैसे ही वह करीब आया, बूढ़े ने पुकारा, “सुप्रभात! क्या मैं पूछ सकता हूँ कि तुम समुद्र में क्या फेंक रहे हो?”

जवान लड़का सीधा चला, और हाथ में एक तारामछली लेकर बूढ़े आदमी के पास गया। उसने उत्तर दिया “मैं तारामछली को वापस समुद्र में फेंक रहा हूँ। तूफान ने उन्हें कल रात समुद्र तट पर बहा दिया। अब ज्वार बहुत दूर है, और तारामछली अपने आप समुद्र में नहीं लौट सकतीं। जब सूरज बहुत ऊँचा हो जाता है, तो वे गर्मी के कारण मर जाएँगे। इसलिए ऐसा होने से पहले मैं उन्हें वापस पानी में फेंक रहा हूँ।”

बूढ़े व्यक्ति ने कहा की “लेकिन इस समुद्र तट पर हजारों तारामछलियाँ हैं इन सबको बचाना नामुमकिन है।”

लड़का नीचे झुका, उसने एक और तारामछली उठाई और जहाँ तक वह जा सकता था पानी में फेंक दिया। फिर वह मुड़ा और बूढ़े आदमी की ओर देखकर मुस्कुराया, और कहा, “मैंने एक और तारामछली बचा ली” 

सीख 

हर टुकड़ा मायने रखता है। 

66) शेर और गरीब गुलाम : Simple Moral Stories in Hindi 

शेर और गरीब गुलाम

एक नौकर था और एक दिन उसके मालिक ने उसके साथ बुरा व्यवहार किया और वह गरीब नौकर जंगल में भाग गया। वहां उसे एक शेर मिला जो दर्द से कराह रहा था क्यूंकि उसके पैरों में नुकीले कांटे लगे थें इसलिए उसने शेर की मदद की। कुछ दिनों बाद मालिक शिकार करते हुए कुछ जानवरों को पकड़ता है और अपने पिंजरे में लाकर बंद कर देता है।

एक दिन नौकर को मालिक के आदमियों ने पकड़ लिया और फिर मालिक ने नौकर को शेर के पिंजरे में फेंक दिया। लेकिन नौकर देखा कि पिंजरे में वही शेर था जिसकी उसने जंगल में मदद की थी। उसने शेर और अन्य सभी पिंजरों के जानवरों को पिंजरे से आजाद करके बचा लिया। 

सीख – Moral 

यह छोटी सी नैतिक कहानी यह शिक्षा देती है कि “दूसरों की मदद करनी चाहिए।

67) बिन बुलाए दोस्त : Short Moral Stories in Hindi for Kids

बिन बुलाए दोस्त : Short Moral Stories in Hindi for Kids

स्कूल में एक अरुण नाम का लड़का था जो की बहुत शांत रहता था। वह सातवीं कक्षा में पढ़ता था और इस कक्षा में वह नया लड़का था। वह हमेशा अकेला महसूस करता था – स्कूल में, घर में और हर जगह… क्योंकि उसका कोई दोस्त नहीं था – न तो उसकी कक्षा में और न ही उसके जीवन में। जब तक वह याद कर सकता था, वह अकेला था।

वह एक बड़े बिजनेस टाइकून का बेटा था, लेकिन स्कूल में किसी को इसकी खबर नहीं थी। उसका लुक औरों से बिल्कुल अलग था। उसका रूप-रंग ही एक कारण था कि कोई भी उससे मित्रता करने में दिलचस्पी नहीं रखता था। उसने अपने सहपाठियों से दोस्ती करने के कई तरीके आजमाए लेकिन कोई भी उसे दोस्त के रूप में स्वीकार नहीं करता था। वह अलग था और भले ही वह इसका कारण नहीं समझ पाया, लेकिन उसके सहपाठियों ने उससे किनारा कर लिया।

अब, उसकी कक्षा में कई छात्र थे जो पैसे और चिकित्सा से संबंधित कई मुद्दों से पीड़ित थे। अरुण ने जब भी इन समस्याओं के बारे में सुना तो उनके समाधान की व्यवस्था करने का ध्यान रखा। लेकिन उसका राज कोई नहीं जानता था। कोई नहीं जानता था कि इसके माँ बाप अमीर है। 

एक दिन, उनके परोपकारी कार्यों के कारण अरुण की तस्वीर और उनके पिता की तस्वीर अखबार में छपी थी। अरुण के परिवार ने उन सभी लोग जो गंभीर चिकित्सा स्वास्थ्य मुद्दों के साथ-साथ वित्तीय समस्याओं से पीड़ित थे, उनकी मदद किया था। 

इस खबर ने अरुण के सहपाठियों को झकझोर कर रख दिया। उन्होंने महसूस किया कि यह वह व्यक्ति था जिसने उनकी कई गंभीर समस्याओं को हल किया था और उनकी खुशी का कारण था। उन्हें बुरा लगा कि पहले  उन्होंने उसके साथ बुरा बर्ताव किया। अगले दिन, जैसे ही उसने कक्षा में प्रवेश किया, उन्होंने उसका गर्मजोशी से स्वागत किया और उससे क्षमा माँगी। उस दिन से अरुण के कई दोस्त बन गए।

सीख 

हम अक्सर उन लोगों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं जो हमसे अलग हैं, बिना कारण समझे कि वे ऐसे ही हैं। अगर हम हर इंसान को मौका दें तो दुनिया में और भी बहुत सारी खुशियां होंगी।

68) बीरबल की खिचड़ी

एक बार की बात है अकबर अपने दरबार में बैठे हुए थे, सभा लगी हुई थी। अकबर ने बहादुरी की बात छेड़ी की “इस राज्य में कौन सबसे ज्यादा बहादुर है। अगर वो अपनी निडरता और बहादुरी दिखाएगा तो उसे मैं बहुत कीमती रत्न और इनाम दूँगा।” सब ने बोला हम है निडर। अकबर ने बोला गांव के थोड़ी दूर पर एक तालाब है, उस तालाब में जो पूरी रात अकेले रहेगा उसे मैं राज्य का सबसे बहादुर नौजवान घोषित कर दूंगा और ईनाम भी दूंगा पर किसी ने इतनी ठंड में जाने का फैसला नहीं लिया सबने मना कर दिया। अकबर ने सारे राज्य में ये बात घोषणा करवा दी की कौन इस राज्य में सबसे निडर और बहादुर है कौन इस परीक्षा को दे सकता है।

किसी ने भी जवाब नही दिया पर एक बहुत गरीब आदमी ने इस बात को सुना उसने मन में सोचा “अगर यह कठीन कार्य मैं करू तो मुझे जो पैसे मिलेंगे उससे हम खाने का इंतजाम कर लेगे और मेरा परिवार भी भूखा नहीं रहेगा” ये सब सोचकर उसने निश्चय कर लिया ये मैं करूंगा चाहे मेरी जान ही क्यों न चली जाए अगले दिन अकबर से जाके बोला मैं ये कार्य कर सकता हू, अकबर ने उसे इजाजत दे दी वो आदमी गया तो पर बहुत ठंड थी पर गरीबी ऐसी होती है। उसने अपने आप को समझाते हुए अंधेरी रात में तालाब में गया पानी बहुत ही ठंडा था पर। उसने हार नही मानी, पूरी रात अंधेरा में खड़ा रहा और अगले दिन लोगो को लगा की वो जिंदा तो नही होगा। लोग गए देखने पर वो वही तालाब में था। फिर अकबर ने उसे बुलाया और बोला ये कार्य कैसे कर लिया तुमने। उस आदमी ने कांपते हुए बोला “महाराज इनाम दो मेरा” अकबर ने बोला हा दूंगा पहले बताओ कैसे कर लिए उस आदमी ने बोला महाराज बहुत दूर एक किसी के घर में दीपक जल रहा था उसी के सहारे पूरी रात बिता लिया अकबर ने बोला “यानी तुम्हे दीपक से गरमाहट मिल रही थी और तुमने बाहरी चीज़ का सहारा लिया, तुम्हें अब इनाम नही मिलेगा तुमने बेईमानी करी है। इसको बंद कर दो कारावास में” ये सब बीरबल सुन रहे थे उनको अकबर के इस बात पर बहुत ही बुरा लगा।

“मैं खिचड़ी बनाने जा राजा हूं” और इतना बोलकर बीरबल वहाँ से चले गए। पेड़ पर मटके में खिचड़ी को टांग दिया और नीचे आग जला दिया बहुत देर हो गई अकबर ने बुलवाया सैनिकों से पर बीरबल बोले अभी खिचड़ी बना रहा हूँ। ऐसा बार बार बुलाने पर बीरबल यही बोलते अभी मैं खिचड़ी बना रहा हूँ, अकबर ये सुनकर एकदम गुस्से में बोले बीरबल कितने दिन से खिचड़ी बना रहा है। इसलिए अकबर खुद देखने चले गए और जब जंगल में अकबर पहुंचे तो बोले “बीरबल, खिचड़ी बनाने का ये क्या तरीका है ऐसे बनाओगे तो तुम्हारा खिचड़ी कभी नहीं पाकेकगा तुम पागल हो गए हो बीरबल।”

इतना सुन कर बीरबल मुस्कुराए और बोले महाराज जरूर पकेगा जब उस आदमी को तालाब से बहुत दूर के दीपक का गरमाहट मिल सकता है तो खिचड़ी क्यों नहीं पकेगी जरूर पकेगा इतना सुन कर अकबर को सब समझ में आ गया। अकबर ने बोला “बीरबल, मैंने गलती कर दी और अकबर दरबार में जाकर उस आदमी को कारावास से निकाल कर बहुत सारा धन देकर उसको सम्मान के साथ उसके घर विदा करते है। और बीरबल की खूब सराहना करते है।

सीख

एक बार हम जो ठान लेते हैं अपनी इच्छा शक्ति से उसे जरूर पूरा कर सकते हैं।

69) कछुआ और पक्षी : Best Short Moral Stories in Hindi 

Short Moral Stories For Kids Hindi 

एक बार एक कछुआ एक पेड़ के नीचे आराम कर रहा था और उसी पेड़ के ऊपर एक पक्षी ने अपना घोंसला बनाया था। कछुए ने चिड़िया का मज़ाक उड़ाया और कहा, “अरे! तुम्हारा घर इतना बेकार है। यह टूटी टहनियों से बना है, इसकी कोई छत नहीं है, और कच्चा दिखता है। इससे भी बुरी बात यह है कि अपने घोसले को तुमने खुद से बनाया है”।

कछुआ कहते रहता है “मुझे लगता है कि मेरा घर, जो मेरा खोल (कछुआ का खाल) है, तुम्हारे बेकार घोंसले से कहीं बेहतर है।” फिर पक्षी ने आत्मविश्वास से उत्तर दिया, “हाँ, मेरा घोसला टूटी हुई लकड़ियों से बना है, जर्जर दिखता है, और खुला हुआ है, यह कच्चा है, लेकिन मैंने खुद इसे बनाया है, और मुझे यह पसंद है।”

फिर कुछए ने कहा की, “मुझे लगता है कि यह किसी भी अन्य घोंसले की तरह ही है, लेकिन मेरे खोल से बेहतर नहीं है।

चिड़िया थोड़ी देर शांत रही और फिर बोली की “मेरे घोसले में मेरे परिवार और दोस्तों के लिए जगह है, तुम्हारे खोल में तुम्हारे अलावा कोई और नहीं रह सकता है। लेकिन मेरे पास एक ऐसा घर है जिसमें मैं अपने परिवार को भी रख सकती हूँ”

उसके बाद कछुआ चिड़िया की बात को सुनकर काफी चौंक गया और उसे अपने गलती का अहसास हुआ और उसने चिड़िया से माफ़ी माँगा।

सीख – Moral 

एक भीड़ भरी झोपड़ी एक अकेले राज्य से बेहतर है।

70) कंजूस और उसका सोना: Moral Stories in hindi for Kids

एक गांव में एक बहुत ही बूढ़ा कंजूस व्यक्ति रहता था। उसके घर के बाहर बहुत ही सुन्दर बगीचा था उसके पास कुछ सोने के सीखे रखे हुए थे। उसने अपने धन को अपने बगीचे में एक गुप्त स्थान में छिपा दिया,जो की बगीचे में कुछ पत्थरों के नीचे एक गड्ढे में था। रात को सोने से पहले वह रोज अपने धन के पास जाकर अपने सिक्के को जरूर गिनता , वह हर दिन उस स्थान पर जाता। वह इस दिनचर्या को हर रोज करता और अपना एक भी सिक्का उसने कभी भी खर्च नहीं किया।वहाँ पे एक चोर था जो की हर दिन यह सब देख रहा होता है।

चोर को उस बूढ़े व्यक्ति की दिनचर्या रट गई थी ,एक रात जब उसने अपने सिक्के गिने तो चोर फिर से यह सब देख रहा था उसने उसके घर में जाने का इंतज़ार किया। जैसे ही वह गया चोर थोड़ा रुका फिर उन् सिक्कों के पास गया और उन्हें चुरा लिया।

अगली सुबह जब बूढ़ा व्यक्ति अपने सिक्कों को देखने आया तो उसने पाया की उसका धनं वह से गायब था। फिर वह तेज तेज से वही रोना शुरू कर दिया। उसकी रोने की आवाज़ एक रास्ते चलते राहगिर की कान में पड़ी तो उसने उसके रोने का कारन पूछा तो उसने बताया की उसका सोना किसी ने चुरा लिया है, ‘’मैं तो लूट गया। बर्बाद हो गया। अब मै क्या करूँगा?’’

‘’राहगीर ने कहा ,तुम अपना सोना यहाँ क्यों रखते था जब तुम्हारे पास घर है तो घर में क्यों नहीं रखते थे ‘’तब उस कंजूस व्यक्ति ने कहा की “मैं अपने सोने को कभी हाथ नहीं लगाता। मैं उसे सहेजकर रखता हूँ और हमेशा रखता, यदि वो चोर उसे चुराकर नहीं ले जाता।”

यह बात सुनकर राहगीर ने जमीन से कुछ कंकड़ उठाये और उस कंकड़ को गड्ढे में डालकर बोला, “यदि ऐसी ही बात है, तो इन कंकडों को गड्ढे में डालकर गड्ढे को मिट्टी से ढक दो और यह सोचो करो कि यही तुम्हारा सोना है, क्योंकि इनमें और तुम्हारे सोने में कोई अंतर नहीं है। ये भी किसी काम के नहीं और तुम्हारा सोना भी किसी काम का नहीं था। जब कभी भी उस सोने का तुमने कोई उपयोग ही नहीं किया, न ही करने वाले थे। तो उसका होना न होना एक बराबर था।”यह भी आपके लिए उतना ही मूल्यवान है जितना कि आपका खोया हुआ खजाना!”

सीख – Moral 

जिस धन का कोई उपयोग ही न हो ,उसका कोई मूल्य ही नहीं है , उसका होना न होना एक बराबर होता है।

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ऊपर बताये गए Short Moral Stories in Hindi For Kids आपको बहुत सारे सीख देना चाहती है इसलिए इसे सिर्फ यह समझ कर न पढ़ें की ये तो बच्चों के लिए ही है।

बच्चों को अच्छी कहानी सुनाने से उन्हें अच्छे बुरे का फर्क धीरे धीरे समझ में आने लगता है इसलिए ये सभी कहानियां अपने बच्चों को जरूर सुनाएँ।

हमें आशा है की यह ब्लॉग पोस्ट पढ़ने के बाद आपके सवाल Best Short Moral Stories in Hindi for kids 2023 इसका जवाब आपको आसानी से मिल गया होगा।

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FAQ

Q: हिंदी कहानी कैसे पढ़ें?

Ans: छोटे छोटे हिंदी कहानी को पहले पढ़ना शुरू करें फिर आप कहानियों को पढ़ना सीख जाएंगे।

Q: सबसे अच्छा हिंदी कहानी कौनसा है?

Ans: मुझे प्यासे कौवे का कहानी सबसे अच्छा लगता है।

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